
राहुल गांधी ने हिंदू धर्म पर लिखा लेख
भय उस पर कभी हावी नहीं हो पाता है
भय का उल्लेख करते हुए गांधी ने लिखा कि जिस व्यक्ति में अपने भय में इस महासागर को सत्यनिष्ठा से देखने का साहस है, वहीं हिन्दू है। एक हिंदू में अपने भय को गहनता में देखने और उसे स्वीकार करने का साहस होता है।
नई दिल्ली। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भय और धर्म की राजनीतिक चर्चा के बीच सत्यम, शिवम, सुंदरम नाम से एक लेख लिखा है। इस पत्र को गांधी ने सोशल मीडिया पर साझा किया है, जिसमें पूर्वाग्रह तथा भय से मुक्त होकर सत्य एवं अहिंसा के मार्ग पर चलकर सभी को आत्मसात करना ही हिन्दू होने का एकमात्र रास्ता बताया गया है। गांधी ने हिन्दू होने का मतलब दार्शनिक अंदाज में समझाते हुए कहा कि एक हिंदू अपने अस्तित्व में समस्त चराचर को करुणा और गरिमा के साथ उदारतापूर्वक आत्मसात करता है, क्योंकि वह जानता है कि जीवन रुपी इस महासागर में हम सब डूब रहे हैं।
भय का उल्लेख करते हुए गांधी ने लिखा कि जिस व्यक्ति में अपने भय में इस महासागर को सत्यनिष्ठा से देखने का साहस है, वहीं हिन्दू है। एक हिंदू में अपने भय को गहनता में देखने और उसे स्वीकार करने का साहस होता है। जीवन की यात्रा में वह भय रुपी शत्रु को मित्र में बदलना सीखता है। भय उस पर कभी हावी नहीं हो पाता, वरन घनिष्ठ सखा बनकर उसे आगे की राह दिखाता है। एक हिंदू इतनी कमजोर नहीं होता कि वह अपने भय के वश में आकर किसी कस्मि के प्रति क्रोध, घृणा या हिंसा का माध्यम बन जाए। एक हिंदू में अपने भय को गहनता में देखने और उसे स्वीकार करने का साहस होता है। जीवन की यात्रा में वह भय रुपी शत्रु को मित्र में बदलना सीखता है। भय उस पर कभी हावी नहीं हो पाता है।
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