ज्यादा लाभ मतलब धोखा, सतर्क रहें पाँजी स्कीम्स से
राज्य में (बड्स)अनियमित जमा योजना प्रतिबंध अधिनियम 2019 लागू हो
लालच, इमोशन और आपसी रिश्तों से फंसते है चिटफंड कंपनियों में निवेशक, निवेश से पहले यह ध्यान रखना होगा कि कम्पनी अधिकृत जगह पर पंजीकृत है या नहीं।
कोटा । समाज के विभिन्न मुद्दों पर आयोजित परिचर्चा की श्रंखला में शुक्रवार को धोखाधड़ी पूर्ण निवेश घोटालों में लोगों के फंसने के बाद उसके प्रभाव और दुष्प्रभाव को लेकर दैनिक नवज्योति कार्यालय में मासिक परिचर्चा का आयोजन किया गया। परिचर्चा में पांजी स्कीम्स से बचने के तरीके, व्यक्ति आखिर किन परिस्थितियों में ऐसी स्कीम का शिकार होता है, उसे शिकार बनाने में कौनसा मनोविज्ञान काम करता है। रिश्तेदारों की भूमिका ऐसे मामलों में क्या रहती है। क्यों पूरे के पूरे परिवार ऐसी खोखली योजनाओं में फंस कर लुट जाते हैं। ऐेसे सभी मुद्दों पर चर्चा की गई। चर्चा में मुख्य रूप से लालच और महत्वाकांशा के साथ परिस्थितियों का मुद्दा उठा जो ऐसी घटनाओं का बायस बनता है। परिचर्चा का विषय था व्हाई पीपल गेट ट्रेप्ड इन पॉंजी स्कीम्स। इस परिचर्चा में चाटर्ड एकाउन्टेन्ट एन्ड इन्वेस्टमेंट बैंकर,एडवोकेट, निवेशक, सहकारिता विभाग के रिटा. अधिकारी, बिजनस मेन, कंपनी सैकेट्री, मनोचिकित्सक, सोशल वर्कर, गृहिणी, स्कीम्स के पीड़ित सहित सभी विषय विशेषज्ञों ने अपनी बात रखी । प्रस्तुत हैं उसके अंश:-
छोटी सी चीज की करते जांच परख, निवेश की क्यों नहीं
व्यक्ति छोटी सी भी चीज खरीदता है तो बहुत जांच परख कर उसमें पैसा लगाता है। लेकिन पॉंजी स्कीम्स में कम्पनियों के एजेंटो के झांसे में आकर बिना सोचे समझे ही लाखों रुपए निवेश कर देता है। जबकि व्यक्ति को खुद की राशि को खुद ही सोच-समझकर सही जगह पर निवेश करना चाहिए। व्यक्ति खुद लालच में आकर इन कम्पनियों के झांसे में फंसता है। निवेश करने से पहले यह ध्यान रखना होगा कि कम्पनी अधिकृत जगह पर पंजीकृत है या नहीं। ऐसे में सरकार को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। निवेश सुरक्षित जगह पर ही करना चाहिए। लाभ कम मिले लेकिन रकम डूबने का खतरा नहीं रहेगा।
-पंकज लड्ढ़ा, निवेशक व समाज सेवी
निवेश से पहले दस्तावेजों की पुष्टि जरूरी
किसी भी प्राइवेट कम्पनी या फर्म द्वारा रकम को कम समय में अधिक लाभ देकर रिटर्न करने का दावा किया जाता है तो लोग जल्दी पैसा कमाने के लालच में उसमें फंस जाते है। उसका फायदा उठाकर कम्पनियां मोटी रकम लेकर लोगों को चूना लगाती है। हालांकि ऐसी फर्जी कम्पनियों पर शिकंजा कसने के लिए सरकार ने कम्पनी एक्ट लागू किया है। आईबीबीआई कानून बनाया है। जिसके माध्यम से निवेशक उन कम्पनियों के खिलाफ रजिस्ट्रार कार्यालय में शिकायत कर सकता है। कम्पनियों के खिलाफ कार्रवाई की जाती है। लेकिन निवेशकों को किसी भी जगह पर मोटी रकम निवेश करने से पहले उसकी पूरी जानकारी और दस्तावेजी पुष्टि कर लेनी चाहिए। उसके बाद ही निवेश करना चाहिए। लालच में न फंसते हुए सुरक्षित जगह पर ही निवेश करना चाहिए।
-अक्षय गुप्ता (सीएस)चैयरमेन कोटा चैप्टर आईसीएसआई
लोगों में जागरुकता की कमी
पॉंजी कम्पनियों में अधिकतर कम शिक्षित लोग ही फंसते है। छोटे-छोटे काम कर अपना परिवार चलाने वालों को कम समय में अधिक लाभ का लालच देकर उनकी रकम को हड़पा जा रहा है। जिसकी लोगों को जानकारी या आभास तक नहीं होता। ऐसे में आवश्यक है कि लोगों को इस तरह के फ्रॉड से बचाने के लिए जागरूकता अभियान चलाए जाएं। विशेष रूप से घरों में काम करने वाली महिलाओं व उनके परिवारों के लिए इस तरह के कार्यक्रम करना आवश्यक है। छोटी-छोटी कमाई से की गई बचत जब डूबती है तो उन परिवारों पर व्यथा व दर्द को कोई नहीं समझ सकता।
- डॉ. रेणु नैनावत एसोसिएट प्रोफेसर
फ्रॉडर हमेशा आगे, लालच पर कंट्रोल करें
लोग लालच भय और कमीशन के चक्कर में आकर ऐसी कंपनियों में बिना जानकारी के निवेश करते हैं। फ्रॉड करने वाला हमेशा निवेशक से एक कदम आगे होता है। लोगों को किसी भी कंपनी, बैंक संस्था में निवेश करने से पहले सेबी से रजिस्टर्ड सलाहकार से सलाह लेकर ही निवेश करें। बड्स एक्ट राजस्थान में लागू हो। लालच पर कंट्रोल करें। साथ निवेश के लिए जागरुकता जरुरी है। शिक्षा में निवेश शिक्षा होनी चाहिए। अपने लालच पर अंकुश लगाना होगा। एक साथ किसी संस्था में निवेश नहीं करें। लोगों को निवेश करने से पहले जोखिम और कंपनी का शैड्यूल समझकर ही निवेश करना चाहिए। किसी निवेश में जोखिम तो रहता ही है।
- अभिषेक गर्ग चार्टड एकाउन्टेन्ट एंड इनवेस्टमेंट बैंकर(चीयर बुल)
भरोसा बन रहा धोखाधड़ी का कारण
निवेशक के सलाकार को भी कंपनी के बारे में पूरा पता नहीं होता है। वो मौखिक ही निवेशक को जानकारी देता है, पेपर वर्क नहीं दिखाता है। सारा खेल भरोसे पर चलता है। यही भरोसा धोखाधडी का कारण बनता है। निवेशक यदि सेबी से रजिस्टर्ड सलाहकार से सलाह लेकर निवेश करेंगा तो जो रजिस्टर्ड सलाहकार वो कंपनी के सकारात्मक व नकारात्मक सभी पहलुओं पर निवेशक को बताएगा उसका पैसा कितना सुरक्षित कंपनी डूबेगी तो कौन जिम्मेदार होगा। यह सभी जानकारी रजिस्टर्ड सलाकार ही दे सकता है। राजस्थान में अनियमित जमा योजना प्रतिबंधित अधिनियम 2019 बड्स एक्ट लागू हो तो निवेशकों को शीघ्र न्याय मिलेगा। चिंड फंड कंपनियों पर अंकुश लगेंगा।
-नवीन शर्मा, एडवोकेट
जांच पड़ताल कर निवेश किया फिर भी डूबी रकम
हर व्यक्ति वृद्धि करना चाहता है। उसके लिए मेहनत के साथ ही यदि उसके पास रकम है तो वह उसका सुरक्षित निवेश करना चाहता है। भाई के कहने पर लाखों रुपए कम्पनी में निवेश किए। लेकिन उससे पहले उसकी पूरी जांच पड़ताल की और दस्तावेजी सत्यापन तक किया। भाई को तो लाभ हुआ लेकिन मुझे नहीं। कम शिक्षित ही नहीं शिक्षित लोग भी लालच में आकर फंस जाते है। किसी के भरोसे में आकर खुद की रकम को गलत जगह पर नहीं लगाएं। कहीं भी निवेश करें तो सोच समझकर व जांच पड़ताल के बाद ही करें। लालच में नहीं आएं वरना नुकसान होना तय है।
-ललित कुमार मल्होत्रा: एडवोकेट
परिचितों से पहले करते हैं सम्पर्क
पॉंजी कम्पनियों में काम करने वाले एजेंट सबसे पहले अपने नजदीकी व परिचितों से सम्पर्क कर उन्हें निवेश का लालच देते है। उनके द्वारा इस तरह की स्कीम बताई जाती है जिसमें कोई भी जल्दी झांसे में आ सकता है। हमारे परिवार में भी कुछ लोग झांसे में आकर निवेश कर चुके है। लेकिन जिस तरह से गम्भीर बीमारी में बचाव ही उपचार है। उसी तरह से अपनी रकम को कहीं भी निवेश करने से पहले पूरी जांच पड़ताल करें। अधिक लालच के झांसे में नहीं आए। सरकारी एजेंसी में निवेश से लाभ कम होगा लेकिन रकम सुरक्षित रहेगी।
-कुन्ती मूंदड़ा, सोशल वर्कर
अधिक लाभ का लालच मतलब धोखा
व्यक्ति कम समय में अधिक लाभ के लालच में आकर बिना सोचे समझे लाखों रुपए पॉंजी कम्पनियों में निवेश कर देता है। लेकिन अपनी रकम को सुरक्षित रखना है तो अधिक लाभ के लालच से बचना होगा। कम समय में अधिक लाभ का मतलब ही धोखा है। पूर्व में ऐसे एक झांसे में फंसने के बाद अब कोई फोन भी आता है और ज्यादा देने का नाम भी लेता है तो पूर्व के अनुभव से सबक लेकर साफ इनकार कर देती हूं। सभी को ऐसा ही करना होगा तभी बचा जा सकता है।
-सोनल विजयवर्गीय, एडवोकेट
रजिस्टर्ड संस्थाओं में करें निवेश
संस्थाओं में निवेश से पहले यह तय करे कि संस्था की प्रत्येक वर्ष वार्षिक साधारण सभा हो रही है या नहीं। हर साल संस्था आडिट करा रही है या नहीं संस्था लाभांश का वितरण कर रही है या नहीं यह जानकारी करने के बाद ही निवेश करना चाहिए। संस्था का विधान के अनुसार चुनाव हो रहा है या नहीं इसकी जानकारी रखनी चाहिए। साधारण सभा में जाना चाहिए। पंजीकृत कार्यालय में जाकर संस्था की जानकारी लेने के बाद ही निवेश करना चाहिए। निवेशक को सक्रिय व जागरूक होकर ही निवेश करना चाहिए।
-रामगोपाल शर्मा,सहकार विद रिटायर्ड आॅफिसर कॉपरेटिव डिपार्टमेंट
कम समय में रकम दोगुना करने वाली संस्थाओं से बचें
लोग लालच में कम समय में रकम दोगुना होने के लालच में बिना संस्था की जानकारी के निवेश कर देते हैं। निवेशक हमेशा फायदा ही देखता है। कंपनी के पेपर वर्क पर ध्यान नहीं देता । कंपनी के नियम और शर्त को ठीक से अध्ययन करकर निवेश करें तो ऐसे फ्रॉड से बच सकता है। सीबी से रजिस्टर्ड संस्थाओं में ही निवेश करना चाहिए। किसी भी कंपनी में निवेश कराने वाले अपने नजदीक वाले रिश्तेदार और परिवार के सदस्य ही होते है। उन पर भरोसा करके लोग आंख मूंद कर निवेश कर देते है। कंपनी की वास्तविक स्थिति की कोई पड़ताल नहीं करता है। सारा खेल भरोसे का है।
-सुशील जांगिड़, नौकरीपैशा पीड़ित
शुरू में रिटर्न दिया, बाद में धोखा
साथी के कहने पर अपेक्षा ग्रुप में लाखों रुपए निवेश किए। उसके द्वारा अच्छा रिटर्न मिलने का भरोसा दिलाया था। शुरुआत में अच्छा रिटर्न मिला भी। उसे देखते हुए स्वयं के अलावा अन्य रिश्तेदारों से भी इसमें निवेश कराया। मकान बनवाने की रकम अपेक्षा ग्रुप में निवेश कर दी। लेकिन बाद में जब राशि नहीं धोखा मिला तब तक बहुत देर हो चुकी थी। इसका केस भी चला लेकिन रकम नहीं मिली। हालत यह है कि अब मकान बनवाने के लिए लोन लेना पड़ा। इसलिए किसी भी जगह बड़ी रकम को निवेश करने से पहले उसके बारे में पूरी जांच पड़ताल करना बहुत जरूरी है। साथ ही अधिक लाभ के लालच से बचना होगा।
- संजीव साहनी व्यवसायी और पीड़ित
लोग फील गुड के नशे में चलते हैं
लोग कम समय में ज्यादा आय के चक्कर में कंपनी की प्रारंभिक जानकारियों तक नजर अंदाज कर जाते हैं। कंपनी की सकारात्मक चीजों को ही एजेंट द्वारा उनको दिखाई जाती है। निवेशक नकारात्मकता छोड़ देता है। जिससे वो ऐसी धोखाधडी में फंसता है। निवेशक हमेशा फील गुड के नशे में चलता है। डोमामिन केमिकल उसको सभी अच्छा ही महसूस करता है। जिससे वो उसके नकारात्मक पहलुओं को गौण कर जाता है। निवेश का नशा अफीम के नशे जैसा होता है जिसमें स्वयं तो फंसता दूसरे को भी फंसाता है। व्यक्ति को अपनी भावनाओं और लालच पर रेड फ्लेग लगाना होगा। तभी वो अवसाद से बच सकेगा ।
-डॉ. दीपक गुप्ता मनोचिकित्सक
कंपनी दोषी नहीं, सिस्टम में खामियों से लोगों का पैसा डूबा
कंपनी हमेशा निवेश का पैसा देती है। लेकिन सरकारी सिस्टम कंपनियों पर ऐसे नियम लगाकर उनको बंद कर देते हंै। उनकी संपत्ति जब्त कर लेते हैं उसके बाद निवेशकों को उनका पैसा नहीं लौटाते है। पल्स ग्रीन में जमीन में इन्वेस्ट किया लेकिन सरकार ने कंपनी सीज कर दी। उसकी पूूंजी ले ली लेकिन निवेशकों को लौटाई नहीं । ऐसे में सबसे ज्यादा परेशानी एजेंट को होती है। वो ही निवेशक के सीधे संपर्क में होता है। आमजन कंपनी पर नहीं एजेंट पर भरोसा कर निवेश करता है। कंपनी बंद हो जाती तो मरण एजेंट का होता है। सरकार कंपनी को बंद करती तो निवेशकों को पैसे समय पर लौटाने चाहिए। सहारा, पल्स ग्रीन, आदर्श कॉपरेटिव संस्थाओं ने लोगों के अभी तक पैसे वापस नहीं किए हंै।
-रघुराज सिंह प्राइवेट सहायक व पीड़ित
लालच पर लगाएं लगाम, कम मिले पर बेहतर मिले
लोगों को अपने लालच पर लगाम लगानी होगी। लेकिन लोगों की मजबूरी है उन्हें अपनी जरुरतों के लिए कहीं ना कहीं तो निवेश करना ही होता हैं। बेटी की शादी, बच्चों की शिक्षा और भविष्य के लिए कुछ जमा करना अच्छी बात है लेकिन अपनी जमा पूंजी को अधिक फायदे के चक्कर में गलत हाथों में देने से बचना चाहिए। इसके लिए पूरी पड़ताल करने के बाद ही निवेश करना चाहिए। चिटफंड कंपनियां हमेशा आपके भावनाओं के साथ खेलती है और आपको ज्यादा का लालच देकर निवेश कराती है इससे बचना चाहिए। हमें छोटी छोटी बचत को अलग अलग कंपनियों में निवेश करना चाहिए। बैंक कम फायदा देता लेकिन पैसा डूबने का जोखिम अन्य कंपनियों की अपेक्षा कम होता है।
-सविता यादव
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