इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना कोटा उत्तर में ठप, दक्षिण में बजट नहीं

तीन माह से अधरझूल में है योजना

इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना कोटा उत्तर में ठप, दक्षिण में बजट नहीं

राजय में विधानसभा चुनाव की घोषणा के साथ ही करीब तीन माह से यह योजना कछुआ चाल चल रही है।

कोटा। शहरी गरीब लोगों को रोजगार देने वाली इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना कोटा में दम तोड रही है जिससे सैकड़ो मजदूर इन दिनों बेरोजागार घुम रहे है। राज्य की तत्कालीन कांग्रेस सरकार में शुरू की गई इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना का कोटा में बुरा हो रहा है। नगर निगम कोटा उत्तर में यह योजना पिछले करीब तीन माह से ठप है। जबकि कोटा दक्षिण में बजट नहीं मिलने से योजना में एक तिहाई ही श्रमिक बिना मानदेय के काम कर रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में चल रही मनरेगा योजना की तर्ज पर कांग्रेस सरकार ने शहरी क्षेत्र में इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना शुरू की थी। इस योजना के तहत आर्थिक रूप से कमजोर व गरीब बेरोजगार परिवारों को सौ दिन का रोजगार देना है। नगर निगम के माध्यम से इस योजना का संचालन किया जा रहा है। जिसमें बेरोजगार परिवारों ने रोजगार के लिए जॉब कार्ड बनवाए थे। उसके बाद रोजगार की डिमांड करने पर निगम की ओर से उन्हें न्यूनतम मजदूरी पर सौ दिन का रोजगार दिया गया था। जिस तरह से राज्य में सरकार बदलते ही इंदिरा रसोई योजना का नाम बदलकर अन्नपूर्णा रसोई योजना कर दिया गया है। उसी तरह से इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना के बंद होने या नाम बदलने की पूरी संभावना है। 

शुरुआत में दौड़ी, अब रेंग रही योजना
यह योजना शुरूआत में तो बहुत तेजी से दौड़ी। योजना में लाभ लेने के लिए बेरोजगार परिवारों की निगम में भीड़ लगी रही। हालांकि निगम ने शुरुआत में जिस तरह के काम इस योजना मेंÞ लिए थे। उन कामों को करने में श्रमिकों की रूचि नहीं थी। जिससे निगम को काम बदलने पड़े थे। उसके बाद योजना में महिला व पुरुष दोनों ही श्रमिकों ने काम किया। लेकिन राजय में विधानसभा चुनाव की घोषणा के साथ ही करीब तीन माह से यह योजना कछुआ चाल चल रही है। 

कोटा में 35 हजार से अधिक को रोजगार
9 सितम्बर 2022 को शुरू हुई इस योजना के तहत कोटा में दोनों नगर निगमों के माध्यम से कुल 35 हजार से अधिक बेरोजगार परिवारों को रोजगार दिया गया। नगर निगम कोटा उत्तर क्षेत्र  में दो जोन हैं। जोन प्रथम में 8369 और जोन द्वितीय में 4499 जॉब कार्ड बनाए गए।  जिसके तहत जोन प्रथम में सत्र 2022-23 में 6192 व वर्ष 2023-24 में 2226 कुल 8368 को रेजगार दिया गया। वहीं जोन द्वितीय में 2022-23 में 3183 व 2023-24 में 1315 यानि कुल 4498 को रोजगार दिया गया। इस तरह नगर निगम कोटा उत्तर में सितम्बर 2022 से अक्टूबर 2023 तक कुल 12 हजार 866 लोगों को रोजगार दिया गया। वहीं कोटा दक्षिण निगम में करीब 25 हजार जॉब कार्ड बनाए गए। जिसके माध्यम से बेरोजगार परिवारों को रोजगार दिया गया। 

दक्षिण में 350 श्रमिक ही कर रहे कार्य
नगर निगम कोटा उत्तर क्षेत्र में यह योजना करीब तीन माह से ठप है। विधानसभा चुनाव की आचार संहिता के बाद कोटा उत्तर निगम में इस काम में लगे जेटीए हटाने से यह योजना बंद सी हो गई है। उसके बाद एक भी मस्टरोल नहीं लगाई गई। वहीं कोटा दक्षिण में वर्तमान में यह योजना चल तो रही है लेकिन यहां श्रमिकों की संख्या एक तिहाई रह गई है। जानकारी के अनुसार इस क्षेत्र में रोजाना 1 हजार से 1200 श्रमिकों तक ने काम किया है। जबकि वर्तमान में मात्र 350 श्रमिक ही काम कर रहे हैं। वह भी तीन माह से बिना मानदेय के।  राज्य सरकार से इस योजना में बजट ही नहीं मिल रहा है। जिससे अक्टूबर से दिसम्बर तक श्रमिकों को भूगतान ही नहीं किया गया है। जिससे श्रमिक भी योजना में काम करने में रूचि नहीं दिखा रहे हैं। हालांकि दशहरा मैदान समेत कई जगह पर घास कटाई और गार्डन व दीवारों में रंगाई पुताई का काम इन श्रमिकों से लिया जा रहा है। 

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तीन माह से भुगतान नहीं कैसे चलाएं घर
परिवार का गुजारा चलाने के लिए निगम में काम कर रहे हैं। लेकिन तीन महीने से पैसा ही नहीं मिल रहा। अधिकारी कहते हैं सरकार से नहीं आया। ऐसे में उधार लेकर काम चलाना पड़ रहा है। घर चलना मुश्किल हो गया है। 
- घीसी बाई, महिला श्रमिक

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सौ दिन रोजगार के फैर मेंदिहाड़ी अटकी
काम नहीं मिलने से काफी समय तक बेरोजगार रहा। सोचा निगम में काम मिल रहा है तो कर लेते हैं। कम से कम सौ दिन तो काम चलेगा। लेकिन यहां भी सरकार से पैसा नहीं आने से बिना पैसे के काम करना पड़ रहा है। इसी आशा में कि सरकारी काम है पैसा एक ना एक दिन तो मिलेगा ही। 
- मांगीलाल, श्रमिक 

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इनका कहना है
कांग्रेस सरकार में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नाम पर यह योजना शुरू की थी। इसका मकसद शहर के बेरजगार परिवारों को सौ दिन का रोजगार देना है। इससे हजारों परिवारों को रोजगार मिला भी है। इस योजना के लिए अलग से अधिकारी लगाए गए हैं। लेकिन सरकार बदलने के साथ ही योजना का नाम बदलना स्वाभाविक है। हालांकि अभी तक सरकार या मुख्यालय के स्तर पर इस संबंध में कोई आदेश निर्देश नहीं हैं। कोटा उत्तर में यह योजना ठप सी है। जबकि दक्षिण में भी लाखों रुपए का बजट अटका हुआ है। योजना के भविष्य के बारे में फिलहाल कोई अधिक जानकारी नहीं है। 
- प्रेम शंकर शर्मा, मुख्य अभियंता, नगर निगम कोटा उत्तर 

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