गहलोत की नई टीम

गहलोत की नई टीम

राजस्थान में आखिर लंबी प्रतीक्षा के बाद मंत्रिमण्डल का विस्तार हो गया और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की नई टीम की सरकार तैयार हो गई।

राजस्थान में आखिर लंबी प्रतीक्षा के बाद मंत्रिमण्डल का विस्तार हो गया और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की नई टीम की सरकार तैयार हो गई। गहलोत ने अपनी नई टीम में ग्यारह कैबिनेट और चार राज्य मंत्रियों का चयन किया और इस नई टीम में चार मंत्री सचिन पायलट के समर्थक माने जाते हैं। मंत्रिमण्डल से पायलट को दूर रखा गया है। गहलोत मंत्रिमण्डल का जिस तरह से पुनर्गठन किया गया है उससे यह आभास होता है कि कांग्र्रेस आलाकमान दो साल बाद राज्य में होने वाले विधानसभा चुनावों में कोई जोखिम उठाने को तैयार नहीं है। पिछले दो दशकों से राज्य में यह परम्परा बनी हुई है कि मतदाता पांच साल बाद दूसरी पार्टी की सरकार को चुन लेता है। गौरतलब है कि राज्य में दो ही प्रमुख दल कांग्र्रेस और भाजपा ही आमने-सामने होते हैं। जनता के पास तीसरा कोई सशक्त विकल्प नहीं है। बहरहाल, आलाकमान व मुख्यमंत्री गहलोत इस बात से आश्वस्त हैं कि अगले चुनावों में सत्ता परिवर्तन की पुरानी परम्परा टुटेगी और अगली बार भी राज्य में कांग्र्रेस की सरकार बनेगी। क्योंकि गहलोत राज्य में जनहित में लिए गए फैसलों से काफी संतुष्ट हैं और आत्मविश्वास से भी भरे हैं। मगर गहलोत ने पहले भी मुख्यमंत्री रहते हुए जनहित में कई कल्याणकारी नीतियां बनाई थीं, जिनसे लग तो यही रहा था कि कांग्र्रेस फिर सत्ता में आ सकती है और गहलोत भी काफी आश्वस्त थे, लेकिन चुनावी नतीजे कांग्र्रेस के पक्ष में नहीं रहे। कांग्र्रेस में गुटबाजी हर बार, हर वक्त रही है, लेकिन इस बार तो राज्य में खुली जबर्दस्त गुटबाजी का बोलबाला है। राज्य में गहलोत व पायलट के दो खेमों में बंटी है और दोनों गुटों में परस्पर मनमुटाव भी ज्यादा ही है। अब से करीब कोई अठारह माह पहले पायलट गुट ने तो सरकार के खिलाफ बगावत तक कर डाली थी और गहलोत सरकार पर संकट के बादल मण्डराने लग गए थे। लेकिन फिर भी गहलोत अपनी चतुराई व राजनीतिक कौशल की वजह से सरकार बचाने में सफल रहे। गहलोत काफी चतुर राजनीतिज्ञ माने जाते हैं। पिछले चुनावों में दो सौ सदस्यीय विधानसभा में कांग्र्रेस को 98 सीटें ही मिली थीं फिर भी गहलोत निर्दलीय व बसपा विधायकों के सहयोग से सरकार बनाने में सफल रहे और सफलतापूर्वक सरकार चलाने का श्रेय उन्हें ही जाता है। गहलोत से उम्मीद है कि वे अपनी नई टीम के साथ जनता अपेक्षाओं पर खरा रतरेंगे।

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