मानसून सत्र: जासूसी कांड पर विपक्ष का भारी हंगामा, लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही सोमवार तक स्थगित

मानसून सत्र: जासूसी कांड पर विपक्ष का भारी हंगामा, लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही सोमवार तक स्थगित

राज्यसभा में शुक्रवार को पत्रकारों और वरिष्ठ नेताओं की कथित जासूसी के मामले को लेकर विपक्ष ने भारी हंगामा किया, जिसके कारण सदन की कार्यवाही 3 स्थगन के बाद दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई। इससे पहले भी सदन की कार्यवाही पहले 12 बजे, फिर 12:30 बजे और फिर 2.30 बजे तक स्थगित करनी पड़ी थी। उधर पेगासस जासूसी और कृषि कानूनों को लेकर हंगामे के चलते लोकसभा सोमवार तक के लिए स्थगित कर दी गई।

नई दिल्ली। राज्यसभा में शुक्रवार को पत्रकारों और वरिष्ठ नेताओं की कथित जासूसी के मामले को लेकर विपक्ष ने भारी हंगामा किया, जिसके कारण सदन की कार्यवाही 3 स्थगन के बाद दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई। भोजन अवकाश के बाद पीठासीन अधिकारी भुवनेश्वर कलिता ने सदन की कार्रवाई चलाने का प्रयास किया तो सदन में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे खड़े हो गए और उन्होंने कहा कि वरिष्ठ पत्रकारों और राजनेताओं की जासूसी की जा रही है। कलिता ने उन्हें रोकते हुए कहा कि इस मुद्दे पर मंत्री का बयान हो चुका है और इस पर चर्चा नहीं हो सकती। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने भी इस पर ऐतराज जताया और कहा कि इस मामले का निपटारा हो चुका है। इसके बाद विपक्ष के सदस्य नारेबाजी करने लगे और शोर-शराबा करते हुए अपनी सीटों पर खड़े हो गए। कलिता ने सदस्यों से शांत होने और सदन चलने देने की अपील की। इसका असर नहीं होते देख उन्होंने सदन की कार्यवाही सोमवार तक स्थगित करने की घोषणा कर दी।

इससे पहले तृणमूल कांग्रेस के निलंबित सदस्य डॉ. शांतनु सेन के सदन से बाहर नहीं जाने के कारण राज्यसभा की कार्यवाही दोपहर 2.30 बजे तक स्थगित की गई थी। दूसरी बार के स्थगन के बाद उपसभापति हरिवंश ने कार्यवाही शुरू करते ही कहा कि तृणमूल कांग्रेस के सदस्य शांतनु सेन को इस सदन ने सुबह एक प्रस्ताव पारित कर सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित कर दिया है। इसलिए उनसे अनुरोध है कि वह सदन से बाहर चले जाएं, जिससे कि सदन की कार्यवाही चल सके। सेन पर उनके अनुरोध का असर न होते देख उप सभापति ने अपना अनुरोध दोहराया और कहा कि कृपया सदन से बाहर चले जाएं जिससे सदन में कार्यवाही शुरू हो सके। सेन द्वारा उनके अनुरोध को अनसुना किए जाने से उपसभापति ने कार्यवाही दोपहर 2.30 तक के लिए स्थगित कर दी।

इससे पहले सुबह संसदीय कार्य राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने डॉ. शांतनु सेन को निलंबित करने का प्रस्ताव रखा, जिसे सदन ने पारित कर दिया था। कांग्रेस समेत विपक्षी दलों के सदस्यों ने इसका कड़ा विरोध किया, जिसके बाद सदन की कार्यवाही 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। इसके बाद इसी मुद्दे पर सदन की कार्यवाही एक बार फिर 12.30 बजे तक स्थगित करनी पड़ी थी। मुरलीधरन ने कहा कि सेन ने सदन में सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव के हाथ से कागज छीनकर उसे फाड़कर आसन की ओर उछाला था। बता दें कि संसद का मानसून सत्र सोमवार को शुरू हुआ था, लेकिन सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच बने गतिरोध के कारण केवल कोरोना की स्थिति पर चर्चा के अलावा कोई विधायी कामकाज नहीं हो सका है।

 

हंगामे के कारण लोकसभा की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित
कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, वामदल तथा अन्य विपक्षी दलों के हंगामे के कारण लोकसभा की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई। एक बार के स्थगन के बाद सदन की कार्यवाही दूसरी बार दोपहर 12 बजे जैसे ही शुरू हुई विपक्षी सदस्य फिर से नारेबाजी करते हुए अध्यक्ष के आसन के समक्ष आ गए। पीठासीन अधिकारी किरीट सोलंकी ने हंगामे के बीच ही कहा कि कुछ सदस्यों ने कार्य स्थगन का प्रस्ताव अध्यक्ष के समक्ष रखा है, लेकिन इनमें से किसी पर भी स्वीकृति नहीं दी है। सोलंकी ने सदस्यों को शांत कराने का प्रयास किया, लेकिन वे नहीं माने। विभिन्न दलों के सदस्य अलग-अलग मुद्दों पर आधारित तख्तियां हाथों में लहरा रहे थे। तृणमूल कांग्रेस के कुछ सदस्य अपने हाथ में मोबाइल दिखाकर नारेबाजी कर रहे थे। हंगामे के बीच ही पीठासीन अधिकारी ने जरूरी दस्तावेज सदन पटल पर रखवाए। इसके बाद सदन की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी।

इससे पहले सुबह 11 बजे जैसे ही सदन की कार्यवाही शुरू हुई, अध्यक्ष ओम बिरला ने टोक्यो ओलंपिक में हिस्सा लेने वाले भारतीय दल को शुभकामनाएं दीं। इसके बाद उन्होंने प्रश्नकाल की कार्यवाही शुरू की। इसी बीच विपक्षी सदस्य अपने हाथों में तख्तियां लिए नारेबाजी करते हुए आसन के पास आ गए। वे कथित जासूसी के आरोपों, किसानों के मुद्दों तथा अन्य विषयों पर सरकार से जवाब मांग रहे थे और डाउन, डाउन के नारे लगा रहे थे। अध्यक्ष ने कोविड-19 प्रोटोकॉल की पालना करने की अपील करते हुए कहा कि वे मास्क लगाएं और अपनी सीटों पर जाएं। शोर-शराबे के बीच ही पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मंडाविया ने अपने मंत्रालयों से संबंधित प्रश्नों के उत्तर दिए। इस दौरान मंडाविया कोविड टीके से जुड़े प्रश्न का उत्तर दे ही रहे थे, जब विपक्ष की नारेबाजी तेज हो गई। बिरला ने एक बार फिर हंगामा कर रहे सदस्यों से शांति बनाने की अपील की, लेकिन जब उनकी अपील का कोई असर नहीं हुआ तो उन्होंने सदन की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।

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