यूआईटी की नई सड़कें गड्ढ़ों में तब्दील
न्यास अधिकारियों की अनदेखी पड़ रही आमजन पर भारी, अंटाघर व ग्रेड सेपरेटर तक पर हुए गड्ढ़े
सावन के दूसरे सोमवार पर शहर में सुबह से हुई जोरदार बरसात ने नगर विकास न्यास के कामकाज की पोल खोलकर रख दी। पुरानी सड़कों के गड्ढ़े तो बड़े हो गए जिससे उन पर चलना ही बेहाल हो गया। जबकि नई बनी सड़कें भी गड्ढ़ों में तब्दील हो गई हैं।
कोटा । सावन के दूसरे सोमवार पर शहर में सुबह से हुई जोरदार बरसात ने नगर विकास न्यास के कामकाज की पोल खोलकर रख दी। पुरानी सड़कों के गड्ढ़े तो बड़े हो गए जिससे उन पर चलना ही बेहाल हो गया। जबकि नई बनी सड़कें भी गड्ढ़ों में तब्दील हो गई हैं। सोमवार को भी दिन में कई जगह पर वाहन चालक उन गड्ढ़ों में गिरकर चोटिल हुए। इतना सब कुछ शहर में होता रहा लेकिन न तो न्यास अधिकारियों पर इसका कोई असर नहीं हुआ और न ही किसी ठेकेदार पर। नगर विकास न्यास ने बरसात से पहले शहर के नयापुरा क्षेत्र में डामर की नई सड़कें बनाई थी। ज्वाला तोप से गीता भवन के सामने होते हुए लक् खी बुर्ज से अग्रसेन चौराहा, विवेकानंद चौराहा होते हुए अदालत चौराहे तक, अदालत से सर्किट हाउस के सामने से होते हुए राजकीय महाविद्यालय के सामने से अंटाघर व जेडीबी से बड़ तिराहे तक की सड़क पर डामर की मोटी परत चढ़ाकर बनाया गया था। जिससे कुछ दिन तक तो उन पर लोगों को चलने में आनंद आया। वाहन ऐसे सरपट दौड़ रहे थे जैसे मानो किसी बड़े शहर में आ गए हैं। न्यास अधिकारियों ने ठेकेदारों के भरोसे छोड़कर इन सड़कों को बनवा तो दिया। करोड़ों रुपए भी खर्च कर दिए। लेकिन शहर में हुई चंद घंटों की बरसात ने ही न्यास अधिकारियों की अनदेखी व ठेकेदारों के कामकाज की पोल खोलकर रख दी। हालत यह है कि नई बनी अधिकतर सड़कों पर इतने बड़े-बड़े गड्ढ़े हो गए हैं कि उन पर चलना आसान नहीं रहा । अंटाघर चौराहे पर बारां रोड के मोड और उससे आगे सड़क पर इतने बड़े गड्ढ़े हो रहे हैं कि अचानक आने वाले वाहनों का ध्यान नहीं होने से वे उन गड्ढ़ों में वाहन कुदाने से हादसे का शिकार हो सकते हैं। बरसात में यहां पानी भरने से हादसे हुए भी हैं।
सबसे ज्यादा हालत नयापुरा स्थित विवेकानंद चौराहे पर है। यहां सड़क को खोदकर कई दिन की मशक्कत के बाद बनाया गया था। उसके बाद उसे दो से तीन बार ठीक भी कर दिया। लेकिन लापरवाही की हद इतनी अधिक है कि अग्रसेन चौराहे से विवेकानंद चौराहे तक बिना दुर्घटना के वाहन आसानी से नहीं निकल पा रहे हैं। अंटाघर से जेल रोड पर भी न्यास ने नई सड़क बनाई थी। लेकिन उस पर बरसात में हुए गड्ढ़े देखकर लोग न्यास के काम पर आंसू बना रहे हैं। राजकीय महाविद्यालय के सामने की सड़क पर भी गड्ढ़े हादसों का कारण बन रहे हैं। जेडीबी से बड़ तिराहे के बीच की नई सड़क पर जगह-जगह से उखड़ी व फेली गिट्टी में वाहन दुर्घटनाग्रस्त होने का खतरा बना हुआ है।
ग्रेड सेपरेटर को एक माह भी नहीं हुआ
नगर विकास न्यास द्वारा करीब 11 करोड़ रुपए की लागत से ग्रेड सेपरेटर का निर्माण कराया गया है। हालत यह है कि फ्लाई ओवर पर चढ़ाई चढ़ते ही काफी बड़ा गड्ढ़ा हो गया है। साथ ही सड़क की गिट्टी उखड़ने से वहां गिट्टी फेल गई है। जिससे दो पहिया वाहनों के फिसलने व दुर्घटनाग्रस्त होने का खतरा बना हुआ है। डीसीएम रोड पर संजय नगर आरओबी की हालत इतनी अधिक खराब है कि यहां सीसी रोड पर पूर्व में लगाए गए डामर के पेबंद बरसात में उखड़ गए हैं। जिससे वहां बड़े-बड़े गड्ढ़े होने पर बरसात में रोजाना हादसे हो रहे हैं। दिन में व रात के समय अचानक वाहनों के आने से वहा एक दो वाहन चालक रोजाना गिर रहे हैं।
पुराने गड्ढ़े हुए बड़े
नई सड़कों के साथ ही पूर्व में बनी सड़कों हुए गड्ढ़ों को बरसात से पहले सही नहीं करने पर बरसात में वे और बड़े हो गए हैं। शहर की हर सड़क पर ग्ढ़े ही गड्ढ़े होने से उन पर चलना मुश्किल हो रहा है। बरसात में पानी भरने से वे गड्ढ़े नजर नहीं आ रहे हैं।
लोगों का कहना है
यूआईटी यदि जब सड़क बना रही है तो उसे ऐसा तो बनाए जिससे कई साल तक लोगों को राहत मिल सके। यदि एक बरसात में ही सड़क खराब हो रही है तो जनता के लाखों रुपए क्यों बर्बाद किए जा रहे हैं। जब सड़क ही सही नहीं बन सकती तो बड़े-बड़े पुल व भवन कैसे सही बन सकते हैं।
- आशीष शर्मा, नयापुरा
आम आदमी को चलने के लिए सड़क ही चाहिए। यदि सड़क ही सही नहीं होगी तो करोड़ों रुपए के विकास का क्या फायदा। चौराहे सजाने व रिवर फ्रंट बनाने से आम आदमी को लाभ नहीं होगा। आम आदमी को तो सड़क चाहिए। बरसात में सड़क खराब होगी तो उससे हादसों का खतरा बना रहेगा।
- लालचंद, नयापुरा
यूआईटी शहर में विकास करवा रही है वह अच्छी बात है। लेकिन जनता के काम आने वाला विकास होगा तभी उसका लाभ है। यदि सड़क ही सही नहीं बन रही। एक बरसात में ही उखड़ रही है तो पूरी बरसात उसका दर्द झेलना पड़ेगा। अधिकारी कारों में घूमते हैं उन्हें सड़कों का दर्द पता नहीं चलता। आम आदमी बाइक पर चलता है परिवार के साथ। जब सड़क के गड्ढ़ों के कारण हादसा होता है तो उस परिवार की पीड़ा कोई दूर नहीं कर सकता।
- जितेन्द्र मालब, कोटड़ी
शहर के विकास का अधिकतर काम यूआईटी कर रही है। शहर की मुख्य सड़कें भी यूआईटी ही बनवा रही है। लेकिन यूआईटी के अधिकारी ठेकेदारों के भरोसे काम छोड़कर बेफिक्र हो जाते हैं। जिससे इस तरह की परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ठेकेदार सड़क को बाद में ठीक भी कर देगा लेकिन बरसात में खराब हुई सड़कों पर लोगों को निकलने पर जो पीड़ा भोगनी पड़ रही है उसका दर्द वे कैसे कम कर सकते हैं। जब विदेशों में सड़क सही बन सकती है तो यहां क्यों नहीं। सही काम नहीं करने वाले ठेकेदारों के खिलाफ पेनल्टी होनी चाहिए व उन्हें ब्लेक लिस्ट किया जाना चाहिए।
- वीरेन्द्र भानावत, एडवोकेट
सचिव ने नहीं दिया जवाब
नई बनी सड़कों पर हो रहे गड्ढ़ों के बारे में जानने के लिए न्यास सचिव राजेश जोशी को फोन किया था। पहले उन्होंने मीटिंग में होना बताकर कुछ देर बाद फोन करने को कहा। जब बाद में फोेन किया तो उसे रिसीव ही नहीं किया। मोबाइल पर मैसेज करने पर उसका भी कोई जवाब नहीं दिया।

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