अलविदा फ्लाइंग सिख: लीजेंड स्प्रिंटर मिल्खा सिंह का कोरोना से निधन, 91 साल की उम्र में ली अंतिम सांस

अलविदा फ्लाइंग सिख: लीजेंड स्प्रिंटर मिल्खा सिंह का कोरोना से निधन, 91 साल की उम्र में ली अंतिम सांस

पूर्व भारतीय लीजेंड स्प्रिंटर मिल्खा सिंह का कोरोना की वजह से निधन हो गया है। वे 91 साल के थे। 5 दिन पहले उनकी पत्नी निर्मल कौर का पोस्ट कोविड कॉम्प्लिकेशंस के कारण निधन हो गया। मिल्खा सिंह का चंडीगढ़ एक अस्पताल में इलाज चल रहा था। मिल्खा सिंह और उनकी पत्नी 20 मई को कोरोना संक्रमित पाए गए थे।

चंड़ीगढ़। पूर्व भारतीय लीजेंड स्प्रिंटर मिल्खा सिंह का कोरोना की वजह से निधन हो गया है। वे 91 साल के थे। 5 दिन पहले उनकी पत्नी निर्मल कौर का पोस्ट कोविड कॉम्प्लिकेशंस के कारण निधन हो गया। मिल्खा सिंह का चंडीगढ़ एक अस्पताल में इलाज चल रहा था। मिल्खा सिंह और उनकी पत्नी 20 मई को कोरोना संक्रमित पाए गए थे। 24 मई को दोनों को एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 30 मई को परिवार के लोगों के आग्रह पर उनकी वहां से छुट्टी करवा ली गई थी और कुछ दिनों पहले ही वे घर लौटे थे। तब से उनका घर पर ही इलाज चल रहा था। इसके कुछ दिन बाद उनकी तबीयत फिर खराब हुई और ऑक्सीजन लेवल गिरने लगा था। 3 जून को उन्हें फिर से अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था। वहीं, निर्मल कौर का इलाज मोहाली के फोर्टिस अस्पताल में चल रहा था।

कई रिकॉर्ड बनाए और पदक जीते
मिल्खा सिंह का जन्म 20 नवंबर, 1929 के दिन गोविंदपुरा गांव में हुआ था। उनका गांव अविभाजित भारत के मुजफ्फरगढ़ जिले में पड़ता था जो अब पश्चिमी पाकिस्तान का हिस्सा है। उनका परिवार विभाजन की त्रासदी का शिकार हो गया, उस दौरान उनके माता-पिता के साथ आठ भाई-बहन भी मारे गए थे। परिवार के केवल 4 लोग ही जिंदा बचे थे, जिनमें से एक मिल्खा सिंह थे। विभाजन के समय वह भारत भाग आए थे। मिल्खा सिंह साल 1951 में वे भारतीय सेना में शामिल हो गए। आर्मी ज्वाइन करने के 15 ही दिन बाद एक दौड़ का आयोजन किया गया था, जिससे एथलेटिक्स ट्रेनिंग के लिए दस जवान चुने जाने थे। इसमें मिल्खा 6वें नंबर पर आए।

मिल्खा सिंह ने साल 1956 में मेलबर्न में आयोजित ओलिंपिक खेल में भाग लिया, लेकिन कुछ खास नहीं कर पाए। 1958 में कटक में आयोजित नेशनल गेम्स में 200 और 400 मीटर में कई रिकॉर्ड बनाए। इसी साल टोक्यो में आयोजित एशियाई खेलों में 200 मीटर, 400 मीटर की स्पर्धाओं और राष्ट्रमंडल में 400 मीटर की रेस में स्वर्ण पदक जीते। उनकी सफलता को देखते हुए, भारत सरकार ने पद्मश्री से सम्मानित किया। 1960 में रोम में आयोजित समर ओलिंपिक में मिल्खा सिंह से काफी उम्मीदें थीं। 400 मीटर की रेस में वह 200 मीटर तक सबसे आगे थे, लेकिन इसके बाद उन्होंने अपनी गति धीमी कर दी। इससे वह रेस में पिछड़ गए और चौथे नंबर पर रहे। 1964 में उन्होंने एशियाई खेल में 400 मीटर और 4x400 रिले में गोल्ड मेडल जीते। मिल्खा सिंह ने पाकिस्तान में आयोजित एक दौड़ में शानदार प्रदर्शन किया। उनके प्रदर्शन को देखकर पाकिस्तान के जनरल अयूब खान ने उन्हें 'द फ्लाइंग सिख' नाम दिया। मिल्खा सिंह के जीवन पर साल 2013 में बॉलीवुड हिंदी फिल्म ‘भाग मिल्खा भाग’ बनी थी।

 

राष्ट्रपति ने मिल्खा सिंह के निधन पर जताई संवेदना
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद लीजेंड स्प्रिंटर मिल्खा सिंह के निधन पर शोक जताया है। राष्ट्रपति ने ट्वीट किया कि स्पोर्टिंग आइकन मिल्खा सिंह के निधन से मेरा दिल दुख से भर गया है। उनके संघर्षों की कहानी और चरित्र की ताकत भारतीयों की पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी। उनके परिवार के सदस्यों और अनगिनत प्रशंसकों के प्रति मेरी गहरी संवेदना है।

मोदी ने मिल्खा सिंह के निधन पर व्यक्त किया शोक
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने महान धावक मिल्खा सिंह के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है। प्रधानमंत्री ने सिलसिलेवार ट्वीट संदेश में कहा कि मिल्खा सिंह के निधन से हमने एक प्रचंड खिलाड़ी खो दिया है, जिसने राष्ट्र की कल्पना को आत्मसात किया था। अनगिनत भारतीयों के दिल में उनके लिए विशेष जगह है। उनके व्यक्तित्व से लाखों भारतीयों को प्रेरणा मिलती है। एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा कि मैंने कुछ दिन पहले मिल्खा सिंह से बात की थी। मुझे इस बात की भनक भी नहीं थी कि यह हमारी अंतिम बातचीत होगी। उनके जीवन से अनेक उभरते एथलीटों को ताकत मिलेगी। उनके परिजनों तथा दुनियाभर में फैले प्रशंसकों के प्रति मेरी संवेदनाएं।

नायडू ने मिल्खा सिंह के निधन पर शोक जताया
उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने उड़न सिख मिल्खा सिंह के निधन पर गहरा शोक प्रकट किया है। नायडू ने जारी एक संदेश में कहा कि मिल्खा सिंह के निधन से वह स्तब्ध हैं। मिल्खा सिंह ने विश्व स्तर पर अपने जादुई प्रदर्शन से प्रत्येक भारतीय को प्रेरित किया और उन्हें गर्व करने का अवसर दिया। उन्होंने न केवल खेल के क्षेत्र में प्रतिमान स्थापित किए बल्कि जीवन के अनेक क्षेत्रों में वह आदर्श बनें। उपराष्ट्रपति ने कहा कि मिल्खा सिंह की जीवन यात्रा खिलाड़ियों को प्रेरित करती रहेगी और उन्हें बाधाओं से परे जाने का उत्साह देती रहेगी। नायडू ने कहा कि मेरी संवेदना मिल्खा सिंह के परिजनों और उनके प्रशंसकों के साथ हैं।

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