पंजाबी नाटक सबसे बड़ा रुपैया का जोरदार मंचन
नाटक में चुटीले संवादों के माध्यम से समाज के गिरते नैतिक मूल्यों पर गहरा तंज किया गया
कर्मयोगी सरदार गुरुप्रीत सिंह को समर्पित इस नाट्य संध्या में जयपुर थिएटर के करीब दो दर्जन कलाकारों ने पहली बार पंजाबी भाषा में नाटक खेला।
पीपुल्स मीडिया थियेटर के बैनर तले दो दिवसीय भाषाई नाट्य समारोह में पहले दिन पंजाबी नाटक सबसे बड़ा रुपैया का जोरदार मंचन हुआ। जवाहर कला केंद्र के रंगायन सभागार में मशहूर अफसानानिगार कृष्ण चंद्र की कहानी पर आधारित इस नाटक का निर्देशन वरिष्ठ निर्देशक अशोक राही ने और पंजाबी अनुवाद सुषमा नरूला ने किया है।
कर्मयोगी सरदार गुरुप्रीत सिंह को समर्पित इस नाट्य संध्या में जयपुर थिएटर के करीब दो दर्जन कलाकारों ने पहली बार पंजाबी भाषा में नाटक खेला। सबसे बड़ा रुपैया एक घमंडी पैसे वाले फकीरचंद की दास्तान है जो सट्टे, चोरबाजारी से करोड़ों रुपया कमाता है और अपनी जिद में अपने पुराने दोस्त त्रिपाठी से एक अजीबोगरीब शर्त लगा बैठता है कि जो उससे 50 जूते खाएगा उसे वह 10,000 इनाम देगा। पहले तो लोग नहीं आते पर धीरे-धीरे हजारों लोगों की भीड़ जुट जाती है और अपनी जिद में अपने सारे पैसे गंवा बैठता है। नाटक में चुटीले संवादों के माध्यम से समाज के गिरते नैतिक मूल्यों पर गहरा तंज़ किया गया।
इस शो में राहुल शर्मा, दीक्षाक शर्मा, अभिषेक कुमार,अंशु कटारिया ,सत्येंद्र सिंह ,अक्षत शर्मा, गौरव ,अतुल गुप्ता, संजय महावर, जितेश सहारण ,केशव सिंह, पीयूष शर्मा, प्रेरणा , रजत शर्मा, रिया पंवार कृष्ण कुमार, सौरभ सहित करीब दो दर्जन युवा कलाकारों ने भाग लिया। नाटक के सह निर्देशक नितिन सैनी ,रूप सज्जाकार रवि बांका और प्रकाश संयोजन चारु भाटिया का था। नाटक से पूर्व खास मेहमानों ने कर्मयोगी सरदार गुरुप्रीत सिंह की तस्वीर पर माल्यार्पण किया। उनके मित्र करीबी मित्र केएल सैनी, डॉक्टर तीरथ सिंह और विजय तिवारी ने सरदार गुरुप्रीत सिंह के व्यक्तित्व और कृतित्व पर चर्चा की। इस आयोजन में उनके परिजन और मित्रों सहित अनेक पंजाबी भाषी लोग मौजूद थे।
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