तहलका के पूर्व संपादक तरुण तेजपाल 8 साल बाद यौन शोषण केस में बरी, गोवा की सेशन कोर्ट का फैसला

तहलका के पूर्व संपादक तरुण तेजपाल 8 साल बाद यौन शोषण केस में बरी, गोवा की सेशन कोर्ट का फैसला

रेप केस में पत्रकार तरुण तेजपाल को गोवा की सेशन कोर्ट ने बरी कर दिया है। तहलका मैगजीन के पूर्व प्रधान संपादक तरुण तेजपाल पर 2013 में उनकी महिला सहयोगी ने यौन उत्‍पीड़न का आरोप लगाया था।

पणजी। तहलका मैगजीन के पूर्व प्रधान संपादक तरुण तेजपाल को कथित यौन उत्पीड़न मामले में सभी आरोपों से बरी कर दिया गया है। गोवा की एक स्थानीय अदालत ने शुक्रवार को अपना फैसला सुनाया। तरुण तेजपाल पर साल 2013 में उनकी महिला सहकर्मी ने यौन उत्पीड़न करने के आरोप लगाए थे। महिला के आरोपों के अनुसार गोवा में आयोजित कार्यक्रम के दौरान पांच सितारा होटल की लिफ्ट में तेजपाल ने उनका उत्पीड़न किया था। तेजपाल के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं 376 (बलात्कार), 341 (गलत तरीके से किसी को रोकना), 342 (गलत तरीके से किसी को घेरकर रखना), 354ए (शारीरिक उत्पीड़न) और 354बी( आपराधिक हमला) के तहत मामला दर्ज किया गया था। इस फैसले के बाद तेजपाल के वकील ने कहा कि कोर्ट ने उसके मुवक्किल को सभी आरोपों से बरी कर दिया है लेकिन अभी तक आदेश की कॉपी नहीं दी गई है। वकील का कहना है कि आदेश की कॉपी बाद में अपलोड की जाएगी।

शिकायतकर्ता महिला पत्रकार के अनुसार यह घटना 7 नवंबर 2013 की है, जब तेजपाल ने एक लिफ्ट में इस पत्रकार के साथ छेड़खानी की थी और उस समय यह मामला काफी चर्चा में आया था। गोवा पुलिस ने इस मामले में तेजपाल के खिलाफ 20 नवंबर को प्राथमिकी दर्ज की थी, जिसमें दुष्कर्म का आरोप था। एक स्थानीय अदालत में अग्रिम जमानत याचिका खारिज होने के बाद पुलिस ने तेजपाल को 30 नवंबर 2013 को गिरफ्तार किया था। इसके बाद तेजपाल को 8 महीने तक पुलिस और न्यायिक हिरासत में रहना पड़ा था। गोवा पुलिस की क्राइम ब्रांच ने फरवरी 2014 में उनके खिलाफ 2846 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की थी, लेकिन बाद में सुप्रीम कोर्ट ने तेजपाल को जमानत पर रिहा कर दिया था।

इस मामले में प्रतिक्रिया करते हुए गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने कहा कि जिला अदालत के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार हाईकोर्ट में अपील कर करेगी। उन्होंने कहा कि गोवा में महिलाओं के साथ अन्याय को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और तेजपाल को बरी किए जाने पर इस मामले को हाईकोर्ट में चुनौती देने के लिए वह व्यक्तिगत रूप से सरकारी वकील तथा जांच अधिकारी के साथ विचार विमर्श करेंगे।    

बता दें कि अतिरिक्त जिला एवं सत्र अदालत ने 8 मार्च को तेजपाल मामले में अंतिम दलीलें सुनी। इम मामले में कोर्ट पहले 27 अप्रैल को फैसला सुनाने वाली थी, लेकिन न्यायाधीश क्षमा जोशी ने फैसला 12 मई तक स्थगित कर दिया था। 12 मई को फैसला एक बार फिर 19 मई के लिए टाल दिया गया था। 19 मई को न्यायाधीश क्षमा जोशी ने फैसला 21 मई के दिन सुनाने के लिए कहा था। कोर्ट ने पूर्व में कहा था कि कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के चलते स्टाफ की कमी के कारण यह मामला स्थगित किया गया था। तरुण तेजपाल ने इससे पहले बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख कर अपने ऊपर आरोप तय किए जाने पर रोक लगाने का अनुरोध किया था, लेकिन उनकी याचिका खारिज कर दी गई थी।

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