चंबल की कहानी, यूं पहुंचता है घरों तक पानी

पढ़िए, आपके घरों तक कैसे पहुंचता है चंबल का पानी

चंबल की कहानी, यूं पहुंचता है घरों तक पानी

चंबल नदी के पानी को पीने योग्य बनाने और घरों तक पहुंचाने के लिए चार प्रक्रियाएं अपनानी पड़ती है। जिसमें नदी से पानी उठाना, फिल्टर प्लांट तक पहुंचाना, प्लांट पर पानी को शुद्ध करना, गुणवत्ता परखना, मिनरल्स, आयरन, कैल्शियम सहित अन्य खनीज पदार्थ की जांच कर सप्लाई करना शामिल है।

कोटा। नल घुमाने से ही पानी नहीं मिलता, बल्कि जोखिम और चुनौतियों के बीच जान की बाजी लगाने पर नसीब होता है। चंबल से घर तक पानी का सफर आसान नहीं है। इसे आसान बनाने के लिए जलदाय विभाग का पूरा मैकेनिज्म काम करता है। विशालकाय मशीनों के बीच 24 घंटे 300 कर्मचारियों की हाड़तोड़ मेहनत, अथक परिश्रम और अधिकारियों का सुपरवीजन, पानी की राह आसान बनाता है।  दैनिक नवज्योति में पढ़िए, चंबल से घर तक पानी का सफर....

नदी से घर तक पानी का सफर 
चंबल नदी के पानी को पीने योग्य बनाने और घरों तक पहुंचाने के लिए चार प्रक्रियाएं अपनानी पड़ती है। जिसमें नदी से पानी उठाना, फिल्टर प्लांट तक पहुंचाना, प्लांट पर पानी को शुद्ध करना, गुणवत्ता परखना, मिनरल्स, आयरन, कैल्शियम सहित अन्य खनीज पदार्थ की जांच कर सप्लाई करना शामिल है। 

पहली प्रक्रिया : चंबल से रॉ वाटर उठाना
चंबल की कराइयों में नदी से पानी उठाने के लिए तीन पम्प हाउस बने हुए हैं। जिनमें आरयूआईडीपी, वर्ल्डबैंक और ओल्ड पम्प हाउस शामिल हैं। इन पम्पहाउस में विशालकाय मशीनों से तीन बड़ी-बड़ी पाइप लाइनें जुड़ी हैं। जिनसे 2 हजार 800 लाख रॉ वाटर चंबल से लिया जाता है, फिर पम्पहाउस से करीब दो किमी दूर फिल्टर प्लांट में शुद्धिकरण के लिए भेज दिया जाता है। 

तीसरी प्रक्रिया  पोस्ट क्लोरिनेशन यानी रॉ वाटर को फिल्टर करना
दूसरी प्रक्रिया में पानी शुद्ध होने के बाद तीसरी प्रक्रिया में फिर से पानी को फिल्टर किया जाता है। इसके लिए पोस्ट क्लोरिनेशन अपनाई जाती है। इनलेट के क्लेरिफायर से पानी अंडरग्राउंड पाइपलाइनों के जरिए सीधे मुख्य चैनल में लाया जाता है। इस चैनल को 64-64 एलडी के तीन फिल्टर यूनिट में बांटा गया है और यह तीनों यूनिटें 12 बेड से जुड़ी होती है। प्रत्येक बेड में तीन फिल्टर लेयर होती है। जिसमें पहली लेयर में कंकड, दूसरी में मोटी रेत, काई और तीसरी लेयर में बारिक रेत व अन्य पार्टिकल्स को पानी से अलग किया जाता है। प्रत्येक बेड से एक और चेम्बर जुड़ा होता है। जिसमें आखिरी बार पानी में क्लोरिन मिलाकर पानी को फिर से शुद्ध किया जाता है। इसके बाद पानी की गुणवत्ता जांचने के लिए लैब में शुद्ध पानी के सैंपल भेजे जाते हैं।  इसके बाद ही सप्लाई की जाती है।

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दूसरी प्रक्रिया :  पानी से गंदगी दूर करना 
आरयूआईडीपी, वर्ल्डबैंक और ओल्ड पम्प हाउस को मिलाकर कुल 2100 लाख लीटर अशुद्ध पानी को फिल्टर करने के लिए इनलेट में पहुंचाया जाता है। जहां एलम, ब्लिचिंग और क्लोरिन मिलाकर पानी में जमा गंदगी को दूर किया जाता है। गंदगी नीचे बैठ जाती है और साफ पानी विभिन्न पाइपलाइनों के जरिए इनलेंट से जुड़े 6 क्लेरिफायर में पहुंचता है। जहां पानी को फिर से शुद्ध करने के लिए प्री-क्लोरिनेशन की जाती है। प्रत्येक क्लेरिफायर चेम्बर 350 लाख लीटर क्षमता का होता है। चेम्बर में आए पानी में एलम और ब्लिचिंग मिलाकर डोजिंग की जाती है। जिससे पानी में मौजूद अशुद्धियां जैसे, काई, मिटटी, बारिक कंकड, रेत आदि नीचे बैठ जाते हैं और शुद्ध पानी पाइप लाइनों के जरिए आगे मैन चेनल में पहुंच जाता है। इस प्रक्रिया में करीब 45 मिनट लगते हैं। 

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चौथी प्रक्रिया  
टेस्टिंग के बाद सप्लाई 
तीसरी प्रक्रिया में पानी पूरी तरह से पीने योग्य हो जाता है। लेकिन, शहर में सप्लाई से पहले पानी की गुणवत्ता परखी जाती है। इसके लिए पानी के सैंपल लैब भिजवाए जाते हैं। जहां, सीनियर कैमिस्ट पानी में टीडीएस, प्लोराइड, मिनरल्स सहित अन्य पैरामीटर की बारिकी से जांच करते हैं। पानी की क्वालिटी निर्धारित मापदंड पर खरी उतरने के बाद ही घरों तक पानी की सप्लाई की जाती है।

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किस प्लांट की कितनी क्षमता

आरयूआईडीपी पम्प हाउस 
इसमें 715 होर्स पावर के 4 पम्प चंबल से पानी खींचने के लिए लगे हैं। इसमें 3 पम्प वर्किंग में और 1 स्टैंड बाय में रखा जाता है। इस पम्प हाउस से 130 एमएलडी यानी 1300 लाख लीटर रॉ वाटर नदी से उठाया जाता है। 

वर्ल्डबैंक पम्प हाउस 
इसमें 375 होर्स पावर के 4 पम्प लगे हैं। जिनमें 3 पम्प वर्किंग में और 1 एक्सट्रा में है। जिसे जरूरत के मुताबिक यूज किया जाता है। इस पम्प हाउस से 100 एमएलडी यानी 1 हजार लाख लीटर पानी चंबल से उठाया जाता है। 

ओल्ड पम्प हाउस 
इस पम्पहाउस में नदी से पानी खींचने के लिए 300 होर्स पावर के 4 पम्प लगे होते हैं। इससे 40 एमएलडी यानी 400 लाख लीटर पानी लिया जाता है। यह तीनों पम्प हाउस 24 घंटे लगातार चलते हैं। 

जलदाय विभाग का मूल उद्देश्य हर व्यक्ति को शुद्ध पानी उपलब्ध कराना है। हर कर्मचारी-अधिकारी कृत संकल्पित है। पानी को शुद्ध बनाने में मेहनत लगती है। अपनी पीढ़ियों के लिए पानी बचाएं।   
-भारत भूषण मिगलानी, एक्सईएन जलदाय विभाग कोटा

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