एनजीटी का फैसला, नियमों की अवहेलना पर कार्रवाई के निर्देश
बीसलपुर बांध से 20 साल तक बजरी खनन पर रोक
एनजीटी ने प्रदूषण नियंत्रण मंडल को नियमों की अवहेलना पर कार्रवाई के निर्देश देते हुए कहा है कि जब तक पर्यावरणीय मंजूरी नहीं मिलती, तब तक परियोजना प्रस्तावक को डीसिल्टिंग, ड्रेजिंग गतिविधियां, बजरी निकालने और निस्तारण पर रोक लगा दी जाए
जयपुर। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने बिना पर्यावरणीय मंजूरी के बीसलपुर बांध से 20 साल तक बजरी खनन पर रोक लगा दी है। एनजीटी ने प्रदूषण नियंत्रण मंडल को नियमों की अवहेलना पर कार्रवाई के निर्देश देते हुए कहा है कि जब तक पर्यावरणीय मंजूरी नहीं मिलती, तब तक परियोजना प्रस्तावक को डीसिल्टिंग, ड्रेजिंग गतिविधियां, बजरी निकालने और निस्तारण पर रोक लगा दी जाए। एनजीटी के न्यायिक सदस्य सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य डॉ. अफरोज अहमद की खंडपीठ ने जोधपुर निवासी दिनेश बोथरा की याचिका पर फैसला सुनाते हुए राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को पर्यावरणीय कानूनों और निर्देशों का पालन नहीं करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।
पर्यावरणीय मंजूरी मिलने तक रोक
ट्रिब्यूनल ने कहा कि परियोजना प्रस्तावक को बीसलपुर बांध के जलमग्न क्षेत्र से किसी भी ड्रेजिंग, डीसिल्टिंग गतिविधियों या गाद, रेत, बजरी मिश्रित गाद निकालने और अन्य खनन गतिविधियों को करने से तब तक रोका जाता है, जब तक पर्यावरणीय मंजूरी नहीं मिल जाती। परियोजना प्रस्तावक को गाद निकालने की गतिविधियों को चालू करने से पहले सभी पर्यावरणीय कानूनों का पालन करना होगा, जिसमें अपेक्षित सम्मति और एनओसी शामिल होगी।
याचिका में दी गई थी निविदा को चुनौती
याचिका में बीसलपुर बांध से बीस साल के लिए बजरी निकालने की निविदा को चुनौती दी गई थी। अधिवक्ता संजीत पुरोहित ने तर्क दिया कि ईआरसीपीसीएल ने बीसलपुर बांध की भंडारण क्षमता को सुधारने के लिए डीसिल्टिंग नाम से आॅनलाइन निविदाएं मांगी थी। निविदा के निर्धारित कार्य क्षेत्र में मुख्य रूप से बजरी खनन किया जाना है, लेकिन इसे ड्रेजर जैसे यांत्रिक साधनों का उपयोग करके बीसलपुर बांध के डूब क्षेत्र में जमा गाद, रेत, बजरी मिश्रित ओवरबर्डन के रूप में दिखाया गया था।
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