वरिष्ठ नागरिकों के 1.92 लाख मुकदमे अदालतों में लंबित
एक मामला 1965 से लंबित
वरिष्ठ नागरिक वृद्धावस्था में भी अदालत और वकीलों के कार्यालय के चक्कर काटने को मजबूर हैं। राजस्थान हाईकोर्ट की बात करें तो हाईकोर्ट में वरिष्ठ नागरिकों के कुल 89 हजार 687 मामले लंबित है।
ब्यूरो/नवज्योति, जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट सहित प्रदेश की अधीनस्थ अदालतों में 1.92 लाख से अधिक वरिष्ठ नागरिकों के मुकदमे लंबित चल रहे हैं। वही ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है कि वरिष्ठ नागरिकों के मुकदमों को प्राथमिकता से सुनने के लिए अलग से कोई कोर्ट स्थापित की गई हो। इसके चलते सामान्य मामलों की तरह वरिष्ठ नागरिकों के मुकदमों को भी सुना जा रहा है। ऐसे में वरिष्ठ नागरिक वृद्धावस्था में भी अदालत और वकीलों के कार्यालय के चक्कर काटने को मजबूर हैं। राजस्थान हाईकोर्ट की बात करें तो हाईकोर्ट में वरिष्ठ नागरिकों के कुल 89 हजार 687 मामले लंबित है। वही निचली अदालत में एक लाख 2 हजार 433 मामले नागरिकों के लंबित हैं।
एक मामला 1965 से लंबित
अदालतों में लंबित मुकदमों की बात की जाए तो प्रदेश की न्यायपालिका में सबसे पुराना मामला वर्ष 1965 में दायर सिविल सूट है। जोधपुर की अधीनस्थ अदालत में दायर इस मुकदमे में हाईकोर्ट की ओर से कई सालों से स्टे चल रहा है। वहीं हाईकोर्ट मामले में अब आगामी 24 मई को सुनवाई करेगी।
क्या कहते हैं विधि विशेषज्ञ
महिला उत्पीड़न और पॉक्सो अदालतों की तरह वरिष्ठ नागरिकों के मुकदमों के त्वरित निस्तारण के लिए अलग से विशेष न्यायालय नहीं हैं। ऐसे में सामान्य मुकदमों की तरह सुनवाई होने से इनके मुकदमों में भी देरी होती है।
-विकास सोमानी, अधिवक्ता
अदालतों में वरिष्ठ नागरिकों के मुकदमों की संख्या बहुत ज्यादा है। हाईकोर्ट में वरिष्ठ नागरिकों के नए मुकदमों को प्राथमिकता दी जाती है, लेकिन नोटिस जारी होने के बाद उन्हें सामान्य प्रकरणों की तरह की सूचीबद्ध किया जाता है। हाईकोर्ट प्रशासन को इनके निस्तारण पर ध्यान देना चाहिए।
-रामप्रताप सैनी, अधिवक्ता
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