मतदान कराने वाले अधिकारी-कर्मचारी ही गलत डाल रहे वोट, रिजेक्ट हो रहे पोस्टल बैलेट
मतदान कराने की ट्रैनिंग फिर भी खुद का वोट कर रहे खराब
वर्ष 2013 व 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में 1700 से ज्यादा पोस्टल बैलेट रिजेक्ट हुए हैं।
कोटा। पर उपदेश कुशल बहुतेरे। जे आचरहिं ते नर न घनेरे।...तुलसी दास जी की इस उक्ति के अनुसार, दूसरों को ज्ञान बांटना आसान है, लेकिन जब वही ज्ञान खुद पर लेने की बारी आती है तो वे इसमें फिसड्डी साबित हो जाते हैं। पोस्टल बैलेट से मतदान करने वाले अधिकारी-कर्मचारियों पर यह पंक्ति सटीक बैठती है। दरअसल, विधानसभा चुनाव में ड्यूटी करने वाले सरकारी अधिकारी व कर्मचारियों को निर्वाचन विभाग द्वारा मतदान करवाने की ट्रैनिंग दी जाती है। जिसमें उन्हें वोट डालने के तरीकों से लेकर सावधानियों तक की ट्रैनिंग दी जाती है, इसके बावजूद वे उन्हें डाक मतपत्र का सही उपयोग करना तक नहीं आता और वोट करने के दौरान पोस्टल बैलेट में भारी खामियां छोड़ देते हैं। जिसके चलते मतगणना में उनका डाक मतपत्र रिजेक्ट होने से वोट खारिज हो जाता है। वर्ष 2013 व 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में 1700 से ज्यादा पोस्टल बैलेट रिजेक्ट हुए हैं।
दूसरों को समझाते, खुद नहीं जानते वोट की अहमियत
विधानसभा हो या लोकसभा, हर आम चुनाव एक-एक वोट सरकार के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। वोट की अहमियत बताने के लिए निर्वाचन विभाग द्वारा जागरूकता अभियान चलाया जाता है। लेकिन, इससे पहले मतदान करवाने वाले सरकारी अधिकारियों व कर्मचारियों को मतदान से जुड़ी हर प्रक्रिया की बारिकी से ट्रैनिंग दी जाती है। इसके बाद यह कर्मचारी दूसरों को मतदान का महत्व समझाने का ज्ञान ढोलते हैं लेकिन खुद ही वोट की अहमियत से अज्ञानी होते हैं। इसकी बानगी गत दो विधानसभा चुनावों में देखने को मिली है। कोटा जिले में बड़ी संख्या में डाक मतपत्र मतगणना में रिजेक्ट हुए हैं।
कोटा में 1700 से ज्यादा डाकमत पत्र हुए रिजेक्ट
कोटा जिले में पिछले दो विधानसभा चुनावों में सरकारी कर्मचारी व अधिकारियों द्वारा डाक मत पत्रों से किए 1700 से ज्यादा वोट मतगणना में रिजेक्ट हो गए। वर्ष 2013 में 7 हजार 697 कर्मचारियों ने पोस्टल बैलेट से मतदान किया था। जिसमें से 872 डाक मतपत्र काउंटिंग में खारिज हो गए। इसी तरह वर्ष 2018 में 9 हजार 371 कर्मचारियों व अधिकारियों ने पोस्टल बैलेट पेपर से वोटिंग की, जिसमें से 872 बैलेट रिजेक्ट हो गए। सवाल यह उठता है, मतदान प्रक्रिया से सीधा जुड़ाव होने और विभिन्न तरह की ट्रैनिंग लेने के बावजूद पोस्टल बैलेट का उपयोग करने में भारी गलतियां कर रहे हैं, जिससे उनका वोट भी खारिज हो रहा है।
इस बार होगी असली परख
निर्वाचन आयोग के निर्देश पर इस बार मतदाताओं को मतदान के लिए प्रेरित करने के लिए विशेष अभियान चलाया गया। इस अभियान के तहत लोगों को जागरूक करने का दायित्व भी इन्हीं अधिकारियों व कर्मचारियों पर था। मतदाताओं को जगाने वाले ये अधिकारी व कर्मचारी स्वयं कितने जाग पाए हैं, इसकी असली परख मतगणना के दिन होगी। इस बार 11 हजार से ज्यादा कर्मचारियों व अधिकारियों ने चुनाव ड्यूटी के दौरान पोस्टल बैलेट से मतदान किया है। इस दौरान डाले गए मतों की वैधानिकता प्रमाणित होने के बाद ही अधिकारियों व कर्मचारियों की असली जागरूकता प्रमाणित होगी।
कोटा दक्षिण में रिजेक्ट हुए सर्वाधिक पोस्टल बैलेट
जिले की सभी 6 विधानसभा क्षेत्रों में से सर्वाधिक डाक मतपत्र कोटा दक्षिण में रिजेक्ट हुए हैं। वर्ष 2013 में 271 तथा वर्ष 2018 में 316 डाक मतपत्र रिजेक्ट हुए हैं। जबकि, हर पांच साल में पोस्टल बैलेट का इस्तेमाल करने वाले कर्मचारी व अधिकारियों की संख्या में 1674 की बढ़ोतरी हुई है। लेकिन, चुनावों में जितने कर्मचारियों की संख्या बढ़ी है, उससे ज्यादा तो पोस्टल बैलेट रिजेक्ट हो रहे हैं।
मतगणना में चलेगा पता, कितने जागरूक अधिकारी-कर्मचारी
3 दिसम्बर को होने वाली मतगणना में सामने आएगा कि चुनाव ड्यूटी के दौरान डाक मतपत्रों से मतदान करने वाले कर्मचारी व अधिकारी अपने वोट के प्रति कितने जागरूक हैं या गत वर्षों के मुकाबले इस बार कितने कर्मचारियों के डाक मतपत्र खारिज होते हैं। यह देखने वाली बात होगी। हालांकि, निर्वाचन विभाग ने इस बार बुजुर्ग व दिव्यांगजनों को भी होम वोटिंग की सुविधा दी थी। उनके वोट भी बैलेट पेपर द्वारा लिए गए थे।

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