एक बरसात भी नहीं झेल पाई नई बनी सड़कें
बड़ा सवाल: विदेशों की तरह कोटा में क्यों नहीं बन रही टिकाऊ सड़कें
सड़के बनाने व मरम्मत पर खर्च हो रहे हर साल करोड़ों रुपए ।
कोटा। दृश्य 1 - अभय कमांड सेंटर से दादाबाड़ी रोटरी सर्किल तक एलबीएस मार्ग पर कुछ समय पहले ही डामर की नई सड़क बनी थी। लेकिन पहली ही बरसात में उस सड़क पर इतने बड़े-बड़े गड्ढ़े हो गए हैं। जिससे रात ही नहीं दिन के समय भी हादसों का खतरा बना हुआ है।
दृश्य 2 - नयापुरा स्थित जेल रोड पर सैनिक सर्किल के पास की सड़क बने अधिक समय नहीं हुआ है। लेकिन पहली ही बरसात में उस पर गड्ढ़े हो गए हैं। कई जगह से डामर उखड़ गया। जिससे हादसों का खतरा बना हुआ है।
दृश्य 3 - जेडीबी कॉलेज के सामने स्टेशन जाने का मुख्य मार्ग है। यहां सड़क की हालत इतनी अधिक खराब हो रही है कि दिन में ही नहीं रात के समय भी यहां से निकलने वाले वाहनों के दुर्घटनाग्रस्त होने का खतरा बना हुआ है।
ये तो उदाहरण मात्र हैं शहर की सड़कों के उस हालात को बताने के लिए जो वर्तमान में बरसात के सीजन में देखने को मिल रहे हैं। इस तरह के हालात पूरे शहर की सड़कों के हो रहे है। ऐसा नहीं है कि सड़कों की यह हालत इस बार ही बरसात में हुई है। वरन् हर साल होती है। बरसात के समय डामर की सड़कों पर गड्ढ़े होने व सड़कों के उखड़ने पर बरसात के बाद कोटा विकास प्राधिकरण व नगर निगम की ओर से सड़कों की मरम्मत व नई बनाने पर करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं। उसके बाद भी फिर से सड़कों की हालत जस की तस बनी हुई है। हालत यह है कि अधिकतर सड़कें तो पहली बरसात भी नहीं झेल पाई और उन पर बड़े-बड़े गड्ढ़े हो गए हैं। जबकि विदेशों में बनने वाली सड़कें लम्बे समय तक चलने वाली व टिकाऊ होती हैं। हालांकि सड़कों को लेकर कुछ समय पहले केन्द्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गड़करी ने भी बयान दिया था। जिसमें कहा था कि भारत में भी 25 साल या उससे अधिक समय तक चलने वाली सड़कें बन सकती हैं। लेकिन अधिकारियों व ठेकेदारों की मिलीभगत से ऐसा नहीं हो पा रहा है। बार-बार सड़कें खराब होंगी तभी तो सभी का काम चलेगा।
आचार संहिता से पहले बनाई थी कई सड़कें
कोटा विकास प्राधिकण(पूर्व नगर विकास न्यास) की ओर से शहर में कई सड़कें तो विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लगने से पहले ही बनाई थी। सितम्बर 2023 में चम्बल रिवर फ्रंट व आॅक्सीजोन जैसे विश्व स्तरीय पर्यटन स्थलों के उद्घाटन समारोह में मुख्यमंत्री और देशी विदेशी राजदूतों के आने की संभावना को देखते हुए सड़कों की दशा सुधारी गई थी। एलबीएस मार्ग की सड़क तो पूरी ही नहीं बनी थी। उसके अलावा मेन रोड की अधिकतर सड़कों पर डामर की मोटी परत चढ़ाकर बनाया गया था। लेकिन उसके बाद पहली बरसात में ही अधिकतर सड़कों की हालत ऐसी हो गई कि उन पर चलना ही मुश्किल हो रहा है।
यहां भी हालात खराब
नयापुरा बाग स्कूल के पास का क्षेत्र हो या विवेकानंद सर्किल का। नई धानमंडी से एयरपोर्ट लिंक रोड हो या विज्ञान नगर डिस्पेंसरी रोड, राजीव प्लाजा रोड, अशोक पार्क रोड, पीएनटी कॉलोनी रोड, डीसीएम मेन रोड, रायपुरा रोड, देवली अरब रोड तक पर कई जगह गड्ढ़े हैं तो कई जगह पर डामर उखड़ने से गिट्टी फेली हुई है। ऐसे में उनसे बचने के प्रयास में वाहन चालक फिसलकर गिर रहे हैं और हादसों का शिकार हो रहे हैं।
अधिकारियों की अनदेखी व भ्रष्टाचार का खेल
दादाबाड़ी निवासी नितन मालव ने कहा कि हर साल सड़कें खराब होने का कारण संबंधित विभागों के अधिकारियों की अनदेखी और भ्रष्टाचार का खेल है। अधिकारी संवेदकों के भरोसे सड़कें बनाने का काम छोड़ देते हैं। संवेदक श्रमिकों के भरोसे रह जाते हैं। हालत यह है कि न तो अधिकारी और न ही इंजीनियर मौके पर जाकर सड़कों को बनता हुआ देखते हैं। जिससे अधिकतर सड़कों की हालत खराब हो रही है। वहीं अधिकतर संवेदक कम रेट में ठेके तो ले लेते हैं लेकिन उसमें भी कमीशन का खेल होने से सही मेटेरियल का उपयोग नहीं किया जाता। जिससे सड़कें निर्धारित से कम समय में ही खराब हो रही हैं। महावीर नगर निवासी असरगर अली कहना है जबकि विदेशों में जो सड़कें बन रही हैं वह इतनी मजबूत होती हैं कि बरसों तक खराब नहीं होती। वैसे ही सड़कें कोटा व देश में भी बनाई जा सकती हैं लेकिन नहीं बन पाती। करोड़ों रुपए खर्च होने के बाद भी जनता को ही परेशानी भुगतनी पड़ रही है। बरसात में गड्ढ़ों में पानी भरने से उनके नजर नहीं आने या उन गड्ढ़ों से बचने के प्रयास में वाहनों के आपस में टकराने से होने वाले हादसों का शिकार आमजन ही हो रहा है।
फ्लाई ओवर तक बदहाल
मेन रोड ही नहीं ल्लाई ओवर व आरओबी तक बदहाल हो रहे हैं। नयापुरा स्थित चम्बल की नई पुरानी दोनों पुलिया,बैराज के समानांतर पुलिया व संजय नगर आरओबी और गुमानपुरा फ्लाई ओवर तक पर जगह-जगह बड़े गड्ढ़े हो रहे हैं। जबकि इनमें से ’यादातर सड़कें पहली बरसात ही नहीं झेल पाई। नयापरिा चम्बल पुलिया पर तो पूरा डामर ही उखड़ गया। जिससे नीचे की सरिये तक नजर आ गए हैं।
मजबूती के लिए बनाई सीसी रोड तक बदहाल
बरसात के समय में हर साल डामर की सड़कें खराब होती हैं। ऐसे में उसके स्थायी समाधान के लिए पिछली कांग्रेस सरकार में शहर में अधिकतर सीसी रोड बनाई गई थी। लेकिन हालत यह है कि कहीं सीवरेज लाइन डालने के लिए तो कहीं पानी की लाइन डालने और कहीं केबल डालने के लिए सीसी रोड तक को खोद दिया गया। जिससे वे भी बदहाल हो गई हैं। विज्ञान नगर मुक्तिधाम से पीएफ आॅफिस के सामने वाली रोड, धानमंडी डाकघर रोड व नयापुरा समेत कई क्षेत्रों की सीसी रोड की यही हालत है।
इनका कहना है
विदेशों की तरह कोटा व राजस्थान में भी टिकाऊ सड़कें बनती हैं। लेकिन बरसात के समय हर साल डामर की कुछ सड़कें खराब होती ही हैं। पानी को डामर का दुश्मन कहते हैं। बरसात में सड़कों में पानी भरने से डामर उखड़ जाता है। इसलिए ही उनकी मरम्मत का प्रावधान रखा जाता है। वैसे सारी सड़कें खराब नहीं होती है।
- शांति धारीवाल, पूर्व मंत्री विधाजक, कोटा उत्तर
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