10वीं-12वीं बोर्ड एग्जाम रद्द, सवा अरब से ज्यादा का परीक्षा शुल्क लौटाने पर आरबीएसई खामोश

10वीं-12वीं बोर्ड एग्जाम रद्द, सवा अरब से ज्यादा का परीक्षा शुल्क लौटाने पर आरबीएसई खामोश

राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की सैकण्डरी और सीनियर सैकण्डरी की परीक्षा रद्द होने के बाद अब अभिभावकों और परीक्षार्थियों में फीस वापसी को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। लेकिन बोर्ड का फीस लौटाने पर अब तक कोई पक्ष सामने नहीं आया है। इससे संशय की स्थिति है कि फीस वापस मिलेगी या नहीं?

अजमेर। राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की सैकण्डरी और सीनियर सैकण्डरी की परीक्षा रद्द होने के बाद अब अभिभावकों और परीक्षार्थियों में फीस वापसी को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। लेकिन बोर्ड का फीस लौटाने पर अब तक कोई पक्ष सामने नहीं आया है। इससे संशय की स्थिति है कि फीस वापस मिलेगी या नहीं? बोर्ड परीक्षाएं निरस्त होने के बाद अब विद्यार्थियों को अगली कक्षाओं में बिना परीक्षा लिए ही प्रमोट कर दिया जाएगा। ऐसे में प्रदेश भर के विभिन्न स्कूल और अभिभावक संगठनों ने परीक्षा शुल्क लौटाने की मुहिम छेड़ दी है। प्रदेश के इतिहास में पहली बार बोर्ड परीक्षा निरस्त हुई है।

सीबीएसई के फैसले का इंतजार
इससे पहले केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की परीक्षाएं भी पहली ही बार निरस्त हो चुकी हैं। उसके परीक्षार्थियों और अभिभावकों को भी परीक्षा शुल्क वापस मिलने उम्मीद है, लेकिन सीबीएसई भी फिलहाल इस मुद्दे पर खामोश है। माना जा रहा है कि फीस के मामले में भी राजस्थान बोर्ड सीबीएसई के निर्णय का इंतजार करेगा और उसी की पालना करेगा।

समायोजन का विकल्प
शिक्षाविदें का मानना है कि सीबीएसई और आरबीएसई दोनों ही फीस नहीं लौटाकर समायोजित करने का विकल्प दे सकते हैं। इसमें दसवीं और बारहवीं बोर्ड के परीक्षार्थियों को प्रमोट के लिए मार्कशीट तैयार करने और प्रमाण-पत्र देकर फीस का एडजस्ट किया जा सकता है। इसके अलावा दसवीं के परीक्षार्थियों की फीस को दो वर्ष बाद बारहवीं कक्षा में आने पर समायोजित किया जा सकता है। तब फीस में कोई वृद्धि होने पर अन्तर की राशि और वसूल की जा सकती है। वहीं बारहवीं के परीक्षार्थियों की फीस लौटाने पर विचार किया जा सकता है।

ये शुल्क लिया गया था
बोर्ड की सैकण्डरी और सीनियर सैकण्डरी की परीक्षाओं के लिए नियमित परीक्षार्थियों से 600 और स्वयंपाठी परीक्षार्थियों से 650 रुपए तथा प्रायोगिक परीक्षाओं में प्रति विषय 100 रुपए शुल्क लिया गया था। परीक्षा के लिए इस वर्ष लगभग 21 लाख 50 हजार विद्यार्थियों को पंजीकृत किया गया था। इनमें से प्रति विद्यार्थी औसतन 625 रुपए शुल्क माना जाए, तो बोर्ड को परीक्षा आवेदन भरवाने पर कुल 1 अरब 34 करोड़ 37 लाख 50 हजार रुपए की आय हुई थी। परीक्षा निरस्त करने के बाद बोर्ड अब इस राशि को कैसे व किस तरह समायोजित करेगा? यह फिलहाल स्पष्ट नहीं है। राज्य सरकार या बोर्ड का कोई अधिकारी भी शुल्क लौटाने या आगे की परीक्षाओं में समायोजित करने या अन्य विकल्प देने पर फिलहाल कोई जवाब नहीं दे रहे हैं।

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