राज्यसभा में चला अनुशासन का डंडा, राज्यसभा के 12 सांसद सदन से निलंबित
शीतकालीन के पूर सत्र में नहीं हो सकेंगे शामिल
नई दिल्ली। राज्य सभा के 12 सदस्यों को मानसून सत्र के दौरान अनुचित आचरण, सुरक्षाकर्मियों पर हमले तथा आसन की अवमानना के लिए शीतकालीन सत्र की शेष अवधि के लिए सोमवार को सदन से निलंबित कर दिया गया। संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने सदन में इस आशय का प्रस्ताव पेश किया जिसे विपक्षी सदस्यों के विरोध और हंगामे के बीच ध्वनि मत से पारित कर दिया गया।
प्रस्ताव में कहा गया है कि इस सदन ने राज्यसभा के 254 वें सत्र (मानसून सत्र) के अंतिम दिन यानी गत 11 अगस्त को आसन के अपमान , सदन के नियमों की लगातार धज्जी उडाये जाने , जानबूझकर सदन की कार्यवाही को बाधित करने , असाधारण रूप से अनुचित आचरण करने , उग्र व्यवहार, और जान बूझकर सुरक्षाकर्मियों पर हमले का संज्ञान लिया है। सदन इसकी कड़ी निंदा करता है।
माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के इलावरम करीम, कांग्रेस की फूलोदेवी नेताम, छाया देवी वर्मा, नासिर हुसैन, अखिलेश प्रसाद, राजमणि पटेल, रिपुन बोरा और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के विनय विश्वम, तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन, शांता छेत्री तथा शिवसेना के प्रियंका चतुर्वेदी और अनिल देसाई ने सदन की गरिमा को ठेस पहुंचायी है। इन सदस्यों को नियमावली के नियम 256 के तहत शीतकालीन सत्र की शेष अवधि के लिए सदन से निलंबित किया जाता है।
उप सभापति हरिवंश ने विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच इस प्रस्ताव पर सदन की राय ली और कहा कि यह प्रस्ताव ध्वनि मत से पारित किया जाता है। इसके बाद उन्होंने सदन की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी। इससे पहले भी सदन की कार्यवाही बीच-बीच में चार बार स्थगित करनी पड़ी। इससे पहले सुबह सभापति एम वेंकैया नायडू ने भी अपनी आरंभिक टिप्पणी में इस घटना का जिक्र करते हुए कहा था कि सदस्यों का अनुचित आचरण अभी भी सबके जहन में है।
उन्होंने कहा कि सत्ता पक्ष के सदस्य मानसून सत्र के अंतिम दिन कुछ सदस्यों के अनुचित आचरण की जांच की मांग कर रहे थ। मैंने इस बारे में विभिन्न दलों के नेताओं के साथ संपर्क की कोशिश की थी। इनमें से कुछ न कहा था कि उनके सदस्य इस जांच में हिस्सा नहीं लेंगे। कुछ सदस्यों ने सदन में हुए अनुचित आचरण की निंदा भी की थी।
नायडू ने कहा कि उन्हें उम्मीद थी कि सदन इस मामले की ङ्क्षनदा कर आत्मचिंतन करने का आश्वासन देगा जिससे कि इस तरह की घटनाओं की पुनरावृति न हो। इससे मुझे मामले से सही तरीके से निपटने में मदद मिलती लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा नहीं हुआ।
उल्लेखनीय है कि विपक्षी सदस्यों ने मानसून सत्र के दौरान 11 अगस्त को सदन में बीमा संशोधन विधेयक पारित किये जाने का विरोध करते हुए जोरदार हंगामा किया था। इस दौरान सदस्य में अव्यवस्था का माहौल बन गया और अप्रत्याशित रूप से उपरोक्त घटनाएं हुई।
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