Excavation में मिले प्राचीन कालीन सभ्यता के अवशेष
इनमेंं शुंग कालीन हड्डी के उपकरण, हाथियों पर सवार देवताओं के चित्रों वाली मिट्टी की मुहरें, ईसा पूर्व की देवी प्रतिमा मुख्य हैं
पुरातत्व विभाग की ओर से गांव के बीचों बीच एक टीले पर खुदाई के दौरान महाभारत और मौर्य काल के ढाई हजार साल से भी ज्यादा पुराने अवशेष मिले हैं।
डीग। जिले के वहज गांव में पुरातत्व विभाग की ओर से गांव के बीचों बीच एक टीले पर खुदाई के दौरान महाभारत और मौर्य काल के ढाई हजार साल से भी ज्यादा पुराने अवशेष मिले हैं। टीम की ओर से अभी तक 30 फीट के करीब गहरे दो कुंडों की खुदाई की जा चुकी है। जिसमें प्राचीन रूप की ईटों की दीवार और मिट्टी के बर्तनों के टुकड़े अवशेष निकल रहे हैं। पुरातत्व विभाग की ओर से ये यह कार्य जनवरी से चल रहा है। बृज क्षेत्र के अंदर 50 वर्ष के लंबे अंतराल के बाद बड़े स्तर पर खुदाई का काम हुआ है। जो प्रमाण मिले हैं वह विलक्षण है। खुदाई स्थल वर्तमान में राजस्थान के डीग जिले में स्थित है लेकिन प्राचीन काल में यह गोवर्धन पहाड़ीं का हिस्सा था। यह क्षेत्र 84 कोस परिक्रमा सर्किट का भी हिस्सा है। जो लगभग 250-270 किमी की परिक्रमा तीर्थयात्रा है।
उत्खनन में यह मिले दुर्लभ चीजों के अवशेष
जनवरी में खुदाई शुरू होने के बाद से पुरा विभाग की टीम को शुंग काल के हड्डी के उपकरण, हाथियों पर सवार देवताओं के चित्रों वाली मिट्टी की मुहरें, चित्रित ग्रे वेयर संस्कृति, 800 ईसा पूर्व से एक दुर्लभ टेराकोटा पाइप और एक ईसा पूर्व की टेराकोटा की देवी प्रतिमा मिली है। दीवार के किनारे 45 डिग्री के कोण पर जली हुई ईंटें, जो मौर्य काल की हो सकती हैं। एक और दिलचस्प खोज प्रत्येक स्तर पर मिलने वाले सैकड़ों छोटे मोती थे, जिनमें पूर्व मौर्यकालीन भी शामिल थे। पुरातत्व विभाग के अभिकारियों का कहना है कि गुजरात पत्थरों की कटाई और पॉलिश करने का मुख्य केन्द्र था। ऐसा लगता है कच्चा माल वहां से लाकर यहां बनाया जाता था।
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