रिवाइल्डिंग पर उठ रहे सवाल - हुक्मदारों के दोहरे नजरिए में फंसी बाघों की तकदीर

रिस्का के बाघ एसटी-2303 को सब-एडल्ट मान रामगढ़ किया शिफ्ट

रिवाइल्डिंग पर उठ रहे सवाल - हुक्मदारों के दोहरे नजरिए में फंसी बाघों की तकदीर

अभेड़ा के दोनों बाघों को शावक मान पिंजरे में किया कैद।

कोटा। वन विभाग के हुक्मदारों के दोगले रवैये व नजरिए में बाघों की तकदीर ऐसी फंस की जिंदगी आजादी को तरस गई। एक तरफ सरिस्का के बाघ एसटी-2303 को सब-एडल मान हरियाणा से रामगढ़ शिफ्ट कर दिया। वहीं, दूसरी ओर अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क में रह रहे दोनों बाघों को 2 साल बाद भी शावक मान 3 गुना 3 के पिंजरे में रख जिंदगी बर्बाद की जा रही है। हैरत की बात यह है, सब कुछ जानते हुए भी जिम्मेदार खामोश है। इधर, वन्यजीव प्रेमियों में भी दोनों बाघों के नसीब को लेकर बहस छिड़ गई। 

ढाई साल की उम्र में सरिस्का बाघ को मिली रामगढ़ की सल्तनत
सरिस्का का बाघ एसटी-2303 की उम्र करीब ढाई से तीन साल के बीच है, जिसे वन अधिकारियों ने सब-एडल मान रामगढ़ टाइगर रिजर्व में शिफ्ट कर दिया। लेकिन, अभेड़ा के दोनों बाघ को 2 साल की उम्र के बाद भी शावक मान पिंजरे में कैद रखा जा रहा। जबकि, बायोलॉजिस्ट के अनुसार, साढ़े 3 साल तक की उम्र के टाइगर सब-एडल की श्रेणी में आते हैं। ऐसे में एक ही कैटेगिरी के बाघों में भेदभाव वन विभाग के हुक्मदारों की कथनी और करनी को दर्शाता है। 

कमेटी के प्रस्तावों को नहीं दी तवज्जो
एनटीसीए द्वारा गठित कमेटी दर्जनों बारा शावकों को दरा के 28 हैक्टेयर एनक्लोजर में शिफ्ट करने के प्रस्ताव मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक को भेज चुकी है।  जिसे हर बार दरकिनार कर दिया गया। कमेटी में शामिल बाघ विशेषज्ञों का कहना है, दोनों बाघ दो साल के हो चुके हैं। ऐसे में इन्हें शावक नहीं माना जा सकता। जबकि, रणथम्भौर में 2 साल के बाघ को सब एडल मानते हुए नई आईडी दे दी जाती है और वह अपनी  टेरिटरी की खोज में जुट जाता है। लेकिन, अभेड़ा के दोनों बाघों को अब भी शावक माना जा रहा है, जो गलत है।  

इधर, आजादी को तरसे, उधर, हरियाणा तक घूमा
अभेड़ा के दोनों बाघ 3 गुणा 3 साइज के पिंजरे में जिंदगी काट रहे हैं। 2 साल से अपनी आजादी को तरस रहे हैं। जबकि, इस उम्र के बाघ जंगल में अपनी टेरीटरी की खोज में 20 से 25 किमी तक प्रतिदिन मूवमेंट करते हैं। जिसका उदारहण बाघ एसटी-2303 है। वह सरिस्का से हरियाणा तक मूवमेंट कर रहा था। इस उम्र के बाघ सब-एडल की श्रेणी में आते हैं और खुद को एक्सप्लोर करते हैं। लेकिन, पिंजरों में कैद कोटा के दोनों बाघ अब भी शावक बनाकर उनकी जिंदगी से खिलवाड़ किया जा रहा है।  

Read More प्रदेश में सरपंचों के नहीं होंगे चुनाव, लगेंगे प्रशासक

रिवाइल्डिंग के नाम पर कर रहे कू्ररता
अभेड़ा के दोनों बाघों को 3 गुना 3 के पिंजरे में रख उनके साथ कू्ररता की जा रही है। भारतीय क्रूरता अधिनियम के तहत इन्हें बहुत गलत तरीके से रखा जा रहा है। इससे बाघ तनाव में रहते हैं। जंगल में जीवन जीने के गुण नहीं सीख पा रहे। लंबे समय तक बंद कमरे में रहने से उनकी हड्डियां व मसल्स का विकास अवरूद्ध होगा। जंगल की विपरित परिस्थतियों में खुद को ढालना, दौड़ना, घात लगाना, दूसरे जानवरों से खुद को बचाना सहित शिकार करने की कला नहीं सीख पाएंगे। इन्हें लंबे समय से एक ही तरह का भोजन दिया जा रहा है जबकि, शरीर के पूर्व विकास के लिए भोजन में विभिन्नता होनी जरूरी है, जो जंगल में मिल सकती है, पिंजरे में नहीं।
- डॉ. अखिलेश पांड्य, वरिष्ठ पशु चिकित्सक कोटा 

Read More सवा साल में चौपट हो गई चौपाटी

दो साल की उम्र के शावक सब-एडल की श्रेणी में आ जाते हैं। इस उम्र के शावकों को रणथम्भौर में नई आईडी दे दी जाती है। पिंजरे में रहने से यह शिकार करना नहीं सीख पाएंगे। चलने-फिरने की जगह नहीं होने से भोजन ठीक से पच नहीं पाएगा। जिससे पेट संबंधित बीमारियां हो सकती है। बॉडी में फेट बढ़ने से लीवर खराब हो सकता है। रणथम्भौर के बाघ टी-104 की मौत भी लीवर फेल होने की वजह से उदयपुर के सज्जनगढ़ में हुई थी। इन्हें जल्द से जल्द बड़े एनक्लोजर में शिफ्ट किया जाना चाहिए। जंगल में टेरिटोरियल फाइट व टेरिटोरियल मार्किंग करना भी नहीं सीख पाएगा।
- हरिमोहन मीणा, वन्यजीव एक्सपर्ट, रणथम्भौर टाइगर रिजर्व

Read More मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा पहुंचे बीजेपी ऑफिस, अटल बिहारी वाजपेयी के जीवन पर लगी प्रदर्शनी का किया उद्घाटन

चिड़ियाघर में बाघ शिफ्ट करना सरल उपाए है लेकिन जंगल में छोड़ा जाना चुनौतिपूर्ण है। हम यह चुनौति स्वीकार करते हैं और अंतिम क्षण तक हम रिवाइल्डिंग करेंगे। मुकुंदरा में मादा शावक के लिए 6 हैक्टेयर का एनक्लोजर तैयार किया जा रहा है और रामगढ़ में नर शावक के लिए 5 हैक्टेयर का एनक्लोजर है। जल्द ही इन्हें शिफ्ट किया जाएगा। 
- रामकरण खैरवा, सीसीएफ कोटा

अभी शावकों को छोड़े जाने के आदेश नहीं हुए हैं। प्रक्रिया चल रही है। भारत सरकार ने कुछ जानकारी मांगी है, जिसका जवाब दे रहे हैं। इसके बाद परमिशन मिलने पर शिफ्टिंग का काम होगा। 
- पीके उपाध्याय, प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक

एक्सपर्ट व्यू
जंगल में अब इनका कोई भविष्य नहीं है। अब इन्हें चिड़ियाघर में ही रखा जाना चाहिए। यदि, इन्हें रिवाइल्डिंग करनी ही थी तो एक साल पहले करनी चाहिए थी। जबकि, कोटा इसके लिए मुफीद था, क्योंकि यहां दरा में 84 हैक्टेयर का एनक्लोजर है। जिसमें रिवाइल्डिंग बेहतर तरीके से हो सकती थी, लेकिन अच्छा अवसर खो दिया है। चूंकी, यह दो साल के हो चुके हैं, अब यह शावक रिवाइल्ड नहीं हो सकते। इस बारे में सोचना ही बेकार है। क्योंकि, जंगल में सरवाइव के लिए मानव से भय होना जरूरी है। यदि, इंसान से डरेगा नहीं तो उसकी ओर आकर्षित होगा। जिससे इंसान-वन्यजीव में संघर्ष बढ़ेगा। शिकार करने की कला सीख लेनी चाहिए थी, जो अब तक सीखा नहीं पाए। सबसे बड़ी बात है इंसान के साथ कैसा बर्ताव या व्यवहार करना चाहिए, यह मां ही सिखाती है लेकिन इनकी मां नहीं है। ऐसे में वो चीज यह नहीं सीख पाए और कोई इन्हें सीखा भी नहीं सकता। बरहाल, दोनों शावक मानसिक रूप से जंगल में रहने को प्रिपेयर नहीं हो पाए। ऐसे में रिवाइल्डिंग करना उचित नहीं है, चिड़ियाघर में रखा जाना ही सही होगा।
- धर्मेंद्र खंडाल, बायोलॉजिस्ट, टाइगर वॉच संस्था, सवाईमाधोपुर

Post Comment

Comment List

Latest News

कांग्रेस नेताओं के बयानों से भड़की आप, भाजपा के साथ मिलीभगत का लगाया आरोप कांग्रेस नेताओं के बयानों से भड़की आप, भाजपा के साथ मिलीभगत का लगाया आरोप
कांग्रेस ने दिल्ली में आप के प्रमुख अरविंद केजरीवाल का पूर्व में साथ देकर गलती की, जिसका खामयाजा पार्टी को...
कांग्रेस कमेटियों में बढ़ेगी पदाधिकारियों की संख्या, जिलाध्यक्षों से मांगे जाएंगे प्रस्ताव
डीएलबी निदेशालय के बाहर भ्रष्टाचार के खिलाफ अनशन पर बैठे लोग, अधिकारियों पर लगाया आरोप
राजस्थान हाईकोर्ट को मिलने वाले हैं 3 न्यायाधीश
विदेशी ताकतों के इशारे पर भारत को तोड़ने वाले नक्शे लाई है कांग्रेस : सुधांशु 
इतिहास से वर्तमान तक युवा ऊर्जा ने देश की प्रगति में निभाई बड़ी भूमिका : मोदी
लिफ्टिंग मशीन से हर महीने बचा रहे 100 गौवंश की जान