भारतीय क्यों अपने देश से पलायन करते हैं...
सबसे ज्यादा प्रवासी भारतीय यूएसए में है
आर्थिक अवसरों में असमानता, उच्च बेरोजगारी दर और कम औसत वेतन के कारण विदेश में भारतीय माइग्रेट कर जाते है।
कोटा। भारत आबादी के मामले में चीन को पीछे करके सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बन गया है। जिससे दुनियाभर में बड़े पैमाने पर भारतीय प्रवासियों की साल दर साल संख्या बढ़ती जा रही है। दुनिया के करीब सभी देशों में भारतीय प्रवासी है। वर्ष 2024 की संयुक्त राष्ट्र वर्ल्ड माइग्रेशन रिपोर्ट के अनुसार भारत दुनिया में सबसे बड़ी संख्या में अंतरराष्ट्रीय प्रवासियों का स्थान है जो लगभग 18 मिलियन तक पहुंच चुका है। सबसे ज्यादा भारतीय प्रवासी यूएसए में है। यहां कुल 5.4 मिलियन लोग जो देश की 345 मिलियन की कुल आबादी का करीब 1.6 % है। इनमें से करीब 2 मिलियन लोग एनआरआई है तो वहीं करीब 3.3 मिलियन लोग ऐसे है। जिन्होंने अमेरिका की नागरिकता ले ली है। दूसरी तरफ देखे तो साल 2023 में 2.16 लाख भारतीयों ने नागरिकता छोड़कर विदेश का रुख किया। 2022 में यह आंकड़ा 2.25 लाख था। आश्चर्य होगा कि दुनिया में ऐसे देश भी हैं जहां के नागरिक अपने देश को छोड़ कर जाना ही नहीं चाहते हैं। ये देश हैं यूएई, जापान, जर्मनी, संयुक्त राज्य अमेरिका ऑस्ट्रेलिया, डेनमार्क,फिनलैंड, स्वीडन, ऑस्ट्रिया और नीदरलैंड के लोग अपने उच्च गुणवत्ता वाले जीवन स्तर के कारण अपने देश में ही रहना पसंद करते हैं। इन देशों के लोगों की तुलना में भारतीय अक्सर बड़ी संख्या में अपना देश छोड़ते हैं। आर्थिक अवसरों में असमानता, उच्च बेरोजगारी दर और कम औसत वेतन के कारण विदेश में भारतीय माइग्रेट कर जाते है जबकि यूएई, जापान और जर्मनी जैसे देश स्थिर अर्थव्यवस्था और अच्छी नौकरी की संभावनाएं प्रदान करते हैं, जिससे इन देशों के नागरिकों को अपना देश छोड़ने के लिए कम प्रोत्साहन मिलता है।
यूएई में सबसे कम प्रवासी दर
एक अध्ययन से पता चला है कि दुनिया भर में यूएई में सबसे कम प्रवासी दर है। यूएई की 99.37 प्रतिशत आबादी ने देश के उच्च जीवन स्तर से प्रभावित होकर देश के भीतर ही रहना चुना वहीं जापान इस मामले में दूसरे स्थान पर है, जहां 98.95 प्रतिशत लोग रहना चुनते हैं। यह वरीयता जापान के मजबूत सांस्कृतिक संबंधों, जीवन की अनुकूल गुणवत्ता और रैंकिंग में देशों के बीच सबसे कम रहने की लागत से प्रभावित है। जर्मन लोग अपनी मातृभूमि में रहना पसंद कर रहे हैं, क्योंकि वहां खुशी का स्तर सूची में तीसरा सबसे ऊंचा है और जीवन की उच्च गुणवत्ता प्रदान करता है। भारतीय लोग कई वजहों से अपना देश छोड़ते हैं। भारत की आबादी बहुत बड़ी है, जिसका एक बड़ा हिस्सा गरीबी में रहता है, जिससे विदेश में बेहतर नौकरी के अवसर और उच्च वेतन बहुत आकर्षित करते हैं। सुविधाओं से भरे जीवन की चाहत भारतीयों को विदेश लेकर जाती है और नागरिकता छोड़ने के लिए प्रेरित करती है। कई भारतीय छात्रों को घर लौटने के बाद नौकरी ढूंढना कठिन लगता है, यही कारण है कि वे उस देश में जहां वह पढ़ रहे है वहां के स्थायी निवासी के लिए आवेदन करते हैं।
सबसे ज्यादा इन देशों में बसते हैं भारतीय
विदेश में बसने के लिए सबसे ज्यादा भारतीय जिन देशों को चुनते हैं उनमें अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, संयुक्त अरब अमीरात, सिंगापुर, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं। सबसे ज्यादा भारतीय पलायन करके यही बसते हैं। यहां स्टैंडर्ड ऑफ लिविंग अच्छा है। बच्चों की पढ़ाई बेहतर होती है। सुविधाएंं ज्यादा हैं और जिंदगी आसान है।
भारतीयों के नागरिकता छोड़ने के कुछ कारण
बेहतर शिक्षा, नौकरी के अवसर, मेडिकल सुविधाएं, निवेश के अनुकूल माहौल, विदेशों में अच्छी सैलरी, काम का बेहतर माहौल, बेहतर रहन-सहन, महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा, जलवायु और प्रदूषण जैसी जीवनशैली की समस्याएं हैं। भारत में दोहरी नागरिकता का प्रावधान न होना भी पलायन की बड़ी वजह है। कई देश टैक्स में कई तरह की राहत देते हैं, कारोबार करने के लिए कई तरह की सुविधाएं देते हैं। हेनले पासपोर्ट इंडेक्स 2024 की रिपोर्ट में भारतीय पासपोर्ट 82वें पायदान पर है। भारतीय पासपोर्ट से 58 देशों में वीजा फ्री एंट्री मिलती है, दुनिया के कई देशों का पासपोर्ट भारत के मुकाबले कहीं अधिक मजबूत है जैसे- अमेरिकी पासपोर्ट से 186 देश और ब्रिटिश पासपोर्ट से 190 देशों में वीजा फ्री एंट्री मिलती है। वहीं, फ्रांस से 192, संयुक्त अरब अमीरात से 185, ऑस्ट्रेलिया के पासपोर्ट से 189 देश में बिना वीजा के जा सकते हैं। यही वजह है कि बेहतर कारोबार के लिए भारतीय विदेश पहुंचते हैं। यही वजह है कि विकसित देशों में मिल रही सुविधाएं भारतीयों को अपनी ओर खींचती हैं।
इन देशों की क्वालिटी ऑफ लाइफ बहुत अच्छी है। पर कैपिटा इनकम हमारे देश से ज्यादा है। हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर बहुत अच्छा है। काफी सर्विसेज वहां सरकार उपलब्ध कराती है। भारत से बाहर जाने का मुख्य कारण डॉलर और रूपए में अंतर है। वहां जाकर कमाई बढ़ जाती है वह उन्हें आकर्षित करता है। दुबई में टैक्स में स्वतंत्रता है। भारत में घर, कार खरीदो तो काफी टैक्स देना पड़ता है।
- डॉ. हर्ष गोयल, कैंसर रोग विशेषज्ञ, कोटा
इन देशों के लोगों को अपने देश से प्यार है। जो कुछ कमाया, जिस मिट्टी से कमाया सब कुछ उसे ही मानते हैं। भारत में जनता को स्वयं अपने देश व अपने काम के प्रति जागरूक होना चाहिए। इजराइल से सीखना चाहिए कि जब देश पर संकट आया तो अपने देश के लिए पूरी दुनिया में बसे इजरायली लोग वापिस आकर अपने देश की सुरक्षा में लगे हैं। ऐसी भावना भारत के व्यक्तियों को भी दिखनी चााहिए तभी देश मजबूत होगा और पलायन रूकेगा। भारत में अपार संभावनाएं है पर थोड़ा-सा पैसा कमा कर यहां के लोग बाहर बसने की अपनी इच्छा शक्ति को रोक नहीं पा रहे है। सरकार को भी इस तरफ ध्यान देना चाहिए। कि ऐसा क्योंं हो रहा हैं?
- महावीर प्रसाद नायक, डायरेक्टर, धनलक्ष्मी प्रोपर्टी ग्रुप
पैसा कमाने और बेहतर जीवन यापन के लिए अनेक भारतीय विदेश में जाकर बसते है। भारत छोड़ने के पीछे पैसा सबसे बड़ा कारण है। हालांकि इतनी आवश्यकता नहीं हैं। यदि उन्हें देश में ही उनकी काबिलियत के हिसाब से अवसर मिलें तो शायद प्रतिभाएं पलायन नहीं करेगी। ये देश हर तरह से विकसित और उन्नत देश है। वहां सभी सुविधाएं है। अर्थव्यवस्था मजबूत है, शिक्षा की गुणवत्ता अच्छी है जर्मनी में विश्व के प्रसिद्ध विश्वविद्यालय और शिक्षा संस्थान हैं। अच्छी स्वास्थ्य सेवाएं हैं, सुरक्षित देश हैं। इसलिए वह वहां रहने में सहज महसूस करते हैं। यही कारण है कि वह देश नहीं छोड़ पाते है।
- लक्ष्मीकांत माहेश्वरी, प्रोपराइटर एल.के.कंस्ट्रक्शन
भारत में आबादी इतनी ज्यादा है। यहां के लोग उच्च शिक्षित और योग्य हो जाते है कि उन्हें जॉब के अवसर उतने नहीं मिलते जितने मिलने चाहिए। उनके लिए देश से बाहर जाना मजबूरी हो जाती है। आना तो वापिस देश में चाहते हैं लेकिन उनकी योग्यता के अनुसार जॉब नहीं मिल पाता । पॉपुलेशन भारत में ज्यादा है जॉब सीमित रहेगी। इन देशों में आबादी बहुत कम है। जॉब भी है। वहां लोग ईजी गोइंग लाइफ जीते है। भारत में क्वालीफाइड लोगों के लिए सरकारी जॉब कम हो गया है। प्राइवेट जॉब में भी लिमिटेशन हैं। देश छोड़ना उनकी दिली इच्छा नहीं होती मजबूरी हो जाती है।
- एस. के. विजय, सीए
इन देशों में नागरिकों को सब सुविधाएं मिल रही हैं, जितने शिक्षित हैं उसके हिसाब से कमाई कर रहे हैं। उनकी सरकार पूरी सुविधा देती है। हमारे देश में बच्चों को उतनी सुविधा नहीं मिलती है, इसलिए बच्चे बाहर जाने को तैयार हो जाते हैं। जर्मनी, जापान, यूएई हो वहां का रहन सहन, आबोहवा बहुत अच्छी है। यहां प्रदूषित है वहां प्रदूषण मुक्त रहता है। हमारे यहां भी सरकार लोगों की आवश्यकताओं व अपेक्षाओं को पूरा करने की कोशिश करती हैं लेकिन यह हो नहीं पाता क्योंकि वहां की आबादी में और भारत की आबादी में बहुत अंतर है। इन देशों में क्वालिटी आफ लाइफ है इसलिए उनलोगों को उनके देश से बाहर जाने की जरूरत ही नहीं पड़ती ।
- चारू जैन, अध्यक्ष इनरव्हील क्लब कोटा
शिक्षा के प्रति जागरुकता वहां बहुत ज्यादा है । भारत में इस चीज की कमी है। वहां शिक्षा का खर्चा सरकार उठाती है। हमारे यहां यह सुविधा नहीं है। हमारे यहां चाहे कितने भी उच्च शिक्षित हो जाए सैलरी का पैकेज कम होता है। वहां मल्टीनेशनल कंपनियां बहुत अच्छी है जिनमें बहुत अच्छे अमाउंट में पैसा दिया जाता है। वहां रेजीडेंशियल फ्री होता है। वहां के लोग अपना काम खुद करते है जिससे खर्चे कम हो जाते है। उनके देश में किसी चीज की कमी नहीं है इसलिए वह अपना देश नहीं छोड़ते है।
- डॉ. सेहबा खान, फिजियोथेरेपिस्ट
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