पेड़ों की नहीं चढ़ेगी बलि, गोकाष्ठ मशीन बनेगी सहारा
चयनित गौशालाओं को रियायती दर पर मिलेगी मशीनें, पर्यावरण संरक्षण की दिशा में सरकार ने उठाया कदम
बजट घोषणा की पालना में गोकाष्ठ मशीन उपलब्ध कराई जाएगी।
कोटा । जिले के गौ-पालकों के लिए अच्छी खबर है। अब पेड़ों की लकड़ी की बजाय गोबर की लकड़ी जलाने के काम आएगी। इसके लिए सरकार गोशालाओं को रियायती दर पर गोकाष्ठ मशीनें उपलब्ध कराएगी। इस पूरी योजना में प्रदेश की सौ गोशालाओं का चयन किया जाएगा। इनमें कोटा जिले की गोशालाओं को भी शामिल किया गया है। पशुपालन विभाग के अनुसार सरकार ने वित्तीय वर्ष 2024-25 में प्रदेश की 100 गोशालाओं को रियायती दरों पर गोकाष्ठ मशीनें उपलब्ध करवाने की घोषणा की थी। जिन गोशालाओं में गोवंश 1000 से अधिक है, उनको बजट घोषणा की पालना में गोकाष्ठ मशीन उपलब्ध कराई जाएगी।
हजारों पेड़ कटने से बचेंगे
सरकार की इस योजना का उदे्श्य पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने का है। अभी लकड़ी के लिए रोजाना पेडों को काटा जा रहा है। पेड़ों को बचाने के लिए सरकार ने गोबर से बनी लकड़ी का अधिकाधिक उपयोग को बढ़ावा देने का निर्णय किया है। चयन उपरान्त लाभार्थी पात्र गोशाला द्वारा अपने हिस्से की कुल लागत की बीस प्रतिशत राशि संबंधित जिला संयुक्त निदेशक, पशुपालन विभाग को जमा करवाई जाएगी। तत्पश्चात लाभार्थी गोशाला को गोकाष्ठ मशीन चयनित फर्म की ओर से निर्धारित दर पर उपलब्ध करवाई जाएगी। अब गाय के गोबर से बनी लकड़ी मोक्षधाम में काम आएगी। अंतिम संस्कार के लिए ये गोबर से बनी लकड़ी बेची जाएगी। इससे गोशालाओं की आय में भी बढ़ोतरी होगी।
गोशालाओं की आय में होगी बढ़ोतरी
विभागीय अधिकारियों के अनुसार गोवंश के गोबर से मशीन के माध्यम से गोकाष्ठ बनाई जाती है। गोकाष्ठ बनाने वाली मशीन से दो किलोग्राम गोबर से एक किलोग्राम गोकाष्ठ (गोबर के लठ्ठे ) तैयार होते हैं। जिसका उपयोग ईंधन के रूप किया जा सकता है। लाभार्थी गोशाला को गोकाष्ठ के विपणन से होने वाली आय गोशाला की स्वयं की होगी, जिसे गोशाला संचालक गोशाला के हितार्थ उपयोग में ले सकेंगे। गोकाष्ठ की अनुमानित विक्रय दर आठ रुपए प्रति किलोग्राम होगी। इस दर में आवश्यकतानुसार संशोधन जिला गोपालन समिति के स्तर से किया जा सकेगा। गोकाष्ठ को मोक्ष धाम अंत्येष्टि स्थल, फैक्ट्री बॉयलर, रेस्टोरेंट, होटल-ढाबे, मंदिर-हवन आदि जगह जहां भी इसका उपयोग ईंधन के रूप में संभव हो, उसका बेचान किया जा सकेगा।
योजना में यह है नियम
- कोई भी लाभार्थी गोशाला इस योजना के तहत प्राप्त गोकाष्ठ मशीन को 10 साल से पहले बेचान नहीं कर सकेंगी ना ही इन्हें किसी अन्य को सुपुर्द कर सकेंगी।
- लाभार्थी गोशाला को गोकाष्ठ के विपणन से होने वाली आय गोशाला की स्वयं की आय होगी जिसे गोशाला संचालक गोशाला के हितार्थ उपयोग में ले सकेंगे ।
- गोकाष्ठ की अनुमानित विक्रय दर आठ रुपए प्रति किलोग्राम होगी। उक्त दर में आवश्यकतानुसार संशोधन जिला गोपालन समिति के स्तर से किया जा सकेगा।
- गोकाष्ठ को मोक्ष धाम / अंत्येष्टि स्थल, फैक्ट्री बॉयलर, रेस्टोरेंट, होटल-ढाबे, मंदिर-हवन इत्यादि जगह जहां भी इसका उपयोग ईंधन के रूप में संभव हो, का बेचान किया जा सकेगा।
लकड़ी का अधिकाधिक उपयोग होने से रोजाना पेड़ों की कटाई की जा रही है। इससे पर्यावरण संतुलन को काफी क्षति पहुंच रही है। ऐसे में गोशालाओं में गोकाष्ठ मशीनें उपलब्ध कराने की सरकार की यह पहल अच्छी है। इससे पर्यावरण को बढ़ावा मिलेगा।
-डॉ. राजू गुप्ता, पर्यावरणविद्
राज्य सरकार ने वित्तीय वर्ष 2024-25 में प्रदेश की 100 गोशालाओं को रियायती दरों पर गोकाष्ठ मशीन उपलब्ध करवाए जाने की घोषणा की थी। इनमें कोटा जिले की गोशालाएं भी शामिल हैं। पर्यारण संरक्षण के लिए यह योजना शुरू की गई है।
-डॉ. अनिल कुमार, नोडल अधिकारी, पशुपालन विभाग
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