मार्च में टेंडर प्रक्रिया पूरी होने के 5 महीने बाद भी फ्लाई ओवर का काम अटका

80 करोड़ की लागत से दो फ्लाई ओवर बनने थे, आचार संहिता की वजह से हुई देरी

 मार्च में टेंडर प्रक्रिया पूरी होने के 5 महीने बाद भी फ्लाई ओवर का काम अटका

हिंडोली और ढकनी कट पर आए दिन दुर्घटनाओं में सैकड़ों लोग अपनी जान गवा बैठे हैं।

हिंडोली। राष्ट्रीय राजमार्ग 52 पर 80 करोड़ की लागत से ढकनी (बसोली मोड) और हिंडोली कस्बे के निकट सहित दो फ्लाई ओवर बनने थे। मार्च में ही राष्ट्रीय राजमार्ग की प्राधिकरण नई दिल्ली ने टेंडर प्रक्रिया पूरी कर शीघ्र ही काम शुरू करने के निर्देश दिए थे लेकिन चुनाव आचार संहिता की वजह से काम में देरी हुई थी जो अब तक जारी है। ज्ञात रहे कि  जयपुर जबलपुर हाईवे 2015 में फोरलेन बनने के बाद शुरू हो गया था लेकिन इस पर कुछ खामियां रह गई थी और आए दिन दुर्घटनाएं होती रहती थी। जनता की मांग पर राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण भारत सरकार द्वारा 2018 में हिंडोली के प्रथम कट और बसोली मोड से ढकनी तक 40 करोड  की लागत से फ्लाई ओवर बनने थे लेकिन सोचनीय विषय है कि सन 2018 में राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को अपनी गलती महसूस करने में 5 साल लग गए। इंजीनियरों की गलती माने या विभाग की उदासीनता यह सैकड़ों लोगों की जान पर आफत बनाई थीं। हिंडोली और ढकनी कट पर आए दिन दुर्घटनाओं में सैकड़ों लोग अपनी जान गवा बैठे हैं। इतना ही नहीं की 9 दिसंबर 23 को एक रोडवेज की बस बाइक सवार को बचाने के चक्कर में पलट गई थी  जिसमें एक की मौत और 14 जने गंभीर घायल हो गई थे।

 नवज्योति की मुहिम पर फ्लाई ओवर को मिली थी स्वीकृति
 दैनिक नवज्योति ने बसोली मोड व हिंडोली कट को लेकर सिलसिलेवार कई बार प्रमुखता से खबरें लगाई थी जिसको आम जनता ने सराहा था और आखिरकार राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण कोटा को इसके प्रस्ताव बनाने के लिए मजबूर किया और राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण कोटा ने दोनों के प्रस्ताव नई दिल्ली भेजें जो स्वीकृत होकर आ गए हैं। पूर्व सरपंच ग्राम पंचायत सथुर के उमेश धाबाई ने बताया कि दैनिक नवज्योति अखबार को इसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद, क्योंकि नवज्योति ने इस खबर को बार-बार प्रमुखता से छापा था जिससे आज हम सफल हो सके। 

गलत साइड चलने से होते है हादसे 
हिंडोली कस्बे के निकट 148 डी जो लालसोट से चलकर सवाई माधोपुर उनियारा होता हुआ हिंडोली आकर मिल रहा है वही रोड राष्ट्रीय राजमार्ग 52 पर 9 किलोमीटर चलकर बसोली मोड़ से विजयनगर भीलवाड़ा तक जा रहा है। बसोली मोड पर लगभग1 किलोमीटर वाहन गलत साइड चलकर अपनी साइड बदलते हैं। इसी प्रकार हिंडोली कस्बे के बाईपास पर वाहनों की गति तेज होने के कारण 148 डी का हिंडोली में मिलने से सड़क दुर्घटना का अंदेशा बना रहता है जबकि कई बडी सड़क दुर्घटनाएं हो चुकी है। इसलिए फ्लाई  ओवर बनना जरूरी है। 

इनका कहना है 
हिंडोली के दोनों प्रस्ताव राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण नई दिल्ली से स्वीकृत होकर आ गए हैं। टेंडर प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और 15 अगस्त तक शीघ्र काम शुरू करवाया जाएगा।
- संदीप अग्रवाल,  प्रोजेक्ट मैनेजर, राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण कोटा

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