पुराने से नहीं हो रहा मोह भंग, नया बस अड्डा उजड़ने लगा

कोरोना के बाद से नयापुरा बस स्टैंड की पुरानी बिल्डिंग से हो रहा संचालन : संजय नगर बस स्टैंड भवन में वर्कशॉप में जाने के लिए ही आती हैं बसें

पुराने से नहीं हो रहा मोह भंग, नया बस अड्डा उजड़ने लगा

2013 में नया बस स्टैंड भवन से ही होता था बसों का संचालन

कोटा। शहर के हृदयस्थल स्थित नयापुरा रोडवेज बस स्टैंड आज भी 50 साल पुरानी बिल्डिंग में ही संचालित हो रहा है। शहर के संजयनगर में स्थित नया रोडवेज बस स्टैंड बनने के बाद 2013 में सभी बसों का यहां संचालन शुरू कर दिया था। रोडवेज के सभी बड़े अधिकारी भी यही शिफ्ट हो गए है। कोरोना के बाद से सभी बसों का संचालन नयापुरा पुराना बस स्टैंड से ही रोडवेज बसों का संचालन रहा है। यूं भी कह सकते हैं कि रोडवेज का पुरानी बिल्डिंग में चल रहे बस स्टैंड से मोह भंग नहीं हो रहा है। वहीं रोडवेजकर्मियों का तर्क है कि यहां यात्रीभार ना के बराबर है तथा सभी नयापुरा बस स्टैंड से अपने गतंव्य के लिए यात्रा करते है। कुछ यह भी कहते हैं यहां केवल कोटा आगार की बसें ही आती है। अधिकारियों का कहना है कि यात्री चाहे तो कार्यशाला से बस स्टैंड जा रही बसों में चढ़ सकते है तथा टिकट बस के अंदर या नयापुरा बस स्टैंड से ले सकते हैं।  यहां वर्तमान में कुल 93 बसें है तथा 9 अनुबंधित है। स्टाफ की कमी के चलते कई बार शेड्यूल भी बदलता रहता है। यहां की बसे रोजाना 32 हजार किलोमीटर का सफर तय करती है। रोडवेज की पुरानी बसों की स्थिति काफी खराब है। नवज्योति के रिपोर्टर ने स्टिंग आॅपरेशन के दौरान व्यवस्थाओं को जाना तो हकीकत कुछ और ही नजर आई। संजयनगर स्थित नए भवन में बने बस स्टैंड में अधिकारियों व कर्मचारियों जब यहां से संचालित बसों के बारे में जानकारी मांगी तो ढुलमुल जवाब देते नजर आए। नवज्योति रिपोर्टर यात्री बनकर वहां खड़े कुछ लोगों से खाली पड़े बस स्टैंड के बारे जानकारी ली।

नयापुरा बस स्टैंड में है तकनीकी खामियां
रिपोर्टर जब नयापुरा बस स्टैंड पहुंचा तो हकीकत कुछ और ही नजर आई। हालांकि यह शहर की प्राईम लोकेशन है। लेकिन यह बिल्डिंग को समय के साथ अपडेट नहीं होने के कारण इसमें कई तकनीकी खामियां है। जिनको दूर करना जरूरी है।
- यह बिल्डिंग 50 साल से भी ज्यादा पुरानी है। बिल्डिंग की छतों से प्लास्टर गिर रहा है। आरसीसी के सरिए दिख रहे हैं। यहां बने कई कमरे जर्जर अवस्था में है। कमरों की दीवारों की तरेड़े भी आ रखी है। बारिश के दिनों में छतों से पानी टपकता रहता है।
- बस स्टैंड में बनी पुलिस चौकी भी जर्जर अवस्था में है। बरसात के दिनों में यहां बैठकर काम करना काफी मुश्किल है। यहां चौकी इंचार्ज कृष्ण गोपाल मीणा को कई बार कमरे में पानी भरे होने के बावजूद सारा काम देखना पड़ता है। इस बारे में आलाधिकारियों को भी अवगत करवा रखा है।
- सबसे बड़ी बात बस स्टैंड पर बनी सड़कों लेवल काफी नीचे हैं। बरसात के दिनों में सड़कों से सारा पानी यहां आ जाता है तथा जलभराव या सरोवर बन जाता है। इस दौरान यात्रा करना काफी मुश्किल है।  जब बस स्टैंड का निर्माण हुआ तो गतंव्य की जाने वाली सड़कों का लेवल बराबर था। अब 2025 में मुख्य सड़कों का लेवल काफी उपर हो गया है। इस कारण यहां आने-जाने वाले यात्रियों को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है।
- बस स्टैंड की सड़क का लेवल काफी नीचे है। इस कारण यहां से निकलने वाली बसों के लिए चढ़ते या उतरते समय आस-पास भीड़ होने से हादसे का भी डर बना रहता हैं। क्योंकि रोडवेज 
की अधिकांश बसों की स्थिति काफी खराब है। 
- एक ड्राइवर ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि अधिकांश बसें काफी पुरानी है यहां कार्यशाला जाने के बावजूद भी ब्रेक फेल या अन्य तकनीकी कारणों से हादसे की आशंका बनी रहती है।

बातचीत के कुछ अंश
रिपोर्टर : बुकिंग खिड़की कहां पर है।
कार्मिक : सामने बनी हुई है।
रिपोर्टर : : उस बुकिंग खिड़की में तो अनावश्यक सामान पड़ा है।
कार्मिक : आपको जाना कहां है
रिपोर्टर : बीकानेर जाना है... लेकिन यहां तो टिकट खिड़की भी बंद है और बसे भी नजर नहीं आ रही है।
कार्मिक : आप कार्यशाला से अभी बस नयापुरा बस स्टैंड के लिए निकलेगी उसमें चढ़ जाएं..टिकट भी वहीं से मिलेगा।
रिपोर्टर : क्या यहां से बसों का संचालन नहीं होता है।
कार्मिक : कोरोना के बाद सभी बसें वहीं से जा रही है। वैसे यहां कोटा आगार की बसें ही यहां आती है कार्यशाला में जाने के लिए
रिपोर्टर : धन्यवाद भाई।

फैक्ट फाइल
93 कुल बसें 
09 अनुबंधित 
32 हजार किमी रोजाना का सफर 

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एक्सपर्ट व्यू
 नयापुरा बस स्टैंड पुराना जरूर है लेकिन प्राइम लोकेशन होने के कारण अधिकांश यात्री इसी बस स्टैंड से सफर करना पसंद करते है। दूसरी बात निजी बस स्टैंड भी पास ही है। इस कारण यात्रियों के पास आॅप्शन रहता है कि किसी भी बस से यात्रा कर सकते हैं। संजय नगर स्थित बस स्टैंड काफी दूर है। यहां से बस नयापुरा पहुंचने में भी 25 से 30 का समय लग जाता है। वहां पहुंचने से पहले ही यात्री निजी बसों की सेवा ले लेते हैं। जिस कारण रोडवेज का आर्थिक नुकसान का भी डर रहता है। ऐसे कई कारण है जिनसे यात्रियों के हितों के लिए बस कार्यशाला से निकल ही सीधे नयापुरा बस स्टैंड ही जाती है। हालांकि यहां आने वाली यात्री कार्यशाला से निकलने वाली बस में बैठकर नयापुरा बस स्टैंड पहुंच सकते हैं। टिकट बस में भी उपलब्ध है और रोडवेज बस स्टैंड से भी ले सकते है।
- अजय मीणा, चीफ मैनेजर, रोडवेज डिपो, कोटा

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मानव जीवन भी पड़ सकता हैं खतरे में
पुरानी बिल्डिंग के जर्जर होने से हादसे की आशंका भी बनी रहती है। नयापुरा स्थित पुराना बस स्टैंड का रख-रखाव भी सही नहीं है। यहां मरम्मत के नाम पर केवल खानापूर्ति ही की जाती है। यहां से बड़ी संख्या में यात्री सफर करते हैं। यहां आने वाले यात्रियों को उनके परिजन भी छोड़ने आते हैं। इस दौरान कोई हादस घटित होता है तो मानव जीवन भी खतरें में पड़ सकता है।
- शैलेन्द्र सिंह यात्री दादाबाड़ी विस्तार योजना 

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कोटा आगार की सभी बसें कार्यशाला आती है तथा बसों की जांच की जाती है। ड्राइवरों से भी बातचीत की जाती है। हालांकि बसे पुरानी जरूर है लेकिन इस कार्यशाला से सही कंडीशन होने के बाद ही बसें बाहर जाती है। मैकेनिक बसों का रख-रखाव अच्छा करते हैं। यहां पर आ रहे यात्री बस से जा सकते हैं। यहां यात्रीभार ना के बराबर है। यहां से बस निकलकर नयापुरा ही जाती है। वहां से अपने गंतत्वय की और रवाना होती है। नयापुरा बस स्टैंड शहर की प्राइम लोकेशन है। सभी यात्री वहीं पर आते है।
- शुचिता गुप्ता, एमओ, रोडवेज कार्यालय, कोटा

 

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