डीएपी की किल्लत से किसान परेशान
पिछले एक माह से खाली है गोदाम : सुबह से खाद आने का करते रहे इंतजार, शाम को लौटते हैं खाली हाथ
किसानों की हालत यह है कि खाद के इंतजाम के लिए जल्द सुबह ही अपने घरों से निकलते है लेकिन शाम को खाली हाथ ही घर लौटते है।
इटावा। खरीफ की फसल नहीं होने से परेशान धरतीपुत्रों की परेशानी दूर होने का नाम ही नहीं ले रही है। खेतों में सरसों की बुवाई के लिए खेतों में पलेवा कर दिया, बुवाई करनी है लेकिन डीएपी खाद नहीं मिल रहा ऐसी स्थिति में बुवाई में देरी हो रही है। इटावा क्षेत्र में पिछले एक माह से ग्राम सेवा सहकारी समिति संस्थाओं व इटावा मार्केटिंग सोसाइटी के गोदाम खाली है। किसानों की हालत यह है कि खाद के इंतजाम के लिए जल्द सुबह ही अपने घरों से निकलते है लेकिन शाम को खाली हाथ ही घर लौटते है।
खाद वितरण में मनमानी
जोरावरपुरा के किसान नंदराम नागर का कहना है कि सहकारी संस्थाओं में खाद नहीं आ रहा। वहीं निजी डीलर के यहां आता है, वह अटैचमेंट देते है। वहीं खाद वितरण में भी मनमानी करते हैं। अभी दो-तीन पूर्व खातौली व गणेशगंज और अन्य जगह आया लेकिन डीलरों ने मनमानी की। कृषि विभाग के अधिकारियों की मौजूदगी में भी मनमानी करते हैं। यही कहानी इटावा क्षेत्र के 100 से 150 गांवों के किसानों की है।
समय पर खाद नहीं तो बुवाई होगी प्रभावित
खेत तैयार हो चुके है। किसानों ने ट्यूबवेल से पानी दे दिया है। अब बुवाई करनी है लेकिन खाद नहीं मिल रहा है। जिसके चलते किसानों की देरी से बुवाई होगी तो उत्पादन प्रभावित होगा। वहीं दुबारा पानी देना पड़ेगा। किसान अपनी परेशानी के साथ परेशान और चिंतित नजर आ रहा है। क्योंकि इस बार खरीफ की उड़द ओर सोयाबीन की अधिकाश फसल खराब हो गई। वहीं नाम मात्र का उत्पादन हुआ है। उसके लिए जैसे तैसे करके साहूकारों से कर्ज लेकर खेती करने पर मजबूर हो रहे है।
आखिर खाद गया कहां
डीएपी खाद की किल्लत ने कई सवाल भी खड़े कर रखे है कि आखिर खाद की किल्लत क्यों हुई जबकि खरीफ के सीजन में डीएपी की जरूरत नहीं होती। उस समय जो खाद का वितरण हुआ वह खाद किस तरह वितरण हुआ। बाजारों में जो किल्लत दिख रही है। वह कालाबाजारी के लिए तो नहीं है। क्योंकि कई कंपनियों का कहना है कि डिमांड से अधिक डीएपी खाद का आवंटन हो चुका।
खेत तैयार हैं। पिछले आठ दिन से रोजाना इटावा आ रहा हूं कि जैसे तैसे डीएपी का इंतजाम हो जाए लेकिन थक हार कर शाम को घर लौट रहा हूं।
- पूरणमल, किसान, करवाड
डीएपी के लिए सभी दुकानों पर चक्कर लगा रहे है लेकिन एक ही जवाब मिलता है कि डीएपी नहीं है।
- रघुवीर गुर्जर, किसान, पीपल्दा।
इस वर्ष करीब 15 हजार डीएपी के कट्टों का वितरण किया जा चुका है। वहीं 50 हजार कट्टों की डिमांड की थी।
- बाबूलाल पारेता, सहायक व्यवस्थापक, इटावा मार्केटिंग।
डीएपी जैसे आवंटन होगा वैसे ही कृषि अधिकारियों की देखरेख में वितरण करवाया जा रहा है। अभी खाद नहीं आया है।
- मुरारीलाल बैरवा, कृषि अधिकारी, सुल्तानपुर।
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