असर खबर का - कोटा में भरे भंडार, अब दूसरे जिलों में भेज रहे गेहूं

व्यवस्थाओं में सुधार करने से धरतीपुत्रों को मिली राहत

असर खबर का - कोटा में भरे भंडार, अब दूसरे जिलों में भेज रहे गेहूं

खरीद केन्द्रों पर तेज गति से होने लगा माल का उठाव।

कोटा। हाड़ौती में समर्थन मूल्य पर इस साल गेहूं की बम्पर खरीद होने से कोटा में स्थित एफसीआई के सभी गोदाम फुल हो गए हैं। अब स्थिति यह हो गई कि यहां से गेहूं को राजस्थान के अन्य जिलों में भेजा जा रहा है। वहीं अब खरीद केन्द्रों से माल का उठाव भी तेज गति से होने लगा है। जिससे किसानों को काफी राहत मिली है। पूर्व में केन्द्रों पर संसाधनों की कमी के कारण खरीदे गए गेहूं का पर्याप्त उठाव नहीं होने से व्यवस्था बिगड़ रही थी। जिससे किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा था। अब हाड़ौती में खरीदे जा रहे गेहूं को हाथों-हाथ ट्रकों के माध्यम से प्रदेश के अन्य जिलों में भेजा जा रहा है। इस कारण खरीद केन्द्रों पर व्यवस्था फिर से सुधरने लगी है।

लक्ष्य के करीब पहुंची गेहूं की खरीद
एफसीआई के अधिकारियों के अनुसार कोटा संभाग को इस साल समर्थन मूल्य पर सवा तीन लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य मिला था। इस साल सरकार ने गेहूं खरीद पर समर्थन मूल्य और बोनस की राशि में बढ़ोतरी की है। ऐसे में किसान सरकारी केन्द्रों पर गेहूं बेचने के लिए उमड़ रहे हैं। कोटा संभाग में अब तक तीन लाख मीट्रिक टन से अधिक गेहूं की खरीद हो चुकी है। इसके बाद भी रोजाना काफी संख्या में किसान अपनी उपज बेचने के लिए सरकारी केन्द्रों पर पहुंच रहे हैं। आगामी कुछ दिनों में ही कोटा संभाग का गेहूं खरीद का लक्ष्य पूरा हो जाएगा। अप्रैल माह में ही गेहूं की बम्पर खरीद होने से कोटा शहर में स्थित एफसीआई के सभी गोदाम भर चुके हैं। अब गेहूं को अन्य जिलों में भेजा रहा है।

इन जिलों में भेजा जा रहा गेहूं
विभागीय अधिकारियों के अनुसार हाड़ौती के सरकारी केन्द्रों पर गेहूं की बम्पर खरीद होने से अब ट्रकों और रैक के माध्यम से माल को प्रदेश के अन्य जिलों में स्थित एफसीआई के गोदामों में भेजा रहा है। जयपुर, जोधपुर, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, राजसमंद, अजमेर, उदयपुर, किशनगढ़ सहित प्रदेश के अन्य जिलों में प्रतिदिन ट्रकों के माध्यम से गेहूं भेजा जा रहा है। पहले खरीद केन्द्रों पर गेहूं कोटा के गोदामों में जमा किया जा रहा था। अब गोदाम फुल होने के कारण  सीधे खरीद केन्द्रों से गेहूं को दूसरे जिलों में पहुंचाया जा रहा है। सरकार की ओर से हाड़ौती में एफसीआई और राजफैड सहित अन्य सरकारी एजेंसियों को समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदने का जिम्मा सौंपा गया है। 

अब कम हुई ट्रकों की कतारें 
पूर्व में माल की आवक ज्यादा होने से ठेकेदार फर्म के पास उठाव करने वाले संसाधनों की कमी बनी हुई थी। उनके पास मजदूरों और गेहूं परिवहन करने वाले ट्रक ज्यादा नहीं थे। जिससे माल का उठाव नहीं हो पा रहा था। एफसीआई के गोदामों के बाहर रोजाना डेढ़ सौ से दो सौ ट्रक संभाग के विभिन्न क्षेत्रों से गेहूं लेकर पहुंच रहे थे। यहां भी ट्रकों से पर्याप्त मात्रा में माल खाली नहीं हो पा रहा है। इससे ट्रकों की कतारें गोदामों के बाहर बनी हुई थी। अब गेहूं को अन्य जिलों में भेजने से खरीद केन्द्रों की व्यवस्थाएं सुधरनी लगी है। माल का उठाव तेज गति से होने लगा है। वहीं अब गोदामों के बाहर ट्रकों की कतारें भी कम होने लगी है। इससे डीसीएम रोड पर आए दिन लगने वाले जाम की समस्या का भी समाधान हो गया है।    

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नवज्योति ने प्रमुखता से उठाया था मामला
हाड़ौती में समर्थन मूल्य के केन्द्रों पर गेहूं की बम्पर खरीद के कारण व्यवस्थाएं बिगड़ने के सम्बंध में दैनिक नवज्योति में 24 अप्रैल के अंक में प्रमुखता से समाचार प्रकाशित किया गया था। इसमें बताया था कि विभिन्न सरकारी एजेंसियों की ओर की जा रही गेहूं की सरकारी खरीद किसानों व व्यापारियों को पीड़ा दे रही है। रोजाना काफी संख्या में किसान अपनी उपज बेचने के लिए सरकारी केन्द्रों पर पहुंच रहे हैं, लेकिन उनके माल की तुलाई नहीं हो रही है। ऐसे में कई किसानों को बैरंग लौटना पड़ रहा है। इसका कारण यह है कि सरकारी केन्द्रों पर खरीदे गए माल का पर्याप्त मात्रा में उठाव नहीं हो पा रहा है। बाद में एफसीआई के अधिकारियों द्वारा गेहूं को अन्य जिलों में भेजने से व्यवस्थाओं में सुधार हो गया है।  

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पंजीकरण कराने के बाद भी उसका गेहूं बेचने के लिए नम्बर नहीं आ पाया  था। इससे चिंता बढ़ती जा रही थी। अब खरीद केन्द्रों पर माल का उठाव होने से व्यवस्थाएं सुधर गई है। उसके पास गेहूं बेचने का मैसेज आ गया है।  
- मौजेन्द्र सुथार, किसान

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पूर्व में केन्द्रों पर संसाधनों की कमी के कारण खरीदे गए गेहूं का पर्याप्त उठाव नहीं होने से व्यवस्था बिगड़ रही थी। अब हाड़ौती में खरीदे जा रहे गेहूं को हाथों-हाथ रैक के माध्यम से प्रदेश के अन्य जिलों में भेजा जा रहा है। 
- संजय मीना, जनसम्पर्क अधिकारी, एफसीआई

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