अंतरराज्यीय सेक्सटॉर्शन गिरोह के दो सदस्य गिरफ्तार : बुजुर्ग से किस्तों में वसूले 7.74 लाख रुपए, देशभर में 5 करोड़ से अधिक की ठगी स्वीकारी
मेवात-डीग से संचालित हो रहा था गिरोह
साइबर थाना पुलिस ने ऑनलाइन वीडियो कॉल के जरिए सेक्सटॉर्शन करने वाले अंतरराज्यीय गिरोह के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए दो और आरोपियों को गिरफ्तार किया है। दोनों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। प्रकरण में अब तक कुल चार आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है, जबकि एक नाबालिग को डिटेन किया गया है। मामले का खुलासा उस समय हुआ, जब राजसमंद निवासी 74 वर्षीय बुजुर्ग ने साइबर थाने में शिकायत दर्ज कराई।
राजसमंद। साइबर थाना पुलिस ने ऑनलाइन वीडियो कॉल के जरिए सेक्सटॉर्शन करने वाले अंतरराज्यीय गिरोह के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए दो और आरोपियों को गिरफ्तार किया है। दोनों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। प्रकरण में अब तक कुल चार आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है, जबकि एक नाबालिग को डिटेन किया गया है। मामले का खुलासा उस समय हुआ, जब राजसमंद निवासी 74 वर्षीय बुजुर्ग ने साइबर थाने में शिकायत दर्ज कराई। परिवादी को एक अनजान नंबर से व्हाट्सएप वीडियो कॉल आया, जिसमें महिला की ओर से आपत्तिजनक हरकतें की जा रही थीं। कॉल के दौरान आरोपियों ने स्क्रीन रिकॉडिंर्ग कर ली और उसे सोशल मीडिया पर वायरल करने की धमकी देकर अलग-अलग किस्तों में कुल 7 लाख 74 हजार 400 रुपए वसूल लिए। बदनामी के डर से बुजुर्ग लगातार रकम देता रहा, लेकिन मांग बंद न होने पर उसने पुलिस से संपर्क किया।
मेवात-डीग से संचालित हो रहा था गिरोह
पुलिस अधीक्षक ममता गुप्ता ने बताया कि गिरोह डीग और मेवात क्षेत्र से संचालित हो रहा था। साइबर थाना पुलिस की विशेष टीम ने पहाड़ी (डीग) क्षेत्र में दबिश देकर ग्राम कठौल निवासी नासिर (28) पुत्र हिब्जु खां मेव और मक्खी उर्फ इब्राहिम मेव (26) पुत्र हाजी दीन मोहम्मद मेव को गिरफ्तार किया। पूछताछ में आरोपियों ने देशभर में करीब 5 करोड़ रुपए से अधिक की ठगी करना स्वीकार किया है। पुलिस ने इनके पास से ठगी की कुछ राशि भी बरामद की है।
इस तरह करते थे ठगी
गिरोह के सदस्य गर्लफ्रेंड सर्च एप के माध्यम से व्हाट्सएप नंबर हासिल कर महिला की आवाज में बातचीत करते थे। वीडियो कॉल के दौरान आपत्तिजनक वीडियो दिखाकर पीड़ित को फंसाया जाता और उसकी स्क्रीन रिकॉडिंर्ग कर ली जाती थी। इसके बाद वीडियो वायरल करने की धमकी देकर कभी महिला, कभी उसके परिजन, कभी यूट्यूब कर्मचारी और कभी पुलिस अधिकारी बनकर डराया जाता था। पीड़ितों से यूपीआई क्यूआर कोड, बैंक खाता या यूपीआई नंबर के जरिए रकम जमा करवाई जाती थी। पुलिस के अनुसार मानसिक दबाव के कारण कई पीड़ित गंभीर तनाव में आ जाते थे। ठगी की राशि किराए या धोखे से खरीदे गए बैंक खातों में मंगवाकर तुरंत निकाल ली जाती थी और आपस में बांट ली जाती थी।

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