जानिए राजकाज में क्या है खास?

जानिए राजकाज में क्या है खास?

सूबे में एक बार नाथी का बाड़ा चर्चा में है। हो भी क्यों ना हर कोई नेता नाथी का बाड़ा से ताल्लुकात रखे बिना नहीं रहते। इसके बिना उनकी पार भी नहीं पड़ती है। गुजरे जमाने में नाथी का बाड़ा केवल पाली जिले से ताल्लुकात रखता था लेकिन अब इसका थड़ा बदल कर सीकर के लक्ष्मणगढ़ इलाके में पहुंच गया है।

एल एल शर्मा
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चर्चा में नाथी का बाड़ा
सूबे में एक बार नाथी का बाड़ा चर्चा में है। हो भी क्यों ना हर कोई नेता नाथी का बाड़ा से ताल्लुकात रखे बिना नहीं रहते। इसके बिना उनकी पार भी नहीं पड़ती है। गुजरे जमाने में नाथी का बाड़ा केवल पाली जिले से ताल्लुकात रखता था लेकिन अब इसका थड़ा बदल कर सीकर के लक्ष्मणगढ़ इलाके में पहुंच गया है। गोविन्द की मेहरबानी से ख्वाजा की नगरी तक इसका असर पड़ा। राज का काज करने वाले में चर्चा है कि जागीरदारों ने नाथी का बाड़ा वैसे ही नाम थोड़े ही दिया था, इसके लिए उनको दिन-रात पसीने बहाने पड़े थे। नाथी के बाड़े में कदम रखने से पहले आगा-पीछा सोचना पड़ता है, लेकिन इस बार लक्ष्मणगढ़ वाले भाई साहब ने सीना ठोक कर कदम रखा, तो बीकाजी की नगरी से गुलाबीनगर तक हलचल मच गई। अब भाई लोगों को कौन समझाए कि नाथी का बाड़ा में तो पहले भी कई बड़े साहबों के कदम पड़े थे, तब भी बाल भी बांका नहीं हुआ था, तो अब उम्मीद रखने से कोई लाभ नहीं है।

वो आए और चले गए
सूबे में एक साल से चल रहे सियासी संकट को लेकर कई भाई लोगों की नींद उड़ी हुई है। वे दिन-रात दुबले हो रहे हैं। उनके चेहरों पर चिन्ता की लकीरें साफ दिखाई देने लगी हैं। गुटबाजी में फंसे हाथ वाले भाई लोगों के समझ में नहीं आ रहा कि आखिर माजरा क्या है। इंदिरा गांधी भवन में बने हाथ वालों के ठिकाने पर संडे को चर्चा थी कि आलाकमान के दोनों संदेशवाहक आए और चले गए। भाई लोगों ने सूंघासांघी भी खूब की, मगर बंद कमरों में क्या हुआ, किसी को पता नहीं चला। शनिवार तक उछलकूद कर रहे एक खेमे के लोगों को सांप सूंघ गया। अब वे कानाफूसी कर रहे हैं कि जब गोपालजी और अजय को कुछ करना ही नहीं था, तो हवा गर्म करने के पीछे कोई न कोई राज जरूर है। अब उनके अच्छी तरह समझ में आ गया कि राजनीति में जो होता है, वह दिखता नहीं है और जो दिखता है, वह होता नहीं है। इसलिए दोनों वाहक आए और संदेश देकर चले गए।

नाइट वॉच मैन भी...
आजकल सरदार पटेल मार्ग पर स्थित बंगला नंबर 51 चर्चा का केन्द्र बना हुआ है। जबसे इस दफ्तर में आमेर वाले पूनिया का पदार्पण हुआ है, तब से कई जुमले भी पैदा हो रहे हैं। भगवा वाली पार्टी के नए सदर इन छोटे सतीश जी को लेकर कई लोगों की जुबान फिसल रही है। दिलजले उन्हें नाइटवॉचमैन की संज्ञा तक दे रहे हैं। लेकिन उनको यह बोध नहीं है कि नाइटवॉचमैन भी हीरो बन सकता है, बशर्ते वह अपने दिमाग से काम लें। पूनिया जी की नियुक्ति के बाद मैडम के लोग भी काफी सक्रिय हैं। वो मैडम को सलाह दे रहे हैं कि छह महीने की दूरियों से काफी नुकसान उठाना पड़ा है, उसकी भरपाई बहुत जरूरी है। सलाह का असर सूबे की सबसे बड़ी पंचायत में भी दिखाई देने लगा है। भगवा वाले ठिकाने पर चर्चा है कि कुछ दिनों बाद सरदार पटेल मार्ग के बंगला नंबर 51 में तस्वीर बदली हुई नजर आएगी। अब गेंद पूनिया जी के पाले में है

चर्चाएं पावरफुल होने की
इंदिरा गांधी भवन में हाथ वाली पार्टी के दफ्तर में बड़ी कुर्सियों को लेकर दिनभर कई तरह की चर्चाएं हो रही हैं। चर्चाएं भी बोर्ड और निगमों में होने वाली राजनीतिक नियुक्तियों में पावरफुल को लेकर है। लक्ष्मणगढ़ वाले गोविंद जी भाई साहब जब भी दफ्तर में आते हैं, तो चर्चाएं जोर पकड़ लेती हैं। पिछले दिनों ठिकाने पर एक लिफाफा हवा में लहराने के बाद तो चर्चाओं ने और भी जोर पकड़ लिया था। अब बिना सिर पैर की बातें बनाने वाले हाथ वाले भाइयों को कौन समझाए कि पावरफुल तो वो ही होता है, जो सरकार चलाता है। अब समझने वाले समझ गए, ना समझे वो अनाड़ी हैं।
(यह लेखक के अपने विचार हैं)

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