हम नहीं किसी से कम कुश्ती में दिखा रहे दम
कोटा के खिलाड़ियों ने प्रतियोगिताओं में धाक की कायम
कोटा में भी कुश्ती का स्तर बढ़ता जा रहा है। अब तक कई खिलाड़ी नेशनल स्तर की प्रतियोगिताओं में अपना दम दिखा चुके हैंै।
कोटा। अन्तरराष्टÑीय स्तर की कुश्ती प्रतियोगिता में भारत के कई खिलाड़ियों ने पदक दिलाकर नाम रोशन किया है। अब तक कोटा के भी कई खिलाड़ी राष्टÑीय स्तर की प्रतियोगिताओं में अपने दम पर धाक कायम कर चुके हैं। इसके चलते इस खेल के प्रति युवाओं का रुझान बढ़ने लगा है। कुश्ती का खेल पुरातन काल से चला आ रहा है। समय बदलने के साथ खेल का स्तर भी बदलता चला गया। किसी जमाने में मिट्टी के मैदान में होने वाला यह खेल अब मेट पर पहुंच गया है। गांवों में इस खेल का अभी भी काफी क्रेज हैं। वहां पर मिट्टी के मैदानों में ही इस खेल का आयोजन होता है। शहरों में इसका स्तर बदल गया है। अब यहां मेट पर कुश्ती का आयोजन करवाया जाता है। राष्टÑीय व अन्तरराष्टÑीय प्रतियोगिताएं भी मेट पर ही होती हैं। इस कारण अब जिला स्तर पर भी कुश्ती की तैयारियां मेट पर ही करवाई जाती है। कोटा में भी कुश्ती का स्तर बढ़ता जा रहा है। अब तक कई खिलाड़ी नेशनल स्तर की प्रतियोगिताओं में अपना दम दिखा चुके हैंै।
मेहनत के बल पर पाया मुकाम
पिछले कुछ सालों में वैसे तो कई खिलाड़ियों में अपनी मेहनत के बल पर कुश्ती में ऊंचा मुकाम हासिल किया है और स्टेट व नेशनल स्तर पर पदक भी कोटा की झोली में डाले हैं। कोटा के खिलाड़ी यादवेन्द्र ने 92 किग्रा में नेशनल प्रतियोगिता में ब्रांज मेडल हासिल कर रखा है। उन्होेंने दूसरे राज्यों के खिलाड़ियों को कड़ी स्पर्धा में टक्कर देते हुए यह सफलता हासिल की है। वर्तमान में वह नियमित अभ्यास कर गोल्ड की तैयारी में जुटा हुआ है। पहलवान रविन्द्र कुमार भी नेशनल प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल लाकर अपनी ताकत का लोहा मनवा चुके हैं।
सुविधाओं की खल रही कमी
कुश्ती का खेल अब मिट्टी से निकलकर मेट यानि गद्दे पर पहुंच गया है। कोटा में मैदान तो है, लेकिन बेहतरीन मेट की कमी खल रही है। शहर में कई अखाड़े बने हुए हैं, जहां पर नियमित रूप से खिलाड़ियों को कुश्ती का अभ्यास करवाया जाता है। उनमें प्रमुख मंगलेश्वर महादेव व्यायामशाला, देवभूमि अखाड़ा व महावीर व्यायामशाला शामिल है। इन अखाड़ों में रोजाना करीब सौ से डेढ़ खिलाड़ी अलग-अलग वर्गो में कुश्ती का नियमित अभ्यास कर रहे हैं। यहां पर मेट की सुविधा तो है, लेकिन वह स्टेट व नेशनल स्तर प्रतियोगिताओं के अनुरूप नहीं है। इससे खिलाड़ियों को परेशानी होती है। यदि बेहतर मेट की व्यवस्था हो जाए तो कोटा के खाते में पदकों की संख्या और जुड़ जाएगी।
कुश्ती में कोटा के खिलाड़ियों ने अपने बेहतरीन खेल से अच्छा मुकाम हासिल कर रखा है। अब तक कई खिलाड़ी अलग-अलग भार वर्गों में कोटा को पदक दिला चुके हैं। अब तो स्कूली स्तर पर भी खिलाड़ियों को तैयार किया जा रहा है। यदि भामाशाह और सरकार की ओर से पर्याप्त सुविधाएं मिल जाए तो कोटा कुश्ती में हरियाणा की तरह सिरमौर हो सकता है।
- इन्द्र कुमार दत्ता, अध्यक्ष जिला कुश्ती संघ कोटा
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