फेफड़ों में पानी भरने का सटीक कारण बताएगी थोरेकोस्कोपी जांच

फेफड़ों में पानी भरने का सटीक कारण बताएगी थोरेकोस्कोपी जांच

थोरेसिक एंडोस्कोपी सोसाइटी की आठवीं एनुअल कॉन्फ्रेंस टेसकॉन 2024 में एक्सपर्ट्स ने दी जानकारी

जयपुर। फेफड़ों में टीबी, ट्यूमर, निमोनिया जैसे कई कारणों से पानी भरता है। लेकिन इसका सही कारण पता न लग पाने पर मरीज को सही इलाज नहीं मिल पाता था। लेकिन अब थोरेकोस्कोपी जांच से इसका डायग्नोसिस बेहद आसान और सटीक हो गया है। शुक्रवार से शुरू हुए तीन दिवसीय कॉन्फ्रेंस टेसकॉन 2024 में यह जानकारी मुंबई से आई डॉ. अनिता नेने ने दी। 

कॉन्फ्रेंस के ऑर्गनाइजिंग सेक्रेटरी डॉ. केके शर्मा ने बताया कि थोरेसिक एंडोस्कोपी सोसाइटी की यह आठवीं एनुअल कॉन्फ्रेंस है। पहले दिन इंटरवेंशनल पल्मोनोलॉजी की लाइव हैंड्स ऑन वर्कशॉप होगी जिसमें ब्रोंकोस्कोपी और थोरेकोस्कोपी के बारे में जानकारी साझा की गई। इसके बाद हुए अलग अलग सेशन में देशभर से आए एक्सपर्ट्स ने अपनी रिसर्च सामने रखी। ऑर्गनाइजिंग चेयरमैन डॉ. रामबाबू गुप्ता ने बताया कि पहले दिन डॉ. विजय हड्डा ने फाइबर ऑप्टिक ब्रोंकोस्कोपी, डॉ. रिचा गुप्ता ने सेमी रिगिड थोरेकोस्कोपी, डॉ. वीरुत्तम तोमर ने लीनियर इबस के बारे में जानकारी दी। 

छोटा चीरा लगाकर संभव फेफड़े में से बायोप्सी लेना  
कोच्चि के डॉ. नासिर यूसुफ ने बताया कि अब तक फेफड़ों में पानी भरने का सही कारण पता न लग पाने के कारण मरीज को सही इलाज नहीं मिल पाता था और बीमारी एडवांस स्टेज में आ जाती थी। लेकिन अब थोरेकोस्कोपी जांच से समस्या का सटीक कारण पता लगा पाना आसान हो गया। इस जांच में सिर्फ एक इंच का चीरा लगाकर फेफड़े में प्रवेश कर अंदरूनी संरचना देख सकते हैं और बायोप्सी भी ली जा सकती है। यह प्रोसीजर मात्र 10 से 15 मिनट में पूरी हो जाती है।

टीबी के 41 प्रतिशत लोगों में फेफड़े के अलग-अलग हिस्से खराब, वैट्स तकनीक से इलाज संभव 
डॉ. आरपी मीणा ने बताया कि टीबी के 41 प्रतिशत मरीजों में कंसोलिडेशन नाम की दिक्कत होती है जिसमें फेफड़े के अलग-अलग हिस्से खराब हो जाते हैं। ऐसे मरीजों को बार बार गंभीर निमोनिया या मधुमक्खी के छत्ते की तरह फेफड़े में छोटे-छोटे छेद की समस्या (ब्रोन्किइक्टेसिस) होने लगती है। यह तब होता है जब मरीज में टीबी को दवाएं काम करना बंद कर देती हैं। इसके लिए अब वीडियो एसिस्टेड थोरेकोस्कोपी सर्जरी (वैट्स) तकनीक आ गई है। इसमें की-होल सर्जरी द्वारा छोटे चीरे से फेफड़े के प्रभावित हिस्से को हटा दिया जाता है जिससे टीबी कंसोलिडेशन की समस्या पूरी तरह ठीक हो जाती है।

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