सरकार के तीन साल: इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी की कवायद शुरू हुई तो सड़क सुरक्षा के लिए उठाए कदम
लोगों की सहूलियत के लिए सुविधाएं बढ़ाई तो विभाग का नाम भी बदला
जयपुर। कांग्रेस सरकार के तीन वर्ष के कार्यकाल में परिवहन विभाग ने कई अहम निर्णय लिए है। विभाग के रूटीन के काम-काज में लोगों की सुविधा के लिए कई सेवाओं का सरलीकरण किया है। विभाग ने इस साल रोड सेफ्टी को ज्यादा महत्व दिया तो राज्य सरकार ने भी विभाग का नाम भी बदलकर परिवहन एवं सड़क सुरक्षा विभाग कर दिया। करीब दो दर्जन सुविधाओं को ऑनलाइन करने के साथ ही परीक्षाओं में परीक्षार्थियों को नि:शुल्क सफर कराने, एंबुलेंस की दर निर्धारित करने व जीपीएस लगाने, ट्रोमा सेंटर में आईसीयू बनाने सहित अन्य कार्य किए हैं। इससे आमजन को काफी सुविधा मिल सकेगी। परिवहन विभाग सीएम की बजट घोषणाओं को पूरा करने में अव्वल है। मौजूदा घोषणाओं में करीब 80 फीसदी काम हो चुका। वहीं अन्य घोषणाओं को पूरा करने के लिए कार्य किए जा रहे हैं। वहीं विभाग की ओर से आवेदन में ही ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने के समय ऑर्गन डोनेट के लिए भी लोगों से सहमति ली जा रही है। अभी तक प्रदेश में करीब पौने तीन लाख से अधिक लोगों ने अंगदान में सहमति दी है। काफी सुविधा ऑनलाइन होने से आवेदकों को परिवहन कार्यालय में चक्कर काटने से निजात मिली है। वहीं कोरोना के चलते परिवहन विभाग ने ऑक्सीजन परिवहन का अच्छा काम किया। इसके चलते ऑक्सीजन की कमी नहीं आई। वहीं रीट और पटवारी परीक्षा में कुल लगभग 40 लाख अभ्यर्थियों को रोडवेज और निजी बसों में नि:शुल्क यात्रा का बेहतर प्रबंधन किया। इसी प्रकार लॉकडाउन की अवधि में परिवहन विभाग ने रेलवे से समन्वय कर 2 लाख 35 हजार लोगों को गंतव्य तक पहुंचाया।
यह कार्य भी किए
सड़क दुर्घटनाओं के वैज्ञानिक विश्लेषण के लिए इंट्रीग्रेटेड रोड एक्सीडेंट डेटाबेस तैयार किया गया।
राज्य के 100 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों को प्राइमरी ट्रोमा सेंटर के रूप में क्रमोन्नत किया। इसके लिए सड़क सुरक्षा फंड से चिकित्सा विभाग को करीब 25 करोड़ रुपए दिए गए।
सड़क सुरक्षा रोड मैप तैयार किया गया। पॉस मशीनों से चालान बनाए जा रहे है।
एसएमएस अस्पताल के ट्रोमा सेंटर में सड़क सुरक्षा कोष से 1428.66 लाख रुपए की लागत से आईसीयू स्किल लैब और बेसिक लाइफ सपोर्ट ट्रेनिंग सेंटर बनाया गया।
वाहन स्वामियों और आमजन को बकाया टैक्स की जानकारी देने के लिए वाहन 4.0 पोर्टल पर आवश्यक प्रावधान किया गया है।
प्रदेश में ऑटोमेटिक ड्राइविंग ट्रेक के लिए 43 करोड़ रुपए का खर्च कर 30 जगह ऑटोमेटिक ड्राइविंग ट्रेक बनवाए जा रहे हैं। पहली बार जयपुर में ऑटोमेटिक ड्राइविंग ट्रक से ड्राइविंग लाइसेंस बनने का काम शुरू हुआ है। अभी 11 परिवहन कार्यालयों में ऑटोमेटिक ड्राइविंग ट्रेक से ही लाइसेंस बनाए जा रहे हैं।
आरटीओ कार्यालय जोधपुर, डीटीओ बालोतरा, डीटीओ शाहपुरा (जयपुर) और डीटीओ कार्यालय भिवाड़ी के नए भवनों की सौगात दी।
मोटर वाहन उपनिरीक्षक के 197 पदों की भर्ती का प्रस्ताव राजस्थान अधीनस्थ एवं मंत्रालयिक सेवा चयन बोर्ड को भेजी।
सरकार की बजट घोषणाओं में से लगभग 80 प्रतिशत घोषणाओं को पूरा किया जा चुका है। इसके तहत 19 सेवाओं को ऑनलाइन किया जा चुका है। अंगदान को बढ़ावा देने में लोगों को जागरूक किया गया। इलेक्ट्रिक व्हीकल को प्राथमिकता देने के लिए पॉलिसी तैयार की गई है। परिवहन नीति को जल्द जारी किया जाएगा।-महेन्द्र सोनी, परिवहन आयुक्त
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