वित्त विभाग के आदेश से लैब तकनीशियन में मायूसी, फिर आंदोलन की राह पकड़ने को मजबूर
राजस्थान के बेरोजगार दूसरे राज्यों में जाते हैं
खेमराज कमेटी की रिपोर्ट को सार्वजनिक किए बिना वित्त विभाग के आदेशों को लागू किए जाने से लैब टेक्नीशियन संवर्ग में आक्रोश है।
जयपुर। खेमराज कमेटी की रिपोर्ट को सार्वजनिक किए बिना वित्त विभाग के आदेशों को लागू किए जाने से लैब टेक्नीशियन संवर्ग में आक्रोश है। लैब टेक्नीशियन संघ के प्रदेश अध्यक्ष जितेंद्र सिंह ने आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि हर बार लैब तकनीशियन संवर्ग के साथ धोखा होता है। इस बार तो पहली बार ऐसा हो रहा है कि कमेटी की रिपोर्ट को सार्वजनिक किए बिना कमेटी की रिपोर्ट को लागू कर दिया गया, कर्मचारियों के अलावा आज तक किसी अन्य के लिए कमेटी का गठन नहीं होता है। आज राजस्थान के लैब टेक्निशियन अन्य राज्यों के लैब टेक्निशियन की ग्रेड पे की तुलना में अत्यंत पिछड़े हुए हैं । कम ग्रेड पे के कारण राजस्थान के बेरोजगार दूसरे राज्यों में जाते हैं, दूसरे राज्यों से कोई भी बेरोजगार राजस्थान में ग्रेड पे में पिछड़ेपन के कारण आवेदन नहीं करता।
संघ के मीडिया प्रभारी संतोष शर्मा ने कहा कि 5 साल डीसी सावंत कमेटी फ़िर 5 साल खेमराज कमेटी कुल 10 साल निकालने के बाद भी कर्मचारियों अपनी मांगों के प्रति हो रहे अन्याय को सहन करने को मजबूर है और सब जानते भी हैं कि कर्मचारियों में अंदर ही अन्दर गुस्सा, आक्रोश और अब पनप चुके गुस्से को शांत करने के लिए जल्द फिर एक नई कमेटी देखने को मिल सकती है । संघ के कोषाध्यक्ष मोहन सिंह राजावत व महामंत्री तरुण सैनी व विशिष्ट सचिव सुरेश देबाना ने कहा वार्ता में कमेटी सदस्यों को लैब टेक्नीशियन की ग्रेड पे 4200 के सभी जरूरी दस्तावेज व अन्य राज्यों से तुलनात्मक विवरण और हाई रिस्क संक्रमण के बीच नेचर ऑफ जब से लेकर तमाम जरूरी दस्तावेज कमेटी द्वारा चाही गई सभी उपलब्ध कराए गए।
जैसे हरियाणा में आज भी दसवीं पास और 9 माह की ट्रेनिंग को पर ग्रेड पर 4200 दी जा रही है, वहीं राजस्थान में 12th साइंस और 3 साल की डिग्री और 2 साल के डिप्लोमा को पर ग्रेड पे 2800 दी जा रही है, कमेटी मौके पर मानती भी है कि लैब टेक्नीशियन के साथ गत वर्षों में न्याय नहीं हुआ, लेकिन वित्तविभाग के आदेशों से पुनः पुरानी कहानी दोहरा दी गई ।
लैब टेक्नीशियन ,रेडियोग्राफर ECG टेक्नीशियन के साथ समस्त पैरामेडिकल में वित के उपरोक्त आदेशों से आक्रोश है।
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