जाने राजकाज में क्या है खास
चर्चा है कि दिल्ली वाली बहन-भाई की जोड़ी ने ग्रेनेड तो सूबे के यूथ लीडर को सौंपकर जंग में भेज दिया, लेकिन उसकी पिन अपने पास ही रख ली।
अब चर्चा में ग्रेनेड एण्ड पिन
सूबे की पॉलिटिक्स में हर दिन कोई न कोई नई चर्चा होती रहती है। इन चर्चाओं से कोई भी पार्टी का वर्कर अछूता नहीं है। लेकिन इस बार की चर्चा कुछ अलग हटकर है। इस चर्चा से सरदार पटेल मार्ग स्थित बंगला नंबर 51 में बने भगवा वालों के ठिकानों के साथ इंदिरा गांधी भवन में बना पीसीसी का दफ्तर भी अछूता नहीं है। हर गली-मौहल्ले में भी इसकी चर्चा हुए बिना नहीं रहती। चर्चा है कि दिल्ली वाली बहन-भाई की जोड़ी ने ग्रेनेड तो सूबे के यूथ लीडर को सौंपकर जंग में भेज दिया, लेकिन उसकी पिन अपने पास ही रख ली। अब यूथ लीडर और उसके सपोर्टर्स को भी समझ में आ गया कि बिना पिन के ग्रेनेड उनके किसी काम का नहीं है। अब ग्रेनेड और पिन किस-किस के पास है, समझने वाले समझ गए, ना समझे वो अनाड़ी हैं।
दो करोड़ बनाम छह करोड़
हमारे सूबे में खाकी वाले साहब लोग या तो धमाका करते नहीं है और करते हैं, तो दूर तक आवाज सुनाई दिए बिना रहती नहीं। अब देखो ना, एक मोहतरमा ने दो करोड़ की घूस क्या मांग ली, ठाले बैठे कई साहब लोग कड़ी से कड़ी जोड़कर गड़े मुर्दें उखाड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे। अब कहने वालों का तो मुंह पकड़ा नहीं जाता, सो ऊपर वालों का नाम ले लेकर बोल रहे हैं। राज का काज करने वाले लंच केबिनों में बतियाते हैं कि दो करोड़ का मामला तो, एसीबी वालों तक पहुंच गया, लेकिन इससे पहले छह करोड़ वाले तीन प्रकरणों की किसी को हवा तक नहीं लगी। वो बात अलग है कि सूंघासांधी करने पर परतें खुलते देर नहीं लगती।
चर्चा में एक बनाम छत्तीस
सूबे में हाथ वाले भाई लोगों में एक बनाम छत्तीस को लेकर चर्चा जोरों पर है। इंदिरा गांधी भवन में बने हाथ वाले के ठिकाने पर आने वाले वर्कर इस पर चर्चा किए बिना नहीं रहते। पिंकसिटी से लालकिले वाली महानगरी तक इस चर्चा को लेकर चिंतन-मंथन हो रहा है। चर्चा है कि पार्टी को अब एक कौम और एक व्यक्ति तक सीमित रखने के लिए कुछ भाई लोग दिन-रात पसीना बहाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। और तो और खुद नेता भी अपनी जबरदस्त मार्केटिंग करने के लिए अपनी ऐड़ियां घिस रहे हैं। वे न आगा सोच रहे हैं और न ही पीछा। अब उनको कौन समझाए कि 137 साल पुरानी हाथ वाली पार्टी में आज भी ऐसे डिप्लोमेट लीडर हैं, जो किसी गुट के नेता के लिए नहीं, बल्कि सिर्फ पार्टी के लिए काम करते हैं। राज का काज करने वाले भी समझ गए कि हाथ वालों में खुले जो कुछ चल रहा है, उससे गड़बड़ के सिवाय कुछ भी हाथ लगने वाला नहीं है।
एक्सक्ल्युड बनाम इनक्ल्युड
इन दिनों सूबे में एक्सक्ल्युड और इनक्ल्युड को लेकर काफी चर्चा है। इससे इंदिरा गांधी भवन में बने हाथ वालों के ठिकाने के साथ ही सरदार पटेल मार्ग स्थित बंगला नंबर 51 में भगवा वालों के मंदिर भी अछूते नहीं है। राज का काज करने वाले अपने हिसाब से चर्चा में मशगूल हैं। जो भाई लोग इन शब्दों का अर्थ नहीं समझ पा रहे, वो अपने गुरुओं की शरण में हैं। पीसीसी में चर्चा है कि भगवा वाले इनक्ल्युड में कुछ ज्यादा ही विश्वास करते हैं, वो सबसे पहले अपने ही लोगों को घर का रास्ता दिखाने में माहिर हैं। भगवा वालों के ठिकाने के साथ भारती भवन में चिंतन बैठकों में हाथ वालों के इनक्ल्युड फार्मूले को लेकर बहस छिड़ी हुई है। चर्चा है कि हाथ वाले इनक्ल्युड फार्मूले से उन लोगों को गले लगा रहे हैं, जिनके पूर्वजों को किसी न किसी बहाने ठिकाने लगा दिया गया था।
एक जुमला यह भी
इन दिनों हाथ वालों के साथ भगवा वाले भाई लोगों में एक जुमला जोरों पर है। जुमला भी छोटा-मोटा नहीं, बल्कि परेशानी से ताल्लुक रखता है। दो बनाम नौ में बंटे दोनों दलों के ठिकाने पर आने वाले वर्कर्स इस जुमले को एक-दूसरे को सुनाए बिना नहीं रहते। जुमला है कि कोई हकीकत में परेशान है, तो कोई हकीकत से परेशान है। लेकिन परेशानी दोनों तरफ है।
-एल. एल शर्मा
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