कोटा करे सेवा और जयपुर खाए मेवा

वन विभाग के टॉप मैनेजमेंट का कोटा के साथ कथित पक्षपातपूर्ण रवैया

कोटा करे सेवा और जयपुर खाए मेवा

8 साल बाद कोटा को टाइगर दिए वह भी उम्रदराज ।

कोटा। वन विभाग के आला अफसरों का कोटा के साथ रवैया पक्षपातपूर्ण ही रहा है। मुकुंदरा हो या बायोलॉजिकल पार्क, दोनों ही टॉप मैनेजमेंट की उपेक्षा का शिकार रहे हैं। एनटीसीए की परमिशन मिलने के बावजूद 2 साल बाद भी बाघिन नहीं आ सकी। जबकि, रामगढ़ विषधारी में दो बाघिन घर आबाद कर चुकी है। इसी तरह अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क को 8 साल बाद टाइगर दिया तो भी उम्रदराज। जबकि, नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क जयपुर के पास पहले से ही कम उम्र के बाघ-बाघिन के जोड़े हैं। इतना ही नहीं, पिछले मंगलवार को महाराष्टÑ के नागपुर से जवान बाघ-बाघिन का जोड़ा शिफ्ट किया गया। इनमें बाघ गुलाब की उम्र 4 और बाघिन चमेली 3 साल है। इनकों मिलाकर वर्तमान में नाहरगढ़ में 8 बाघ-बाघिन हैं। जिनमें से अधिकतर की उम्र 6 से 7 साल है। कहने का मजबून यह है, आला जनाब, बुजुर्ग बाघ-बाघिन देकर कोटा से सेवा करवा रहे और जवान जोड़ा जयपुर की झौली में डाल मेवा खिला रहा है। इतना ही नहीं, पिक्चर अभी बाकी है, कोटा वन्यजीव विभाग पिछले तीन साल से लॉयन का जोड़ा मांग रहा। जिसके लिए मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक से लेकर एनटीसीए को ढेरों पत्र लिखे। काफी मन्नतों के बाद कोटा को 12वर्षीय लॉयनेस सुहासिनी दे दी लेकिन उसका हमसफर अली नहीं दिया। फिर से कोशिश की तो उदयपुर सज्जनगढ़ ने लॉयन देने से ही इंकार कर दिया। वर्तमान परिदृष्य में कोटा बायोलॉजिकल पार्क के आंगन में 20 वर्षीय बाघिन महक और 13 वर्षीय लॉयनेस सुहासिनी अकेली जीवन काट रही है।

आने के साथ ही 4 बार बीमार हो चुका था नाहर
बायोलॉजिक पार्क बनने के बाद टाइगर का जोड़ा लाने की कोशिशें की गई। उच्चाधिकारियों को पत्र लिखे गए। बमुश्किल, जयपुर नाहर गढ़  ने 1 मार्च 2023 को साढ़े 16 के बाघ नाहर और 18 साल की बाघिन महक को कोटा बायोलॉजिकल पार्क को दे दिए। जबकि, नागरगढ़ में पहले से ही 4 से 6वर्षीय बाघ-बाघिन के जोड़े थे। लेकिन, उन्होंने जवान के बजाए बजुर्ग जोड़ा देकर अपनी आफत कोटा पर डाल दी। जबकि, वन्यजीव विशेषज्ञों ने आपत्ति जाहिर कर कुनबा बढ़ाने में सक्षम यंग हैल्दी टाइगर जोड़े की मांग की थी। जिसे दरकिनार कर टॉप मैनेजमेंट ने बुजुर्ग जोड़ा थमा दिया। आने के बाद से नाहर अब तक 4 बार से ज्यादा बीमार हो चुका है। दो बार पैरों में धाव तथा दो बार पेट की बीमारी से ग्रस्त रहा। जिसे बुस्टर डोज देकर सेवा करते रहे। नतीजन, डेढ़ साल बाद ही बाघ की सांसे थम गई। 

एसीडिटी से परेशान रहा
वन्यजीव चिकित्सक डॉ. विलास राव गुलहाने ने बताया कि आने के बाद से ही कमजोर था। उसकी पिंडली कमजोर थी। कई बार लंगड़ाकर चलता था, ताकत की दवाइयां दी जाती रही। इसी तरह वह एसीडीटी से परेशान रहता था। पांचनतंत्र सही नहीं होने से भोजन नहीं कर पाता था।  हालांकि, बूस्टर डोज के माध्यम से उसके स्वास्थ्य को बेहतर बनाने का प्रयास लगातार किया गया। जिसकी वजह से ही वह 17 साल 10 महीने 19 दिन तक जी सका। 

उदयपुर ने मिर्गी के दौरे पड़ने वाला भालू दिया
दो वर्ष पहले उदयपुर सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क से उम्रदराज भालू को अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क में शिफ्ट किया गया, जिसकी साढ़े तीन महीने बाद ही मौत हो गई। उसे मिर्गी के दौरे पड़ने की परेशानी थी। इसी तरह 12वर्षीय सांभर मिला, जिसकी पेट से संबंधित बीमारी के कारण गत वर्ष मृत्यु हो गई। जब चिकित्सकों ने पोस्टमार्टम किया तो उसके पेट में बड़ी संख्या में पॉलिथीन का ढेर मिला। 

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कोटा के साथ दोयम दर्जे का बर्ताव
वन विभाग के आला अधिकारी हमेशा से ही कोटा के साथ दोयम दर्ज का बर्ताव करते रहे हैं। अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क को सेवा करवाने के लिए बुजुर्ग टाइगर दिए गए, जो न तो आबादी बढ़ाने में सक्षम रहे और न ही पर्यटन। जबकि, नाहरगढ़ के पास जवान टाइगर-टाइग्रेस हैं। लेकिन, द्वेषतापूर्ण  बुजुर्ग जोड़ा देकर इतिश्री कर ली। खैर, अब वन विभाग को अभेड़ा के लिए यंग टाइगर-टाइग्रेस को जोड़ा लाने का प्रयास करना चाहिए।
- तपेश्वर सिंह भाटी, अध्यक्ष, पर्यावरण व मुकुंदरा समिति

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उम्र दराज जोड़ा डिस्पले में रखा जाना उचित नहीं
वर्ष 2016 के बाद कोटा चिड़ियाघर को टाइगर मिला तो भी बुजुर्ग। यह जोड़ा प्रजन्न योग्य नहीं है। बुजुर्ग टाइगर को डिस्पले एरिया में रखना उचित नहीं है। यह कोटा के साथ सौतेला व्यवहार है। एक तरफ जयपुर को नागपुर से कम उम्र के टाइगर दिए जा रहे, दूसरी ओर कोटा को उम्रदराज दिए। वर्ष 2018 के बाद बाघिन महक फिर से अकेली रह गई। जिसका जोड़ा बनाने के प्रयास होने चाहिए।
- डॉ. अखिलेश पांडे, वरिष्ठ पशु चिकित्सक

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मुकुंदरा हो या बायोलॉजिकल पार्क, हमेशा ही भेदभाव किया गया। दो साल बाद भी लॉयन नहीं दिया गया। वहीं, उम्रदराज नाहर की सांसें थम गई। 20 साल की बाधिन महक के लिए नर बाघ लाना वन्यजीव विभाग के लिए चुनौती बन गया। नाहरगढ़ में 8 बाघ-बाघिन हैं। नागपुर से नागहरगढ़ के लिए टाइगर लाए जा रहे लेकिन कोटा के लिए उच्च स्तरीय प्रयास ही नहीं किए जा रहे। 
- देवव्रत सिंह हाड़ा, अध्यक्ष पगमार्क फाउंडेशन

बाघ नाहर की मृत्यु दुखद  है। लेकिन, उम्र का पड़ाव पार कर चुके बाघ की मौत स्वाभाविक है। अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क के लिए हैल्दी व कम उम्र के बाघ-बाघिन का जोड़ा लाने के प्रयास किए जाएंगे ताकि हमारे यहां भी टाइगर की संख्या बढ़ सके।  
- रामकरण खैरवा, संभागीय मुख्य वन संरक्षक एवं क्षेत्र निदेशक, वन विभाग

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