संभाग के सबसे बड़े अस्पताल में गद्दे हो रहे भद्दे
लम्बे समय तक भर्ती मरीजों को कमर दर्द व बीमारी का खतरा बढ़ा
संभाग के सबसे बड़े एमबीएस अस्पताल के इनडोर वार्डों में अधिकतर पलंगों पर बिछे गद्दों की हालत इतनी अधिक खराब हो रही है कि उन्हें देखने या तो उन पर लेटने का मन नहीं होगा। यदि मजबूरी में मरीज भर्ती होने से लम्बे समय तक वहां रह गया तो उसे ठीक होने की जगह कमर दर्द व अन्य बीमारी का खतरा बना हुआ है।
कोटा। संभाग के सबसे बड़े एमबीएस अस्पताल के इनडोर वार्डों में अधिकतर पलंगों पर बिछे गद्दों की हालत इतनी अधिक खराब हो रही है कि उन्हें देखने या तो उन पर लेटने का मन नहीं होगा। यदि मजबूरी में मरीज भर्ती होने से लम्बे समय तक वहां रह गया तो उसे ठीक होने की जगह कमर दर्द व अन्य बीमारी का खतरा बना हुआ है। एमबीएस अस्पताल में कोटा शहर ही नहीं दूरदराज तक से मरीज उपचार के लिए आ रहे हैं। मध्यप्रदेश व राजस्थान के सीमावर्ती अन्य प्रदेशों से भी मरीज यहां उपचार के लिए आ रहे हैं। उनमें से कई मरीजों की बीमारी ऐसी है जिन्हें अस्पताल में अस्पताल में लम्बे समय तक भर्ती भी रहना पड़ रहा है। अस्पताल में हर बीमारी के मरीजों को भर्ती करने के लिए अलग-अलग वार्ड बने हुए हैं। जिनमें पलंग भी लगे हैं। उन पलंगों में से कई पलंगों की हालत ही खराब हो रही है। वहीं उन पर बिछे गद्दों को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि पिछले कई सालों से उनकी सुध ही नहीं ली गई है। जिससे कई गद्दे फटे हुए हैं जिससे उनकी रूई व फोम बाहर निकल रही है। कई गद्दे इतने अधिक गंदे हो रहे हैं कि उनमें से दुर्गंध आ रही है। कई पुराने गद्दों के बीच में गड्ढ़े हो रहे हैं। हालत यह है कि गद्दों की उतनी खराब दशा होने के बाद भी उन पर चादर तक नहीं बिछाई जा रही है। जिससे उनकी दुर्दशा जग जाहिर हो रही है।
750 बेड का अस्पताल, हर वार्ड में गद्दे खराब
एमबीएस अस्पताल के इनडोर में 750 बेड हैं। ये बेड अलग-अलग वार्डों में उनकी क्षमता के अनुसार लगे हुए हैं। नेत्र वार्ड, मेल मेडिकल वार्ड, फीमेल मेडिकल वार्ड, मेल सर्जिकल वार्ड, फीमेल सर्जिकल वार्ड, पोस्ट आॅपरेटिव वार्ड, बर्न वार्ड, अस्थि वार्ड, न्यूरोलॉजी वार्ड, कैंसर वार्ड समेत कई वार्ड हैं। उन वार्डों में कमरों के अलावा उनके आगे और पीछे की गैलेरियों तक में बेड लगे हैं। हर वार्ड में लगे बेड पर बिछे गद्दों में से अधिकतर की हालत खराब हो रही है। मजबूरी में मरीेज उन पर लेटे हुए भी हैं। अस्थि वार्ड व मेल सर्जिकल वार्ड में भर्ती मरीजों का कहना है कि उन्हें वार्ड में भर्ती हुए कई दिन हो गए हैं। उनके पलंग का गद्दा इतना अधिक खराब हो रहा है कि उनकी कमर ही दुखने लगी है। साथ ही वह गंदा भी है। जिससे उन्हें दुर्गंध का तो सामना करना ही पड़ रहा है। साथ ही यहां उपचार करवाने के दौरान दूसरी बीमारी लगने का खतरा बना हुआ है।
गद्दों पर चादरें तक नहीं
इतने बड़े अस्पताल में हर पलंग पर गद्दा बिछा हुआ है। साथ ही उनके लिए अस्पताल में सफेद चादरें भी हैं। रोजाना चादरें बदलने का प्रावधान है। साथ ही उनके स्थान पर दूसरी सफेद चादर बिछाई जाती है। यह काम सुबह डॉक्टर के राउंड से पहले ही कर दिया जाता है। लेकिन अस्पताल के कई वार्डों में न तो रोजाना चादरें बदली जा रही हैं और न ही अधिकतर पलंगों पर अस्पताल प्रशासन द्वारा चादरें बिछाई जा रही है। हालत यह है है कि बुधवार को भी कई मरीज या तो बिना चादर बिछे पलंग पर सोते मिले या फिर कई मरीजों ने अपने घर की चादर बिछाई हुई थी। जबकि जानकारी के अनुसार अस्पताल से रोजाना बड़ी संख्या में चादर धुलने के लिए अस्पताल की लॉनरी में जा रही है।
अस्पताल में 750 बेड हैं। जिनमें से सभी पर गद्दे लगे हुए हैं। उन पर सफेद चादर भी रोजाना बदली जा रही है। हाल ही में आईसीयू में बैंक के सहयोग से 10 नए बेड व गद्दे लगाए गए हैं। वार्डों में गद्दे खराब होने की डिमांड संबंधित एचओडी द्वारा दी जाती है। जहां से भी डिमांड आती है वहां तुरंत गद्दे खरीदकर बदला देते हैं। फिर भी यदि कहीं गद्दे खराब हैं तो संबंधित एचओडी से डिमांड लेकर उन्हें बदला दिया जाएगा। इसके लिए बजट भी पर्याप्त है।
-डॉ. नवीन सक्सेना, अधीक्षक, एमबीएस अस्पताल
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