पुलिस घोड़ों की शाला ‘रिसाला’: डेविड कानून-व्यवस्था में दक्ष तो चंदन गोविंददेवजी की सेवा में है तत्पर
घोड़ों से गश्त करती पुलिस को देख आमजन में बढ़ता है विश्वास
पुलिस बेड़े में शामिल 16 अश्वों की इन टोली को संभालने के लिए 26 पुलिसकर्मी हर समय तैनात हैं। पुलिस लाइन के पास स्थित घोड़ों की ये शाला ‘रिसाला’ के नाम से जानी जाती है।
ब्यूरो/नवज्योति,जयपुर। शहर में आमजन की सुरक्षा और कानून-व्यवस्था में तैनात होने वाले घोड़े कई खूबियों से लबरेज हैं। सड़कों पर शांत तरीके से चलने वाले इन घोड़ों में कोई कानून-व्यवस्था में दक्ष है तो कोई भीड़ में नहीं बिदकने वाला है। इनमें से कुछ घोड़े पानी, पत्थरों में भी आसानी से चले जाते हैं। पुलिस बेड़े में शामिल 16 अश्वों की इन टोली को संभालने के लिए 26 पुलिसकर्मी हर समय तैनात हैं। पुलिस लाइन के पास स्थित घोड़ों की ये शाला ‘रिसाला’ के नाम से जानी जाती है। इन 16 अश्वों में से डेविड कानून-व्यवस्था संभालने में दक्ष है तो जास्बिन हर समय भीड़भाड़ वाले इलाके गोविंद देव जी की सुरक्षा में तत्पर है जबकि लक्ष्य ने जम्पिंग में गोल्ड मेडल दिलाकर राजस्थान पुलिस का नाम रोशन किया है।
हर रोज सुनाई देती है घोड़ों की टाप
शहर के परकोटे में अब हर रोज गश्त करते हुए घोड़ों की टाप सुनाई देती है। शाम 5 बजे से रात 10 बजे तक घोड़ों से गश्त की जा रही है। हर रो कभी 6 तो कभी 8 घोड़े गश्त के लिए निकलते हैं। परकोटे के कई क्षेत्रों में पुलिस गाड़ी नहीं पहुंच सकती ऐसे में वहां घोड़े आसानी से पहुंच सकते हैं। घुड़शाला रिसाला के प्रभारी किरणपाल ने बताया कि एक घोड़े से करीब दो हजार लोगों की भीड़ को नियंत्रित किया जा सकता है और बेहतर प्रशिक्षित ये घोड़े भीड़ को भी नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। जुलूस, धरना-प्रदर्शन, रैली और सभाओं के दौरान घुड़सवार की ड्यूटी लगने वाले दिन गश्त नहीं की जाती। अभी स्पीडो, बोर्डरमैन, रानी, कोहिनूर, नकुल, लक्ष्य, डेविड, अक्षिता, जास्बिन, श्वेता, रीना, सुनीता, रवि, चंदन, सुखदेव और लिल्ली हैं।
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