निष्पक्षता और विश्वसनीयता से कोई समझौता नहीं - नरेन्द्र चौधरी
दैनिक नवज्योति के कोटा संस्करण ने अपनी स्थापना के 42 साल पूरे किए
मैं इस अवसर पर कहना चाहता हूं कि नवज्योति ने कभी भी एक तरफा, सनसनीखेज और मसालेदार पत्रकारिता को नहीं अपनाया। जो सही था, जैसे था, उसे ही बिना लाग लपेट निष्पक्ष तरीके से पाठकों तक पहुंचाया।
आज दैनिक नवज्योति के कोटा संस्करण ने अपनी स्थापना के 42 वर्ष पूर्ण कर लिए। हम दैनिक नवज्योति के समग्र पाठकवृंद का ह्रदय के अंतरतल से हार्दिक अभिनन्दन करते हैं। 42 वर्ष की इस यात्रा में स्नेहिल पाठकों की अपार समर्थन शक्ति हमारे साथ खड़ी रही। इस यात्रा में दृढ संबल, सहयोग और समर्थन देकर लगातार सहभागी बने रहे हमारे सभी एजेन्ट, संवाददाता बंधु और विज्ञापन दाताओं को भी हम अनन्त शुभकामनाएं प्रेषित करते हैं। पाठकों के साथ इन्हीं सशक्त सहयोगियों की बदौलत दैनिक नवज्योति निष्पक्ष, निर्भीक, निरलिप्त होकर विश्वास के साथ उन्नयन की डगर पर लगातार अग्रसर होता जा रहा है।
छोटे से पौधे के रूप में शुरू हुआ दैनिक नवज्योति समाचार पत्र आज बरगद सरीखा विशाल पेड़ बन चुका है। जिसकी छांव में हजारों लाखों लोगों के अरमान, आशा और अपेक्षा लगातार फल-फूल रहे हैं। इस समय यह कहना जरूरी है कि डिजीटलाइजेशन के साथ सोशल मीडिया की उपस्थिति और गंभीर प्रतिस्पर्धा के इस दौर में भी नवज्योति ने अपने सिद्धांत और खबरों की निष्पक्षता तथा विश्वसनीयता से कभी कोई समझौता नहीं किया। हालांकि कई मुश्किलों का सामना भी करना पड़ा। लेकिन पाठकों के अपार स्नेह के आगे वह मुश्किलें समाचार पत्र पर हावी नहीं हो सकी। हमने लगातार पाठकों के हित को सर्वोपरि मान कर विश्वसनीयता के साथ प्रतिदिन नयापन देने की कोशिश की।
मैं इस अवसर पर कहना चाहता हूं कि नवज्योति ने कभी भी एक तरफा, सनसनीखेज और मसालेदार पत्रकारिता को नहीं अपनाया। जो सही था, जैसे था, उसे ही बिना लाग लपेट निष्पक्ष तरीके से पाठकों तक पहुंचाया। हमारी पचासों खबरों का प्रशासन पर इतना असर पड़ा कि उन्हें तुरन्त कार्रवाई करने पर मजबूर होना पड़ा। इस वर्ष न्यायालयों ने अकेले नवज्योति की 25 से ज्यादा खबरों पर प्रसंज्ञान लेकर मामलों की सुनवाई की। नवज्योति ने हमेशा कंस्ट्रक्टिव वर्क को तवज्जो दी है। आज जब शिक्षा नगरी पर्यटन नगरी बनने को तैयार होकर खड़ी है। हम भी हमारे कोटा शहर के इस सपने को साकार करने में अपनी भूमिका निभा रहे हैं। हमने शिक्षा नगरी में हुए विकास कार्यों के सकारात्मक पक्ष और उसकी जरूरत के साथ विशेषता को लेकर वर्ष भर स्टोरीज प्रकाशित की। नवनिर्मित रिवर फ्रंट, आॅक्सीजोन, सीएडीे चौराहा,घोड़ा चौराहा,अदालत चौराहा, सालिम सिंह की हवेली, अंडरपास, एलिवेटेड रोड को लेकर हमने लगातार काम किया। उद्घाटन से पूर्व ही हमने कोटा को देश विदेश तक प्रचारित करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। यहां कुछ कोचिंग संस्थान जब शिक्षा को बाजार बनाने लगे, कोचिंग स्टूडेंट को पैसा कमाने की फैक्ट्री मानकर आत्महत्या जैसे मामलों में असंवेदनशीलता दिखाने लगे, तो केवल नवज्योति ही राज्य भर में पहला अखबार बना जिसने इस मुद्दे को गंभीरताा के साथ उठाया। नवज्योति की खबरों का ही प्रभाव था कि उच्च न्यायालय को इस मामले में हस्तक्षेप कर राज्य स्तर पर निगरानी कमेटी बनानी पड़ी। प्रशासन को गाइड लाइन जारी करनी पडी। सात माह में एक ही कोचिंग संस्थान के पन्द्रह बच्चों की मौत के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कोचिंग संचालकों की बैठक बुलाई। इस मामले के निस्तारण के लिए एक राज्य स्तरीय टीम बनाकर कोटा भेजा। स्टूडेंट की मौत के बावजूद संचालकों की असंवेदनशीलता को हमने उजागर किया। कोटा में सेल्फ स्टडी करने वाले स्टूडेंट की जिम्मेदारी किसकी है। यह जिम्मेदारी लेने के लिए भी हमने खबरों के माध्यम से प्रशासन को बाध्य किया। आज कोटा में हर तरह के स्टूडेंट की जिम्मेदारी प्रशासन अपनी जिम्मेदारी मानता है। हमने एयरपोर्ट,वंदे भारत ट्रेन ,चंबल में क्रूज , मुकुंदरा में सफारी शुरू हो, जैसी मांग को लेकर भी लगातार अपना फोलोअप बनाए रखा। हमने इलेक्ट्रिक बसों की दरकार, ईव्हीकल का भविष्य, कार में आग क्यों लगती है। स्लीपर बसें दुर्घटना की कारक क्यों, जैसे जनहित के समाचार प्रकाशित किए जिससे लोग जागरुक हों और दुर्घटनाएं रुक सकें। स्थिति यह है कि नवज्योति ने इलेक्ट्रिक बसों को लेकर चार से पांच समाचार प्रकाशित कर शहर विकास का अपना दृष्टिकोण सामने रखा। इसके बाद प्रधानमंत्री ने स्वयं 15 अगस्त को इसी दृष्टिकोण को देश के सामने रखा। हमने बेधड़क तरीके से मुकुंदरा को आबाद करने के बहाने चल रहे बर्बादी के खेल को उजागर किया। क्वालिटी एजुकेशन को लेकर हमने अभियान चलाया और लगातार यह पड़ताल की कि क्वालिटी एजुकेशन नहीं मिलने के आखिर क्या कारण हैं। हमने सभी विश्वविद्यालयों के प्लेसमेन्ट करवाने के सिस्टम पर भी काम किया और उनकी खामियों को सामने लाकर उसमें सुधार करवाया जिससे आज की शिक्षा व्यवस्था रोजगार परक हो सके। आरटीयू में डर्टी प्रोफेसर की कारस्तानी सामने आने के बाद हमने यह भी बताया कि सिस्टम में क्या खामियां थी जिससे प्रोफेसर को डर्टी बनने का अवसर मिला और जिसका उसने फायदा उठाया। हमने रामपुरा में ट्यूशन टीचर द्वारा मासूम की हत्या के मामले को लगातार फोलो किया और आखिर उसे ताउम्र जेल में रहने की सजा मिलने तक सहयोग किया। खबरों के साथ ही दैनिक नवज्योति समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए सामाजिक सरोकार के कार्यों में अग्रणी रहा। हमने कोटा शहर के सभी 150 वार्ड में नवज्योति प्रतिनिधि भेजे और सभी वार्ड की समस्याओं को ना केवल प्रकाशित किया अपितु उनका समाधान करवाने के लिए भी लगातार प्रयास किए। मैं इस अवसर पर बताना चाहता हूं कि यह सभी कार्य मेरे पिता, दैनिक नवज्योति के प्रधान संपादक आदरणीय दीन बंधु चौधरी जी की दूरदर्शिता और मार्गदर्शन के कारण ही फलीभूत हो सके।
मेरे दादाजी कप्तान दुर्गाप्रसाद चौधरी, ने इस समाचार पत्र की बुनियाद 2 अक्टूबर,1936 में अजमेर के केसरगंज में एक सप्ताहिक अखबार के रूप में रखी थी। वह आज वटवृक्ष के रूप में समाचार जगत की बगिया में अपनी खुशबू बिखेर रहा है। देश के आजाद होते ही अजमेर संस्करण को दैनिक समाचार पत्र के रूप में लाया गया। वर्ष 1960 में इसका राजधानी जयपुर से संस्करण शुरू हुआ। कोटा में 1981 में और 21वीं सदी के शुरुआत में वर्ष 2004 में जोधपुर और 2013 में उदयपुर संस्करण शुरू हुआ। मुद्रण की नवीनतम आधुनिक तकनीक को अपनाते हुए समाचारों और विचारों की नई विषय वस्तु के चयन और तेवर में समयानुकूल बदलाव लाकर हर रोज नई भोर की ज्योति में दैनिक नवज्योति घर-घर सच को पहुंचा रहा है।
मेरे दादाजी स्वर्गीय कप्तान दुर्गाप्रसाद चौधरी द्वारा स्वतंत्रता आन्दोलन के दौर में 86 साल पहले जो जलाई ज्योति आप सभी के सहयोग से आज भी कायम है। एक मिशन के रूप में शुरू हुआ समाचार पत्र विभिन्न दौर देखता हुआ धीरे-धीरे प्रोफेशनल में बदला। पत्रकारिता के क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा शुरू हुई। सोशल मीडिया की अति सूचना वृष्टि, सबसे पहले समाचार देने की आपाधापी में अपुष्ट और आरोप प्रत्यारोप के समाचारों की बाढ़ आने से समाचार पत्रों की गरिमा पर प्रश्न उठने लगे। ऐसे कठिन दौर में भी प्रामाणिकता के साथ अपने गौरवमय अतीत तथा अस्तित्व को अक्षुण्ण बनाए रखना और बदलते समय के अनुसार पाठकों की रुचि के अनुरूप कलेवर को नई प्रिंटिंग तकनीक के साथ पेश करते हुए स्पर्धा में डटे रहना हमारे लिए सबसे बड़ी चुनौती रही। लेकिन इस चुनौती का सामना करने के लिए दैनिक नवज्योति को पाठकों से बराबर ताकत और विश्वास मिलता रहा।
अचल रही, अटल रही,अखंड ज्योति जलती रही, प्रकाश पथ पर, प्रति सहर. नवज्योति बिखरती रही।
पुन: सभी का आभार !
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