अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क में 3 साल बाद भी शुरू नहीं हुुआ सैकंड फेज का काम, पर्यटकों में नाराजगी

घोषणा के 5 माह बाद भी नहीं मिला 25 करोड़ का बजट

अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क में 3 साल बाद भी शुरू नहीं हुुआ सैकंड फेज का काम, पर्यटकों में नाराजगी

द्वितीय चरण में बनने हैं 31 एनक्लोजर, वेटनरी हॉस्पिटल, कैफेटेरिया।

कोटा। मुख्यमंत्री बजट घोषणा के 5 माह बाद भी अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क को 25 करोड़ का बजट अब तक नहीं मिला। जबकि इस राशि से यहां 31 एनक्लोजर बनाए जाने हैं। बजट के अभाव में चिड़ियाघर में बंद दो दर्जन से अधिक वन्यजीवों की बायोलॉजिकल पार्क में शिफ्टिंग अटकी हुई है। यहां न तो कैफेटेरिया है और न ही बड़े वन्यजीव, ऐसे में यहां आने वाले पर्यटकों को टिकट का पैसा अखर रहा है और वन विभाग को कोसते हुए मायूस लौट रहे हैं। जिम्मेदार अधिकारियों की लेटलतीफी के कारण पर्यटन परवान नहीं चढ़ रहा।  दरअसल, अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क में द्वितीय चरण के तहत करोड़ों की इस राशि से कई निर्माण कार्य होने हैं, जो बजट के अभाव में शुरू नहीं हो पाए। वन्यजीव विभाग द्वारा सरकार को कई बार प्रस्ताव भेजे जा चुके हैं।  इसके बावजूद बजट नहीं मिला।  

पर्यटकों में नाराजगी, अखर रहा टिकट का पैसा 
वर्तमान में बायोलॉजिलक पार्क में कुल 60 से 70 वन्यजीव हैं, जिनमें मांसाहारी और शाकाहारी हैं। यहां आने वाले पर्यटक 55 रुपए खर्च करने के बावजूद बब्बर शेर, टाइगर, मगरमच्छ, घड़ियाल, अजगर सहित अन्य बड़े वन्यजीव का दीदार नहीं कर पाने से निराश होकर लौट रहे हैं। वहीं, वनकर्मियों को पर्यटकों की नाराजगी भी झेलनी पड़ती है। 

द्वितीय चरण में यह होने हैं कार्य
अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क में द्वितीय चरण के तहत 25 करोड़ की लागत से 31 एनक्लोजर, स्टाफ क्वार्टर, कैफेटेरिया, वेटनरी हॉस्पिटल, इंटरपिटेक्शन सेंटर, पर्यटकों के लिए आॅडिटोरियम हॉल, छांव के लिए शेड, कुछ जगहों पर पथ-वे सहित अन्य कार्य शामिल हैं। 

चिड़ियाघर से वन्यजीवों की नहीं हो पा रही शिफ्टिंग  
बायोलॉजिकल पार्क के निर्माण के दौरान 44 एनक्लोजर बनने थे लेकिन प्रथम चरण में मात्र 13 ही बन पाए। जबकि, 31 एनक्लोजर अभी बनने बाकी हैं। जब तक यह एनक्लोजर नहीं बनेंगे तब तक पुराने चिड़ियाघर में मौजूद अजगर, घड़ियाल, मगरमच्छ, बंदर व कछुए सहित एक दर्जन से अधिक वन्यजीव बायलॉजिकल पार्क में शिफ्ट नहीं हो पाएंगे। पार्क में नए एनिमल नहीं होने से पर्यटकों की संख्या में कमी हो रही है। जिसका असर सरकार के राजस्व पर देखने को मिल रहा है। 

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30 करोड़ से बना था बायोलॉजिकल पार्क 
डीसीएफ उड़नदस्ता अनुराग भटनागर ने बताया कि वर्ष 2017 में 30 करोड़ की लागत से बायोलॉजिकल पार्क का निर्माण कार्य शुरू हुआ था। जिसे 2019 में पूरा किया जाना था लेकिन कोविड़ के 2 साल के कारण काम समय पर पूरा नहीं हो सका। इसके बाद 21 नवंबर 2021 को प्रथम चरण का काम पूरा हुआ। जिसमें 13 एनक्लोजर बनाए गए। इसके अलावा पथ-वे, पर्यटकों के लिए सुविधाघर, छायादार शेड, जल व्यवस्था के लिए टैंक सहित फेंसिंग करवाई गई। 

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प्रस्ताव भेजे, प्ररजेंटेशन भी दिया पर बजट नहीं मिला द्वितीय चरण में बेहद महत्वपूर्ण काम होने है, जो बजट के अभाव में नहीं हो पा रहे। सरकार को प्रस्ताव भेजे जा चुके हैं, दो बार प्ररजेंटेशन भी दिया है। यहां सैकंड फेज में 31 एनक्लोजर बनने शेष हैं। इस कारण चिड़ियाघर से वन्यजीवों को बायोलॉजिक पार्क में शिफ्ट नहीं कर पा रहे। वहीं, वेटनरी हॉस्पिटल, स्टाफ क्वार्टर, आॅडिटोरियम, इंटरपिटेक्शन सेंटर व कैफेटेरिया बनाया जाना है, जो पर्यटन की दृष्टि से जरूरी है। 
- अनुराग भटनागर, डीसीएफ चन्यजीव विभाग 

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