किसान ने चुनाव में जिसे दिया समर्थन, उसी की बनी सरकार
अपने पक्ष में करने के लिए तरह-तरह के दावे किए है
इसी तरह का माहौल इस बार राजस्थान विधानसभा चुनावों को लेकर बना। हर राजनीतिक दल ने चुनाव में किसानों को अपने पक्ष में करने के लिए तरह-तरह के दावे किए है।
जयपुर। विधानसभा चुनावों में भाजपा और कांग्रेस के साथ ही अन्य राजनीतिक दलों ने भी किसानों को लेकर लुभावने वादे कर सियासी समीकरण साधने की कोशिश की है। अब तक के चुनावी परिणामों को देखे, तो जिस भी पार्टी को किसान ने समर्थन दिया, उसे सत्ता मिली है। चुनाव कोई भी हो। हर चुनाव में किसानों को लेकर वादे जरूर होते हैं। इसमें कोई भी पार्टी किसी तरह का मौका नहीं चुकना चाहती है। कुछ इसी तरह का माहौल इस बार राजस्थान विधानसभा चुनावों को लेकर बना। हर राजनीतिक दल ने चुनाव में किसानों को अपने पक्ष में करने के लिए तरह-तरह के दावे किए है।
राजस्थान में 72 फीसदी किसान जब अपना रूख तय कर लेता है, तो चुनावी समीकरण बदल जाते है। ऐसे में हर राजनीतिक दल के लिए यह जरुरी हो गया है कि किसान वर्ग को किस तरह से पार्टी के पक्ष में किया जाए। 2023 के चुनावों को लेकर कांग्रेस व भाजपा दोनों ही दलों ने लोगों की सक्रिय भागीदारी का दावा करते हुए अपने-अपने घोषणा पत्र जारी किए। इनमें भाजपा ने किसानों को 12 हजार रुपए सम्मान निधि व सामाजिक सुरक्षा 1500 रुपए करने की घोषणा की है, तो कांग्रेस ने महिलाओं को 10 हजार रुपए और किसानों को एमएसपी पर फसल खरीद की गारंटी के लिए कानून लाने का वादा किया है।

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