संकरे मार्केट और तंग गलियों में कैसे बुझेगी आग, नहीं मिली फायर बाइक

दो गर्मियां बीती,

संकरे मार्केट और तंग गलियों में कैसे बुझेगी आग, नहीं मिली फायर बाइक

शहर के फायर अनुभाग में करोड़ों रुपए की बड़ी-बड़ी दमकलें हैं। वहां पिछले दो साल से फायर बाइक(बाइक दमकल) की आवश्यकता महसूस होने के बाद भी अभी तक नहीं मिली है। कता महसूस होगी।

कोटा । रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिए डारि, जहां काम आवे सुई, कहां करे तरवारि, अर्थात रहिम दास कहते हैं कि हर चीज का अपना महत्व होता है। जहां पर सुई काम करती है वहां पर तलवार काम नहीं कर सकती। ऐसा ही हाल कोटा नगर निगम में हो रहा है। कोटा शहर के फायर अनुभाग में करोड़ों रुपए की बड़ी-बड़ी दमकलें हैं। वहां पिछले दो साल से फायर बाइक(बाइक दमकल) की आवश्यकता महसूस होने के बाद भी अभी तक नहीं मिली है। जबकि एक बार फिर गर्मी का सीजन शुरु हो चुका है। शहर के विकास व विस्तार के साथ ही यहां बहुमंजिला इमारतों का निर्माण हो रहा है। नए कोटा शहर में हो रहे विकास व वहां लगने वाली आग की संभावनाओं को देखते हुए उस पर काबू पाने के लिए तो नगर निगम के फायर अनुभाग के पास करोड़ों रुपए के संसाधन व बड़ी-बड़ी दमकलें हैं। बहुमंजिला इमारतों व हॉस्टल में आग लगने पर उसे बुझाने के लिए 45 से 60 मीटर ऊंचाई तक की बड़ी दो हाइड्रोलिक लेडर दमकलें तक है। लेकिन मात्र लाखों की कीमत वाली फायर बाइक मिलने का इंतजार लम्बा होता जा रहा है।  अभी मार्च में ही जिस तरह से गर्मी अपने तेवर दिखाने लगी है। उसे देखते हुए आने वाले अप्रैल, मई और जून के तीन महीनों में अधिक गर्मी पड़ने की संभावना है। जिसमें आग लगने की घटनाएं भी हो सकती है। ऐसे में छोटी जगहों पर आग बुझाने के लिए फायर बाइक की आवश्यकता महसूस होगी। 

दोनों निगम क्षेत्रों के लिए 10 फायर बाइक
नगर निगम कोटा दक्षिण के सीएफओ राकेश व्यास ने बताया कि शहर के पुराने इलाके व मार्केट संकरे है। गर्मी के सीजन में अधिकतर घरों व दुकानों और शोरूम व मार्केट में एसी चलते है। ऐसे में कभी भी शॉर्ट सर्किट या गर्मी अधिक होने पर ट्रांसफार्मर में आग लगने की घटनाएं हो सकती है। ऐसे में बड़ी दमकलों के वहां जाने और आग बुझाने में परेशानी का सामना करना पड़ता है। व्यास ने बताया कि नगर निगम कोटा उत्तर व दक्षिण में 5-5 फायर बाइक की आवश्यकता है। इसकी डिमांड दो साल पहले स्वायत्त शासन विभाग व राज्य सरकार को भेजी गई थी। लेकिन पहले विधानसभा चुनाव की आचार संहिता में और फिर सरकार बदलने के कारण यह मामला अटका हुआ है। अभी विधानसभा चल रही है। इसके बाद ही इस संबंध में डीएलबी में बात कर जानकारी ली जाएगी। 

चार फायर स्टेशन, 34 दमकलें
कोटा के दोनों निगम क्षेत्रों में छोटी-बड़ी करीब 34 दमकलें हैं। जिनका व्यवस्था की दुष्टि से समान रूप से बंटावारा किया हुआ है। सब्जीमंडी, श्रीनाथपुरम्, भामाशाह मंडी व रानपुर समेत चार फायर स्टेशन है। पर्याप्त संख्या में फायर मेन व चालक भी है। कोटा दक्षिण में सिविल डिफेंस के स्वयं सेवकों को भी लगाया हुआ है।

20 लीटर की टंकी, 10 लाख कीमत
सीएफओ राकेश व्यास ने बताया कि फायर बाइक छोटी होने से संकरी जगहों पर आग बुझाने में काफी कारगर है। उस पर लगी पानी की टंकी 20 लीटर की रहती है। लेकिन उसमें फॉम व अन्य आग बुझाने के संसाधनों से लैस रहती है। साथ ही पानी की अधिक आवश्यकता होने पर नल से इसके पाइप को जोड़ने पर पानी उसी प्रेशर से फेकती है।  व्यास ने बताया कि इसकी उपयोगिता होने से इसकी कीमत करीब 10 से 12 लाख होगी। लेकिन ये फायर बाइक डीएलबी के स्तर पर ही क्रय कर कोटा भेजी जाएगी। उन्होंने बताया कि जयपुर व उदयपुर समेत कई शहरों में इस तरह की फायर बाइक फायर अनुभाग में हैं। 

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इन इलाकों में पड़ती है जरूरत
नए कोटा के साथ ही पुराना कोटा शहर भी है। पुराने शहर में बहुत सारे मार्केट व इलाके ऐसे हैं जो संकरे हैं और तंग गलियों से होकर गुजरते है। इनमें चाहे इंदिरा मार्केट हो या शास्त्री मार्केट। बजाज खाना हो या पाटनपोल । घंटाघर, चंद्रघटा, हिरण बाजार, श्रीपुरा, लाड़पुरा, करबला , मकबरा , चश्मे की बावड़ी समेत कई ऐसे इलाके हैं जहां जाने के रास्ते काफी संकरे हैं। अधिकतर क्षेत्रों में तो सिर्फ दो पहिया वाहन ही निकल पाते है। ऐसे में वहां आग लगने की घटनाएं होने पर  बड़ी दमकलें नहीं पहुंच पाती है। ऐसे में दमकलों को दूर खड़ा कर लम्बे पाइप से आग बुझाना पड़ता है। पूर्व में ऐसे कई मामले हो चुके है। संकरे मार्केट और तंग इलाकों में आग लगने की घटनाओं पर उन पर काबू पाने के लिए छोटी और फायर बाइक की आवश्यकता है। इसके लिए दो साल पहले कांग्रेस सरकार के समय से मांग की जा रही है। लेकिन अभी तक भी नहीं मिली है। 

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