Yatindra Mishra
राजस्थान  जयपुर 

कविता एक इत्र की तरह है, जिसकी शीशी में से इत्र उड़ भी जाए तो उसमें महक बाकी रह जाती है : मिश्रा

कविता एक इत्र की तरह है, जिसकी शीशी में से इत्र उड़ भी जाए तो उसमें महक बाकी रह जाती है : मिश्रा जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में अंतिम दिन दरबार हॉल में दोपहर 12 बजे हुए सत्र ‘कलिंग एंड द वॉर विदिन : बिना कलिंग विजय के’ में लेखक यतीन्द्र मिश्रा ने कहा कि कविता मेरा पहला प्यार है।
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