अलविदा अरविंद सिंह मेवाड़ : देशभर से आए पूर्व राजपरिवारों के सदस्य, राव-उमरावों ने किए श्रद्धासुमन अर्पित
फूलों की चादर पर निकली अंतिम यात्रा
सकल राजपूत महासभा ने व्यवसाय बंद कर श्रद्धांजलि अर्पित की गई तो भीतरी शहर के व्यापारियों ने भी आधे दिन व्यापार बंद रखा।
उदयपुर। सिटी पैलेस स्थित शंभू निवास पैलेस से जैसे ही स्व. अरविंदसिंह मेवाड़ का पार्थिव देह बाहर लाया गया तो परिजनों का रुदन फूट पड़ा, वहीं सैकड़ों आंखें सजल हो उठी। सिर पर शोक की पाग और राजसी बैंड पर बजती धुनें तथा पंडितों के मंत्रोच्चार के बीच उनकी अंतिम क्रियाएं हुई। पिता की अंतिम क्रिया में जैसे ही उनकी पुत्रियों ने हिस्सा लिया तो उनका रुदन देखकर सभी गमगीन हो गए। डॉ. लक्ष्यराज ने बहनों को गले लगाकर उनको ढांढस बंधाया। दृश्य था पूर्व राजपरिवार के सदस्य स्व. अरविंदसिंह मेवाड़ की अंतिम विदाई का। उनके निधन से मेवाड़ में शोक छाया है। उन्हें श्रद्धांजलि स्वरूप भीतरी शहर के व्यापारियों ने प्रतिष्ठान बंद रखे तो शहरवासियों ने उन्हें अंतिम विदाई देने के लिए सड़कों पर फूलों की चादर बिछा दी। अंतिम यात्रा जहां-जहां से गुजरी, वहां लोग छतों, खिड़कियों और अन्य जगहों पर अन्तिम दर्शन का इंजतार कर रहे थे। महिलाओं व बुजुर्गों ने पुष्प वर्षा कर तो पुरुषों ने फूल चढ़ा कर उन्हें विदाई दी।
अंतिम यात्रा के बाद उनकी पार्थिक देह को 410 वर्ष पुराने राजपरिवार के मोक्षधाम (महासतिया) ले जाया गया, जहां उनके पुत्र डा. लक्ष्यराजसिंह मेवाड़ ने उन्हें मुखाग्नि दी। इस दौरान महासतिया के चारों तरफ से ट्रेफिक व्यवस्था रोक दी गई थी। स्व. मेवाड़ के अंतिम दर्शन को लेकर जहां सोमवार सुबह शंभू निवास पैलेस में कतारें लगी, वहीं उनकी अंतिम यात्रा में सड़क के दोनों तरफ शहरवासी खड़े थे। कोई हाथ में फूल तो कोई माला लेकर खड़ा था। जैसे ही शाही रथ वहां से गुजरा वैसे ही लोग पुष्प अर्पित कर हाथ जोड़कर उन्हें नमन कर अन्तिम विदाई दी। स्व. मेवाड़ के करीबी रहने वाले लोगों की आंखों से आंसू नहीं रुक पाए। सकल राजपूत महासभा ने व्यवसाय बंद कर श्रद्धांजलि अर्पित की गई तो भीतरी शहर के व्यापारियों ने भी आधे दिन व्यापार बंद रखा।
राजसी ठाठ से निकली अंतिम यात्रा
इससे पूर्व शंभू निवास पैलेस में अंतिम क्रिया के बाद बड़ी पोल से उनकी अंतिम यात्रा शुरू हुई। शाही रथ में उनकी पार्थिव देह रखी गई। सबसे आगे हाथी, फिर घोड़े, राजसी ठाठ के बैंड तथा उनके बाद मेवाड़ का शाही रथ था। रथ के पीछे प्रदेश भर से आए पूर्व राजपरिवारों के सदस्य, शहरवासी एवं अंतिम छोर पर परिवार के सदस्य थे। बड़ी पोल से अंतिम यात्रा जगदीश चौक, घंटाघर, बड़ा बाजार, देहली गेट होते हुए आयड़ स्थित महासतिया पहुंची। इस दौरान शाही रथ के पीछे चल रहे एक अन्य वाहन में फूल, सिक्के और चांदी के फूल उड़ाए जा रहे थे जिनको हासिल करने के लिए एकबारगी तो होड़ सी मच गई।
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