यूक्रेन के बखमुत पर कब्जा रूस के राष्ट्रपति पुतिन के लिए है बड़ी जीत
एक साल से जारी थे हमले
पश्चिमी विश्लेषकों और राजनयिकों का मानना है कि रूसी सेना बखमुत पर कब्जे को तेजी से भुनाने में सक्षम होगी।
कीव। रूस की प्राइवेट आर्मी वैगनर ने बखमुत पर कब्जे का दावा किया है। अगर यह बात सच है तो फिर यह रूस के लिए एक रणनीतिक जीत से कम नहीं है। वैगनर के प्रमुख येवगेनी प्रिगोझिन ने कहा कि शहर शनिवार को लगभग दोपहर में पूरी तरह से रूसी नियंत्रण में आ गया। उनके साथ करीब छह लड़ाके थे और उनके पीछे खंडहर हो गई इमारतें और दूर विस्फोट की आवाजें सुनाई दे रही थीं। हालांकि यूक्रेन ने इस दावे को पूरी तरह से खारिज कर दिया है। अगर यह दावा सही है तो फिर विशेषज्ञ इसे यूक्रेन-रूस जंग में एक नया मोड़ माना जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह रूस के लिए बड़ी रणनीतिक जीत है। बखमुत की लड़ाई सबसे लंबी लड़ाई थी।
एक साल से जारी थे हमले
चासिव यार के करीब स्थित बखमुत रूस के हमले के तहत आने वाला पहला शहर है। हालांकि यह जगह ऊंचाई पर है और माना जाता है कि यूक्रेनी सेना ने इसके आस-पास रक्षात्मक किलेबंदी का निर्माण किया है। पश्चिमी विश्लेषकों और राजनयिकों का मानना है कि रूसी सेना बखमुत पर कब्जे को तेजी से भुनाने में सक्षम होगी। उन्होंने एक साल पहले शहर पर गोलाबारी शुरू की थी। अगस्त में रूस की सेना ने इस पर हमला किया और इसके बाद से ही उसे बड़ा नुकसान हुआ। बखमुत पर कब्जे के बाद रूस के लिए स्लोवियांस्क जैसे शहरों पर कब्जे को आसान बना देगा।
यूक्रेन और रूस दोनों ने कहा है कि बखमुत की लड़ाई एक-दूसरे की सेना को खत्म करने के लिए महत्वपूर्ण है। बखमुत को रूस अपने सोवियत-युग के नाम आट्योर्मीवस्क से पुकारता है। प्रथम विश्व युद्ध वाले बखमुत की लड़ाई में बखमुत की जंग में रॉकेट हमले के साथ-साथ कई झड़पें और हवाई हमले हुए। इन हमलों में शहर का अधिकांश हिस्सा नष्ट हो गया। शहर की 70 से 80 हजार की आबादी शहर छोड़कर चली गई थी।
सच साबित हुआ जेलेंस्की का डर!
बखमुत, पूर्वी यूक्रेन का शहर है और डोनेट्स्त प्रांत में आता है। यह जगह क्षेत्रीय परिवहन और मिलिट्री सप्लाई का बड़ा केंद्र था। बखमुत बड़े पैमाने पर रूसी-भाषा वाले औद्योगिक डोनबास क्षेत्र का हिस्सा है। रूस हमेशा से इसे अपने सैन्य अभियान के साथ जोड़ना चाहता था। लेकिन अगर बखमुत पर कब्जा सही है तो फिर तो डोनेट्स्क क्षेत्र के दो बड़े शहरों - क्रामटोरस्क और स्लोवियांस्क, रूस के कब्जे में आ जाएंगे। रूस को पीपुल्स रिपब्लिक आफ डोनेट्स्क की आजादी के सपने को पूरा करने के लिए इन दोनों क्षेत्रों पर कब्जा करने की जरूरत है। जेलेंस्की ने बताया कि उन्हें डर है कि अगर रूस ने बखमुत पर कब्जा कर लिया तो फिर उसके पास दो शहरों पर कब्जा के लिए रास्ता मौजूद होगा।
जीत से बढ़ेगा पुतिन का मनोबल
रेड क्रॉस की अंतरराष्ट्रीय समिति ने कहा कि बचे हुए लोग भारी गोलाबारी के तहत अंडरग्राउंड बंकरों में बने बंकरों में रहने को मजबूर हैं। अगर पुष्टि की जाती है, तो बखमुत पिछले साल जुलाई के बाद से रूस की पहली बड़ी पकड़ होगी। कई हार के बाद यह जंग रूस की राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का मनोबल बढ़ाने वाली जीत होगी। शहर पर कब्जा रूस के सबसे हाई-प्रोफाइल प्राइवेट आर्मी वैगनर और उसके संस्थापक प्रिगोझिन के लिए भी एक मनोवैज्ञानिक जीत होगी। पश्चिमी देश 61 साल के प्रिगोझिन को एक पूर्व अपराधी के तौर पर करार देते हैं। साफ है कि प्रिगोझिन वैगन को युद्धक्षेत्र में सफलता और इसे राजनीतिक प्रभाव में लाने की कोशिश कर रहे हैं।
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