दो निगम, तीन हजार सफाई कर्मी, फिर भी गंदगी
गंदगी और दुर्गंध फेला रही बीमारी और बढ़ा रही जनता की परेशानी
शहर का शायद ही कोई इलाका ऐसा होगा जहां कचरे के ढेर दिनभर नहीं पड़े रहते हों।
कोटा। शहर में एक तरफ जहां मौसमी बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं। वहीं दूसरी तरफ दो नगर निगम व करीब तीन हजार सफाई कर्मचारी होने के बाद भी शहर में जगह-जगह-मुख्य मार्गों पर ही कचरे के ढेर लगे हुए हैं। जिससे गंदगी और दुर्गंध से आमजन की परेशानी बढ़ रही है। शहर में पहले जहां एक ही नगर निगम थी और 65 वार्ड थे। वहीं अब शहर की सफाई व्यवस्था को सुदृढ़ करने के मकसद से शहर को कोटा उत्तर व दक्षिण निगम में बांट दिया गया। जिससे वार्ड छोटे हो गए। वार्डों की संख्या भी 150 हो गई है। दोनों निगमों में करीब 3 हजार स्थायी सफाई कर्मचारी हैं। जो सुबह-शाम शहर के मुख्य मार्ग और गली मौहल्लों में सफाई करने व कचरा उठाने का काम कर रहे हैं। उसके बाद भी शहर में गंदगी के ढेर लगे हुए हैं।
सभी जगह बुरे हाल
शहर का शायद ही कोई इलाका ऐसा होगा जहां कचरे के ढेर दिनभर नहीं पड़े रहते हों। नगर निगम कोटा उत्तर व कोटा दक्षिण के अधिकतर क्षेत्रों में कचरा पाइंट से भी समय पर कचरा नहीं उठ रहा है। जिससे दिनभर मवेशी उस कचरे को बीच सड़क पर फेला रहे हैं और उसमें से दुर्गंध भी आने लगती है। जिससे वहां आस-पास रहने वाले व दुकानदारों के साथ ही वहां से गुजरने वाले लोगों को भी दुर्गंध व परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
सबसे अधिक यहां हाल बेहाल
शहर में वैसे तो सभी जगह पर कचरे के ढेर लगे देखे जा सकते हैं। लेकिन सबसे अधिक समस्या धानमंडी डाकघर के मुख्य द्वार के पास लगा कचरे का ढेर है। थोक फल सब्जीमंडी के पास , शॉपिंग सेंटर डिस्पेंसरी के सामने, कोटड़ी नहर के किनारे, बारां रोड, नयापुरा और न्यू कॉलोनी समेत सभी जगह पर यही हालत है।
लोगों का कहना है
धानमंडी के दुकानदार राजेश नागर का कहना है कि यहां नियमित सफाई तो होती नहीं है। कचरे का ढेर लगता है वह भी समय पर नहीं उठता। जिससे वह सड़ता रहता है। उसकी दुर्गंध से बीमारी फेलने का खतरा रहता है। धानामंडी डाकघर आए मोहम्मद इस्माइल ने बताया कि वे अक्सर यहां आते रहते हैं। यहां डाकघर के पास हमेशा ही कचरे का ढेर लगा रहता है। इसे देखकर ऐसा लगता है जैसे यहां से कभी कचरा उठता ही नहीं है। शॉपिंग सेंटर निवासी आॅटो चालक रमेश ने बताया कि वे डिस्पेंसरी के पास आॅटो खड़ा कर सवारी का इंतजार करते हैं। यहां मरीज और उनके तीमारदार भी आते हैं। ऐसे में यहां लगा कचरे का ढेर और बीमारी फेला रहा है। डिस्पेसरी के पास तो कचरा पॉइंट होना ही नहीं चाहिए।
संवेदक के माध्यम से उठता है कचरा
इधर निगम के स्वास्थ्य अधिकारी का कहना है कि वार्डों में सफाई तो निगम कर्मचारी करते हैं। कचरा पॉइंट से कचरा संवेदक के माध्यम से उठवाया जाता है। संवेदक को वहां से रोजाना पूरा कचरा उठाने के निर्देश हैं। हो सकता है एक बार कचरा उठने के बाद दोबारा से कचरा डलने से वह दिनभर पड़ा रहता होगा। उसे भी साफ करवाने का प्रयास किया जाएगा।
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