बल्लम, चक्कर और तलवार झूमती है इन युवतियों की अंगुलियों पर

हरदोल व्यायामशाला कि लडकियां

बल्लम, चक्कर और तलवार झूमती है इन युवतियों की अंगुलियों पर

व्यायामशाला कि सभी लडकियां बिना किसी तरह कि हिचकिचाहट के सारे करतबों को पलक झपकते ही करने कि अभ्यस्त हो चुकी हैं।

कोटा। कहते हैं कि किसी काम के प्रति जूनून हालातों व पस्थितियों का मजबूर नहीं होता है और इस बात को सच साबित कर रहीं हैं हरदोल व्यायामशाला कि लडकियां, जो हर दिन शाम होते ही व्यायामशाला के प्रांगण में प्रैक्टिस करने पहुंच जाती हैं। शहर में गणेशोत्सव का त्योहार चल रहा है और अनन्त चर्तुदर्शी आने को है । यहां की  लडकियों ने तैयारी पूरे दम खम के साथ शुरू कर दी हैं, व्यायामशाला से हर साल 50 लडकियों का समूह अखाड़े कि प्रतियोगिता में भाग लेता है और इसे लेकर यहां कि बालिकाओं में जोश देखते ही बनता है। बात बल्लम कि हो बात चक्कर कि हो या बात तलवार की हो यहां कि लडकियां हर चीज को मानो पेन्सिल कि तरह घुमाने में माहिर हैं।

 डर क्या होता है यह नहीं जानती 
 डर क्या होता है वो यहां कि लडकियां जानती ही नहीं हैं। व्यायामशाला कि सभी लडकियां बिना किसी तरह कि हिचकिचाहट के सारे करतबों को पलक झपकते ही करने कि अभ्यस्त हो चुकी हैं। वहीं अनन्त चर्तुदर्शी के लिए भी बालिकाएं पूरे जोर शोर से प्रैक्टिस कर रही हैं। यहां कि लडकियों कि माने तो वे पूरे साल इन त्योहारों का इंतजार करती हैं ताकि लोगों का अपनी काबिलियत और हुनर को दिखा सकें। व्यायामशाला के संचालक लोकेश गुर्जर ने बताया कि इस व्यायामशाला कि शुरूआत साल 2017 में लड़कियों व महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराधों को देखते हुए की गई थी ताकि वो खुद को आत्मनिर्भर बना सके ।  हर परिस्थिति का डटकर मुकाबला कर सकें।

एक बालिका से शुरू हुआ सफर
शुरूआत में यहां सिर्फ एक ही बालिका आती थी पर जागरूकता बढ़ने के साथ आज यहां 150 सेज्यादा लडकियां जूडो, कुश्ती व लठ्ठ चलाना सीख रहीं हैं। व्यायामशाला में प्रैक्टिस करने वाली कविता नायक ने बताया कि वो पूरे साल यहां जूडो सीखती हैं और तलवार और भाला चलाने में माहिर हैं, कविता के परिवार कि आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण वो यहां ही प्रैक्टिस करने आती हैं। व्यायामशाला कि चंचल कश्यप से बात करने पर उन्होंने बताया कि वो हर दिन बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने के बाद यहां प्रैक्टिस करने आती हैं चंचल के पिता का देहांत हो चुका है और घर में वो बड़ी हैं पर अपने कुश्ती और जूडो के प्रति जूनून के कारण वो प्रैक्टिस करने आती ही हैं। वहीं एक और बालिका कीर्ति शाक्या जो 2 साल से लगातार मलखम्ब और तलवारबाजी कि प्रैक्टिस कर रहीं हैं वो भी हर दिन यहां प्रैक्टिस के लिए आती हैं। इन सभी बालिकाओं आगे बढ़कर देश के लिए खेलने का सपना हैं। लेकिन अपर्याप्त साधनों और आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण आगे नहीं खेल पा रहीं।

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