शिक्षा के मंदिर हो रहे जर्जर, दहशत में पढ़ाई को मजबूर स्टूडेंट
स्कूलों की छतों और दीवारों में पड़ने लगी बड़ी दरारें
कई सालों से नव निर्माण की बाट जो रहे जर्जर स्कूल के भवन।
घाट का बराना। कस्बे सहित पूरे केशवराय पाटन विधानसभा सभा क्षेत्र में सरकारी स्कूलों के हालात इतने बदतर हो गए की अब तो अभिभावक हादसे के डर से अपने बच्चों को शिक्षा के लिए स्कूलों में भेजने को मना करने लगे हैं। जिसमें सबसे ज्यादा सरकारी स्कूलों की हालत ग्रामीण इलाकों में बिगड़ी है। गांवों के लोगों का कहना है कि 40 वर्ष पूर्व बने स्कूलों की हालत आज ऐसी हो गई की आए दिन छतों के प्लास्टर गिर रहें हैं। ऐसे में स्टूडेंट जर्जर भवनों को पढ़ने को मजबूर है। स्कूल भवनों की दीवारों में बड़ी बड़ी दरारे हों चुकी है। कई स्कूलों की छतों पर पड़ी पट्टियां टूटी हुई है तो कई स्कूल तो बरसात होने के बाद जलमग्न रहते हैं। सरकारी स्कूलों में बच्चों को पढ़ने के लिए बार-बार कहने वाली सरकारों का ध्यान विधानसभा क्षेत्र की 80 प्रतिशत स्कूल की दुर्दशा पर क्यों नहीं गया? कस्बे के टीम घाट का बराना रेल्वे स्टेशन पर बने सरकारी स्कूल में भीषण गर्मी में विद्यार्थी बाहर धूप में बैठकर पढाई कर रहे है। इस स्कूल में सिर्फ़ एक से दो ही कमरे सुरक्षित बचे हैं, दो कमरों में आठ कक्षाएं संचालित कर रहे हैं। कुछ को बरामदों में तो कही तीन-तीन कक्षाओं को एक साथ बैठाया जा रहा है।
बालदेवपुरा स्कूल परिसर में भर जाता है सड़क का गंदा पानी
घाट का बराना से पांच किलोमीटर दूर बालदेवपुरा स्कूल की भी दुर्दशा हो रही है। बरसात के वक्त स्कूल परिसर पूरी तरह जलमग्न हो जाता है। कई वर्षों से स्कूल में पानी भरा रहने से भवन क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। पास से गुजर रहे मेघा हाइवे से विद्यालय करीब दो से तीन फीट नीचा होने की वजह से पूरी सड़क का पानी भी स्कूल में भर जाता है एसे में छात्र छात्राओं को बरसात के दिनों में घर भेज दिया जाता है। इससे साथ ही कस्बे के झपायता, लबान, खरायता सहित आसपास के कई गांवों के स्कूल भवनों के भवन भी खस्ताहाल है। ग्रामीणों ने वोट उसी सरकार के पक्ष में करने की बात कही जो सरकार उनके गांवों में सरकारी स्कूलों के भवनों को नए सिरे से बनवाएंगे।
सरकारें आई और गई पर नही सुधरी स्कूलों के हालात
ऐसे तो केंद्र और राज्य की सरकार सरकारी विद्यालयों में कई नई नई योजनाओं से बच्चों को शिक्षा देने की कोशिशें करती रही लेकिन आजतक शिक्षा मंदिरों की ओर किसी सरकार, अधिकारी, नेता का ध्यान नही गया। न कभी किसी ने इस बात पर गौर किया की कई वर्षों पहले बने स्कूलों की स्थिति कैसी है।
ग्रामीण बोले: लोकसभा चुनाव में स्कूल भवन नवनिर्माण का रहेगा प्रमुख मुद्दा
लम्बे समय से स्कूल भवन की हालत बहुत खराब है। जगह जगह बडी बडी दरारें, छत की पट्टियां पूरी तरह टूटी हुई है। बच्चें बाहर बैठकर पढ़ने को मजबूर है। ऐसे में कैसे पढ़ने भेजे बच्चों को इस बार लोकसभा चुनाव में हम सब मतदाताओं द्वारा एक ही मांग की है कि कम से कम शिक्षा मंदिरों का काया कल्प हो, ताकी हमारी आने वाली पीढ़ी शिक्षित बने।
- राकेश कुमार, ग्रामीण,घाट का बराना।
कई वर्षों से स्कूल भवन काफी जर्जर हालत में है। सीलन की वजह से दिवारें जर्जर है लेकिन किसी भी सरकार का ध्यान शिक्षा मंदिरों की ओर नही गया। ऐसे कई स्कूल है विधानसभा क्षेत्र में जो बिल्कुल ढहने की कगार पर है। इस बार लोकसभा चुनाव में उन्ही को वोट करेंगे जो हमारे बच्चों के लिए अच्छे शिक्षा मंदिरों के नवनिर्माण करवाएगा।
- दीन दयाल वर्मा, ग्रामीण, घाट का बराना
मुख्य हाइवे पर स्कूल भवन है जो की सड़क से 4 से 5 फीट नीचे होने से बरसात के दिनों में पानी भर जाता है, जिससे स्कूल परिसर पूरी तरह जलमग्न हो जाता है। कई बार शिक्षा विभाग और उच्चाधिकारियों को बताया लेकिन कोई ध्यान नही देता। सरकारें शिक्षा के बड़े बड़े वादे करती है लेकिन वास्तव में ग्रामीण इलाकों में शिक्षा मंदिरों की हालत काफी गंभीर स्थिति में है। इस बार लोकसभा चुनाव में युवा मतदाताओं की एक ही मांग रहेगी की हमारे बच्चों के लिए स्कूल भवन की समुचित व्यवस्था सही से हो।
- मनोज सांखला, ग्रामीण, ग्राम बालदेवपुरा।
गांव में स्कूल है लेकिन सिर्फ नाम का सरकारी विद्यालय है। जिसमें बरसात के दिनों में बच्चों को छूट्टी पर रहना पड़ता है। पूरा स्कूल जलमग्न हो जाता है। इस कारण बैठने तक की व्यवस्था नहीं होती। पूरी बिल्डिंग बदहाल हालत में है लेकिन न केंद्र और न राज्य की सरकार आज तक शिक्षा मंदिरों का नवनिर्माण करवा पाई। इस बार लोकसभा चुनाव में सारे गांव की मांग रहेगी की स्कूल भवन का निमार्ण नए सिरे से करवाया जाए।
- भवानी गुर्जर, निवासी बालदेवपुरा
गांव में सरकारी स्कूल है लेकिन कई कमरे ढहने की कगार पर है। हर वक्त बच्चों में भय बना रहता है, कई बार जर्जर भवन को जमींदोज करवाकर नए कमरों के निर्माण के लिए शिक्षा विभाग, जनप्रतिनिधि सहित उच्चाधिकारियों को अवगत करवाया लेकिन कोई समाधान नहीं हुआ। केशव राय पाटन विधानसभा क्षेत्र में करीब करीब सभी गांवों के स्कूल भवन जर्जर हालत में है लेकिन सरकारों का ध्यान नहीं है। इस बार सभी मतदाताओं का विशेष मुद्दा शिक्षा मंदिरों के नवनिर्माण का रहेगा।
- मायाराम केवट, वार्ड पंच निवासी झपायता।
कई वर्षों पूर्व स्कूलों का निर्माण हुआ लेकिन सरकारों ने बाद में कभी दुबारा शिक्षा मंदिरों की हालत को लेकर कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। कई स्कूल भवन जीर्ण शीर्ण अवस्था में, जिनमे बच्चें अध्ययन करने को मजबूर है। कभी भी बडी दुर्घटना हो सकती है। इस बार लोकसभा चुनाव में हम सभी केशवराय पाटन विधानसभा क्षेत्र के युवा मतदाताओं का विशेष मुद्दा शिक्षा मंदिरों का काया कल्प का रहेगा। जिसमें सभी विद्यालय भवनों का नवनिर्माण हो।
- सुनिल मीणा, समाज सेवी निवासी झपायता
शिक्षा मंदिरों की दुर्दशा काफी जर्जर है। घाट का बराना रेल्वे स्टेशन, बालदेवपुरा, झपायता, कोटडी कई स्कूलों के भवन ढहने की कगार पर है। वर्ड पंच होने के नाते कई बार शिविरों में, शिक्षा अधिकारियों, विधायकों, उच्च अधिकारियों को लिखित में दिया लेकिन आजतक कोई समाधान नहीं हुआ। पूरे विधानसभा क्षेत्र के सरकारी स्कूलों की काफी खराब स्थिति में है लेकिन न केंद्र और न राज्य सरकार इस और ध्यान देती है। इस बार लोकसभा चुनाव में जर्जर विद्यालय भवनों के नवनिर्माण का का मुख्य मुद्दा रहेगा।
- मोनू मेहरा, वार्ड पंच घाट का बराना।
इनका कहना है
जितने भी जर्जर स्कूल भवन है। उसके लिए राज्य स्तर पर अधिकारियों को अवगत कराया गया है जैसे ऊपर से आदेश आएंगे, जल्द समस्या का समाधान करवाने का प्रयास करेंगे।
- राजेंद्र व्यास, जिला शिक्षा अधिकारी, बूंदी
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