क्रिकेट मैदान पर न आउट की पुकार, न हाउज दैट की गूंज..बस खुशी का इजहार, मूक-बधिर खिलाड़ियों ने बिना बोले लिखी जीत की कहानी
हाथों के इशारों में झलका हार-जीत का उत्साह
राजस्थान में पहली बार राज्य स्तरीय अंडर-19 मूक बधिर क्रिकेट टूनार्मेंट में प्रदेशभर की 18 टीमों के 300 खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया।
कोटा। शहर में राज्य स्तरीय अंडर-19 मूक-बधिर क्रिकेट टूनार्मेंट के दूसरे दिन मैदान पर ऐसा दृश्य देखने को मिला, जिसने हर दर्शक के दिल को छू लिया। यहां कोई आवाज नहीं गूंज रही थी, न आउट की पुकार, न हाउज दैट की गूंज फिर भी खेल का रोमांच किसी भी आइपीएल मैच से कम नहीं था। इस टूनार्मेंट में बच्चे अपने हाथों के इशारों, मुस्कान और चेहरे के भावों से जीत और हार की पूरी कहानी बयां कर रहे थे। मैच की शुरूआत से ही खिलाड़ियों का जोश देखते ही बनता था। गेंदबाज रन-अप लेते हुए टीममेट्स को इशारे से प्रोत्साहित करता, विकेट मिलने पर दोनों हाथ ऊपर उठाकर हवा में थम्स-अप देता। दूसरी ओर बल्लेबाज चौका लगाते ही बल्ला उठाकर साथियों की ओर मुस्कराकर देखता मानो कह रहा हो, हम कर सकते हैं। यह सब कुछ बिना बोले, केवल दिल से महसूस किया जा सकता था। राजस्थान में पहली बार आयोजित इस राज्य स्तरीय अंडर-19 मूक बधिर क्रिकेट टूनार्मेंट में प्रदेशभर की 18 टीमों के 300 खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया।
सब कुछ इशारों में
शिक्षक दिनेश कुमार सुमन ने जब कोटा क्रिकेट टीम को जीत की बधाई दी, तो खिलाड़ियों ने हाथों से धन्यवाद का साइन किया और मुस्कुराते हुए जीत की मुद्रा में हाथ लहराए। किसी को आउट करने पर गेंदबाज साथी के पास जाकर थम्स-अप देता, और चौका पड़ने पर फील्डर हल्के मजाकिया इशारों से अपनी प्रतिक्रिया देता, यह सब कुछ बिना बोले, मगर पूरे भाव से समझाया। अंपायर भी आउट, नो-बॉल, वाइड या ओवर पूरा होने के संकेत विशेष हैंड साइन से देते। दर्शक दीर्घा में बैठे लोग भी इस मौन उत्सव का हिस्सा बने। तालियों की जगह वे हाथ ऊपर उठाकर लहराते और चेहरे के भावों से खुशी जताते। इस अनोखे माहौल में किसी को आवाज की कमी महसूस नहीं हुई, क्योंकि हर इशारा अपने आप में एक संदेश था। मैच में खेल रहे बधिर खिलाड़ियों ने बॉलिंग करना, कैच पकड़ना, जीत की खुशी का इजहार के साथ रन दौड़ने की रणनीति को ईशारों के रूप में बताया।
चेहरे का हावभाव ही भाषा का व्याकरण
बाधित बाल विकास केन्द्र की अध्यक्ष सर्वेशरी रानीवाला ने नवज्योति से बातचीत में कहा, जब साइन लैंग्वेज की बात आती है, तो चेहरे के हाव-भाव ही उसका व्याकरण होते हैं। बिना एक्सप्रेशन हमारी भाषा अधूरी है। हम अपने भावों को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाते हैं ताकि देखने वाला हमारे हर एहसास को महसूस कर सके। विद्यालय में बच्चों को खेल के साथ-साथ व्यावसायिक प्रशिक्षण भी दिया जाता है ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें। हम चाहते हैं कि ये बच्चे सिर्फ खेल में ही नहीं, बल्कि हर क्षेत्र में आगे बढ़ें और अपनी पहचान बनाएं।
वीडियो कॉल पर खुशी का इजहार
एक अन्य खिलाड़ी ने अपनी जीत की खुशी अपने परिवार में वीडियो कॉल करके अपने चेहरे व हाथ के ईशारों से मैच की जानकारी दी तथा कोटा के जेके पैवेलियन में हुए मैचों के रोमांचक क्षणों को साझा किया। वहीं वीडियो कॉल पर बात करते हुए उसके साथी ने भी उसका हौंसला बढ़ाया। शिक्षक दिनेश कुमार सुमन ने बताया कि सभी बधिर बच्चे हर सामान्य की तरह ही अपने हर छोटी खुशी को एक दूसरे से साझा करते है तथा इस मैदान में नए बने दोस्तों के साथ खूब इशारों-इशारों में मैच के दौरान घटित क्षणों का लुत्फ उठाते है।
टूर्नामेंट सभी के लिए बनेगा प्रेरणादायक
बच्चे हमें सिखाते हैं कि खेल भावना का कोई शब्दकोश नहीं होता। असली खेल भावना अनुशासन, मेहनत और आपसी सम्मान में होती है। जब कोई टीम हारती भी, तब विरोधी टीम के खिलाड़ी उनके पास जाकर कंधे पर हाथ रखकर हौसला बढ़ाते। कोई कटुता नहीं, केवल स्नेह और खेल के प्रति समर्पण दिखाई देता। खेल के माध्यम से ये बच्चे समाज को यह संदेश दे रहे हैं कि सीमाएं शरीर में नहीं, सोच में होती हैं। क्रिकेट खेल के माध्यम से अन्य बच्चों के लिए प्रेरणा है। बधिर बच्चों ने इस खेल के माध्यम से सभी का दिल जीत लिया।
-वाइबी सिंह, खेल विकास अधिकारी, कोटा

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