शहर ट्रैफिक सिग्नल फ्री, पैदल चलने वाले कहां जाएं

कहींं पर भी नहीं है जेबरा क्रॉसिंग,हादसों का खतरा

शहर ट्रैफिक सिग्नल फ्री, पैदल चलने वाले कहां जाएं

मुख्य रोड पर ना जेबरा क्रासिंग है और ना ही किसी तरह की सूचना पट्टी जिससे वाहन की गति धीमी हो सके और पैदल कोई निकल सके।

कोटा। केस -1 कैशवपुरा निवासी भारती कुलश्रेष्ठ और उसके परिजन गोबरिया बावड़ी चौराहे से कुछ आगे निकल कर ट्रांसपोर्ट नगर की तरफ आने के लिए रोड क्रॉस करना चाहते थे लेकिन वह रोड घंटों क्रॉस ही नहीं कर सके। कारण यातायात इतना अधिक था कि वहां से निकलना जान जोखिम में डालने जैसा था। मुख्य रोड पर ना जेबरा क्रासिंग है और ना ही किसी तरह की सूचना पट्टी जिससे वाहन की गति धीमी हो सके और पैदल कोई निकल सके। 

केस-2 एडरोड्राम का मुख्य चौराहा। यहां शाम होने के साथ भारी यातायात भी शुरू हो जाता है। यहां से किसी को पैदल निकलना हो तो किसी तरह की जेबरा क्रासिंग नहीं है। सड़क के दोनों तरफ पैदल चलना भी मुश्किल है। हमेशा एक्सीडेंट का भय बना रहता है। ऐसे हालात में कोटा ट्रैफिक लाइट फ्री तो हो गया लेकिन एक्सीडेंट की तादात ज्यादा हो गई है। 

पैदल चलने वालों के लिए फुटपाथ तक नहीं: स्मार्ट सिटी बनाने के साथ ही पर्यटन नगरी के रूप में विकसित किए जा रहे कोटा शहर में जहां देशी विदेशी पर्यटकों के आने की उम्मीद जताई जा रही है। वहीं दूसरी तरफ ट्रैफिक व्यवस्था इतनी बदहाल है कि स्थानीय लोग भी इस बढ़ते ट्रैफिक व वाहनों की स्पीड के बीच पैदल सड़क पार नहीं कर पा रहे हैं। बाहर से आने वालों के लिए तो यह किसी चुनौती से कम नहीं है।  वहीं सबसे अधिक पैदल चलने व सड़क पार करने वालों के लिए समस्या हो गई है।

केवल यहां से निकल सकते हैं पैदल
शहर में एक मात्र एरोड्राम चौराहे का अंडरपास ऐसा है जहां अंडर ग्राउंड पैदल सड़क पार करने वालों के  लिए व्यवस्था की हुई है। एक तरफ से दूसरी तरफ आने-जाने के लिए सड़क के साइड से नीचे उतरकर रास्ता बनाया हुआ है। लेकिन उन रास्तों के बारे में बहुत कम लोगों को जानकारी है। जिससे अधिकतर लोगों को मेन रोड से ही बिना जेबरा क्रॉसिंग के जान जोखिम में डालकर सड़क पार करनी पड़ रही है। वहीं विवेकानंद सर्किल पर पैदल चलने वालों के लिए पाथ वे है लेकिन सड़क पार करने की सुविधा नहीं है।  जबकि  न तो रेलवे स्टेशन पर और न ही अदालत चौराहे पर। नयापुरा, जेडीबी, अंटाघर, कोटड़ी, नई धानमंडी, विज्ञान नगर, दादाबाड़ी,सीएडी, नगर निगम, चम्बल गार्डन, से लेकर नए कोटा तक में कहीं भी जेबरा क्रॉसिंग नहीं होने से पैदल  सड़क पार करने वालों के लिए खतरा बना हुआ है।

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बदहाल ट्रैफिक व्यवस्था और सिग्नल फ्री शहर के कारण जेबरा क्रॉसिंग तक नहीं होने से सड़क पार करते समय आए दिन छोटे वाहनों से ही एक्सीडेंट हो रहे हैं। जिला प्रशासन व ट्रैफिक पुलिस को आमजन की सुरक्षा पर ध्यान देना होगा। 
-शैलेन्द्र कुमार दाधीच, गुमानपुरा कोटडी

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शहर को ट्रैफिक लाइट फ्री बनाकर एक ऐसा काम किया गया है जो कोई नहीं कर सकता था। ट्रैफिक नियमों का पालन कर आप चलें तो कहीं आपको कहीं रुकने की जरूरत नहीं है। सब कुछ नियोजित है। पैदल चलने वालों के लिए फुटपाथ होता है। फिर क्या चाहिए। 
-जमील अहमद, संजय कालोनी विज्ञान नगर

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शहर की ट्रैफिक व्यवस्था में सुधार के प्रोजेक्ट को केडीए ने टैक आॅफ किया है। इसके लिए प्रयास भी शुरु कर दिए गए हैं। करीब एक माह का समय दिया गया है। उस समयावधि में  जबरा क्रॉसिंग से लेकर चौराहों पर सुरक्षित यातायात की जितनी भी व्यवस्थाएं होनी चाहिए वह करने के प्रयास किए जा रहे हैं। 
-रविन्द्र माथुर, निदेशक  अभियांत्रिकी कोटा विकास प्राधिकरण   

फिर ट्रैफिक लाइट फ्री का क्या मतलब
योजना के अनुसार पैदल चलने वालों के लिए फुटपाथ बना है। जहां जरूरत नहीं है वहां फुटपाथ की व्यवस्था नहीं है। सब कुछ योजनाबद्ध तरीके से किया गया है। मुंबई और बड़े शहरों में जेबरा क्रासिंग होती है। सड़क के दोनों तरफ यातायात बंद हो जाता है और पैदल चलने वाले जेब्रा क्रॉसिंग से निकल जाते हैं। लेकिन यह ट्रैफिक लाइट फ्री में संभव नहीं है। जिसको रोड क्रास करना है वह देखभाल कर रोड क्रॉस करे।  एक हटा कर दूसरी लाइट लगाने का क्या मतलब। इससे यातायात स्मूथ हुआ है। लोगों को कहीं अनावश्यक रुकना नहीं पड़ रहा। हमने एक विजन के तहत काम किया है। दूसरी पार्टी को पसन्द नहीं है तो ठीक करा लो।
-शांति धारीवाल, विधायक व पूर्व यूडीएच मंत्री 

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