
उत्तर भारत में राजस्थान में सबसे अधिक बाल विवाह
चार में से एक लड़की की शादी 18 की उम्र होने से पहले
राजस्थान में बेटियों की उड़ान अभी अधूरी सी है। आत्मनिर्भर बनने से पहले ही हर चार में से एक लड़की की शादी 18 की उम्र होने से पहले ही हो रही है।
जयपुर। राजस्थान में बेटियों की उड़ान अभी अधूरी सी है। आत्मनिर्भर बनने से पहले ही हर चार में से एक लड़की की शादी 18 की उम्र होने से पहले ही हो रही है। चिंता की बात यह है कि राजस्थान देश के उत्तर भारत का बेटियों के बाल विवाह होने के मामले में सबसे टॉप पर है। यहां 25 फीसदी बेटियों की शादी छोटी उम्र में ही हो रही है। पूरे भारत में देखें तो राजस्थान का नाबालिग बेटियों के विवाह में पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, असम के बाद पांचवां नंबर है। भारत में बेटियों के बाल विवाह के औसत से यह 1.7 फीसदी ज्यादा है। नेशनल फैमिली हेल्थ मिशन के सर्वे में स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह आंकड़े जुटाए हैं।
गांवों में 28.3 फीसदी, शहरों में 15.1 फीसदी शादियां
गांवो में ही नहीं शहरों में भी बाल विवाह का आंकड़ा चिंताजनक है। गांवों में 28.3 फीसदी बेटियां बालिग होने से पहले शादी के बंधन में बंध जाती है। जबकि शहरों में भी 15.1 फीसदी ऐसी बेटियां है जिनके परिजन उनके सशक्तिकरण से पहले ही जिम्मेदारियों के बोझ तले दबा रहे हैं।
14 जिलों में दो से अधिक बच्चों का एक बड़ा कारण
प्रदेश में 14 जिले ऐसे हैं जहां अभी भी दो से अधिक संतानें परिवार में हो रही है। इनमें इनमें बाडमेर, बांसवाड़ा, जालौर, जैसलमेर, उदयपुर, पाली, राजसमंद, सिरोही, सवाईमाधोपुर, धौपुर, बारां, भरतपुर, डूंगरपुर और करौली शामिल हैं। इन जिलों में बाल विवाह की दर ज्यादा होने के कारण अधिक बच्चे होना है। अगर बाल विवाह रुके तो हम दो-हमारे दो का इन जिलों में भी सपना पूरा होने की आस बंधे।
सबसे कम लद्दाख, सबसे ज्यादा पश्चिम बंगाल में
देश में सबसे ज्यादा बाल विवाह पश्चिम बंगाल में हो रहे हैं। यहां 41 फीसदी बेटियों के हाथ कम उम्र में पीले हो रहे हैं। जबकि सबसे कम बाल विवाह लद्दाख में केवल 3 फीसदी ही बेटियों के बाल विवाह के मामले सामने आए हैं।
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