राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर लगाया आरोप : अरावली पहाड़ियों पर प्राकृतिक संसाधनों का दुरुपयोग कर रही सरकार, कहा- आने वाली पीढ़ियों के हितों की अनदेखी कर प्रकृति का हो रहा अंधाधुंध दोहन
लाखों लोगों के हितों को किया नजरदअंदाज
सवाल किया क्या नीति निर्माण कुछ लोगों को तात्कालिक लाभ पहुंचाने के लिए इस कदर कमजोर होनी चाहिए कि उससे लाखों लोगों के हितों को नजरदअंदाज किया जाए।
नई दिल्ली। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने बुधवार को केंद्र सरकार पर अरावली पहाड़ियों पर प्राकृतिक संसाधनों के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए कहा कि यह सरकार आने वाली पीढ़ियों के हितों की अनदेखी कर प्रकृति का अंधाधुंध दोहन कर रही है। राहुल गांधी ने यह टिप्पणी कांग्रेस संसदीय दल की नेता सोनिया गांधी के उस लेख के संदर्भ में की है, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि सरकार अरावली पहाड़ियों के लिए पर्यावरणीय परिभाषा बदल रही है और इससे पारिस्थितिकी तंत्र को गंभीर खतरा हो रहा है। कांग्रेस नेता ने आरोप लगाते हुए कहा कि मोदी सरकार ने पर्यावरण संरक्षण के प्रति शुरु से ही गंभीर उदासीनता दिखाई है। वह प्राकृतिक दोहन को बढ़ावा देती है और धरती के लिए तथा आने वाली पीढ़ियों पर पडऩे वाले इसके प्रभावों को नजरअंदाज करती रही है। उन्होंने सवाल किया क्या नीति निर्माण कुछ लोगों को तात्कालिक लाभ पहुंचाने के लिए इस कदर कमजोर होनी चाहिए कि उससे लाखों लोगों के हितों को नजरदअंदाज किया जाए।
गांधी ने अपने लेख में लिखा कि अरावली पहाड़ियों को लेकर जो नीतियां तैयार की हैं, उसके तहत 100 मीटर से कम ऊँचाई वाली पहाड़ियों पर खनन प्रतिबंध लागू नहीं होंगे। उच्चतम न्यायालय ने भी इसे बरकरार रखा है। उन्होंने लिखा कि गुजरात से लेकर राजस्थान और हरियाणा तक फैली अरावली पर्वतीय शृंखला ऐतिहासिक रूप से देश की भूगोलिक और विरासत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण रही है, लेकिन अब सरकार की नयी नीतियों ने इन पहाड़यिों के लिए प्रभावशाली रूप से मौत का फरमान जारी कर दिया है। इससे पहले ही अवैध खनन ने मानव जीवन पर बुरी तरह नुकसान पहुँचाया है।
गांधी ने कहा कि इस तरह की नीति बदलाव अवैध खनन करने वालों और माफियाओं को अरावली शृंखला के 90 प्रतिशत हिस्से को नष्ट करने के लिए खुला निमंत्रण है। कांग्रेस नेताओं ने वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 और वन संरक्षण नियम, 2022 में किए गए संशोधनों को वापस लेने की मांग की है और यह भी चेतावनी दी है कि सरकार का मौजूदा दृष्टिकोण पर्यावरणीय क्षरण को बढ़ावा देगा और स्थानीय समुदायों के अधिकारों की अनदेखी करेगा। उन्होंने कहा है कि पर्यावरण विशेषज्ञों ने भी इस पर चिंता जताई है कि सरकार की इस तरह की नयी नीति से बड़े पैमाने पर खनन को बढ़ावा मिलेगा , जिससे मरुस्थलीकरण और क्षेत्र में वायु प्रदूषण का और भी बढ़ावा मिलेगा।

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