असर खबर का - 87 लाख से चमका चिड़ियाघर, नए कलेवर में पक्षीघर
10 फीट ऊंचा और 30 फीट चौड़ा हुआ पक्षीघर
रियासतकालीन चिड़ियाघर लंबे अरसे बाद नए कलेवर में नजर आने लगा है
कोटा। रियासतकालीन चिड़ियाघर लंबे अरसे बाद नए कलेवर में नजर आने लगा है। 87 लाख की लागत से चिड़ियाघर का स्वरूप पूरी तरह से बदल गया है। पक्षीघर भी नए कलेवर में नजर आने लगा है। यहां एवियरी से ओपन आॅडिटोरियम तक विभिन्न विकास व सौंदर्यीकरण कार्य किए जा रहे हैं, जो अंतिम चरण में है। दरअसल, वर्ष 2023-24 की बजट घोषणा में यहां पक्षी घर बनाने के लिए 87 लाख का बजट अलॉट हुआ था लेकिन तत्कालीन अधिकारियों की लेटलतीफी के कारण कार्य शुरू नहीं हो सका और बजट वित्तिय वर्ष की समाप्ती के साथ लैप्स हो गया था। जिसे वर्तमान वाइल्ड लाइफ डीएफओ के प्रयास से सरेंडर हुआ बजट वापस मिल गया। जिससे पक्षियों व वन्यजीवों को सन1905 में बने पिंजरों को हटाकर नए पिंजरे बनवाए गए हैं।
40 लाख से बना पक्षीघर
वन्यजीव उप वन संरक्षक अनुराग भटनागर ने बताया कि यहां सबसे बड़ा काम पक्षीघर का कार्य है। यहां के सभी पिंजरे सन 1905 के बने हुए हैं। जिनमें लगा लोहा पूरी तरह से गल गया था, जगह-जगह टूट रहे थे और पक्षियों के हिसाब से इसकी ऊंचाई, लंबाई-चौड़ाई भी कम थी। जिससे पक्षियों को उड़ने में काफी दिक्कत होती थी। ऐसे में एवियरी (पक्षियों के एनक्लोजर) में लगा सभी लोहे को बदला गया और पहले की तुलना में इस बार एवियरी का दायरा 4000 मीटर बढ़ाया गया है। जिससे पक्षियों को सुविधाजनक रहने के लिए पर्याप्त जगह मिल सकेगी।
25 लाख का लगा लोहा, 10 फीट बढ़ाई ऊंचाई
पक्षीघर का आकार पूरी तरह से बदला गया है। इसकी 10 फीट ऊंचाई और 30 फीट लंबाई-चौड़ाई बढ़ाई गई है। साथ ही पुराने एवेरी में जगह-जगह लोहे के एंगलें लग रही थी, जिससे पक्षी टकराकर गिर जाते थे। ऐसे में उन्हें भी हटवाया पिंजरे का दायरा बढ़ाया गया है। अब यहां 70 से 80 विभिन्न प्रजातियों के पक्षी व्यवस्थित तरीके से रह सकते हैं और करीब 30 फीट ऊंचाई तक उड़ सकते हैं। नए एवियरी में 25 लाख की चैनिंग फेंसिंग लगी है।
दीवारों पर केमोफ्लाई पेंटिंग्स, जंगल का लुक
वन्यजीव विभाग और चिड़ियाघर की दीवारों पर केमोप्लाई पेंटिंग्स करवाई गई है, जो पक्षियों व वन्यजीवों को जंगल में होने का अहसास कराएगी। एवियरी की दीवारों पर भी यही पेंटिंग्स करवाई गई है। डीएफओ भटनागर कहते हैं, एवियरी की दीवारों को फोरेस्ट लुक दिया गया है। इसके अलावा, पुराना लैपर्ड के एनक्लोजर को भी पूरी तरह से बदला गया है, यहां भी पक्षियों को रखा जाएगा। हमारे यहां प्रतिदिन 5 से 6 पक्षी व वन्यजीव रेस्क्यू के आते हैं, जिन्हें यहां रखा जाएगा। लेपर्ड का पिंजरा 20 गुणा 20 फीट का होगा।
9 लाख से बना ओपन आॅडिटोरियम
बच्चों को वन्यजीवों के प्रति जागरूक करने के लिए यहां 9 लाख की लागत से ओपन आॅडिटोरियम बनाया गया है। जिसमें एक साथ 100 बच्चे बैठ सकते हैं। यहां डीएफओ आॅफिस में लगी एलईडी लगाकर आॅपन थिएटर का लुक दिया जाएगा। जिसमें बच्चों को वाइल्ड लाइफ से जुड़ी शोर्ट मूवी दिखाई जाएगी। ताकि, बच्चे पक्षी, वन्यजीव और पर्यावरण के प्रति जागरूक हो सकेंगे। आॅडिटोरियम में प्रतिदिन अवेयरनेस कार्यक्रम किए जाएंगे। जिसमें कॉलेजों व स्कूलों के विद्यार्थियों को लाइव डेमो देकर जागरूक किया जाएगा।
यहां 40 प्रजाति के पेड़,20 तरह की चिड़िया
कोटा जू में 40 प्रजातियों के पेड़ और 20 तरह की चिड़ियाओं का निवास है। जिसमें ओन्डबिल चिड़िया भी शामिल हैं, जो काफी रेयर है। इसके अलावा चिड़ियाघर के उबड़-खाबड़ रास्तों को समतल करवाया गया है। साथ ही 700 मीटर की सुरक्षा दीवार की मरम्मत करवाई गई है, जिस पर 11 लाख की लागत आई है। यहां विभिन्न कार्यों के लिए 10 अलग-अलग टेंडर किए गए हैं। जिसमें पर्यटकों के लिए नए सुविधा घर, एवियरी, लैपर्ड केज, इलेक्ट्रिक सहित अन्य कार्य शामिल हैं।
99% कार्य हो चुके पूरे, फिनिशिंग चल रही
चिड़ियाघर में पक्षीघर के लिए बजट दो माह पूर्व 1 जनवरी को मिला था। ऐसे में वित्तिय वर्ष की समाप्ती से पूर्व सभी कार्य पूरे करवाना चूनौतिपूर्ण था, जिसे पूरी तैयारी व डेडिकेशन के साथ पूरा कर लिया गया है। यहां एवियरी के अलावा 10 अन्य तरह के रिनोवेशन के कार्य करवाए गए हैं, जो लगभग पूरे हो चुके हैं। वर्तमान में 99% कार्य पूरे हो गए हैं, अब फिनिशिंग कार्य चल रहा है। मार्च की समाप्ती से पहले वह भी पूरा हो जाएगा। हमारा मुख्य उद्देश्य पक्षियों व वन्यजीवों के प्रति ज्यादा से ज्यादा अवेयरनेस प्रोग्राम चलाना है, ताकि, विद्यार्थियों को पक्षी, वन्यजीव व पर्यावरण के प्रति जागरूक हो सके, जिससे पर्यावरण संरक्षण के प्रहरी तैयारी हो सकेंगे।
-अनुराग भटनागर, डीएफओ वन्यजीव विभाग कोटा
Comment List