दीवारों पर बेटी बचाओ लिखाने से नहीं होगा बदलाव, महिलाओं पर अत्याचार रोकने के लिए मिलकर प्रयास करने की जरूरत : खड़गे

संविधान ने महिलाओं को बराबरी का स्थान दिया है

दीवारों पर बेटी बचाओ लिखाने से नहीं होगा बदलाव, महिलाओं पर अत्याचार रोकने के लिए मिलकर प्रयास करने की जरूरत : खड़गे

हमें बेटी बचाओ नहीं बेटी को बराबरी का हक सुनिश्चित करो चाहिए। महिलाओं को संरक्षण नहीं, भययुक्त वातावरण चाहिए।

नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि देश में महिलाओं के खिलाफ अत्याचार की घटनाएं बार-बार हो रही हैं और उन्हें रोकने के लिए मोदी सरकार ने पिछले 10 साल में कोई कदम नहीं उठाए है। इसलिए इस दिशा में सबको मिलकर काम करने की जरूरत है। खड़गे ने कहा कि हमारी महिलाओं के साथ हुआ कोई भी अन्याय असहनीय, पीड़ादायक और निंदनीय है। हमें बेटी बचाओ नहीं बेटी को बराबरी का हक सुनिश्चित करो चाहिए। महिलाओं को संरक्षण नहीं, भययुक्त वातावरण चाहिए। उन्होंने कहा कि देश में हर घंटे महिलाओं के खिलाफ 43 अपराध रिकॉर्ड होते हैं। हर दिन 22 अपराध ऐसे हैं, जो हमारे देश के सबसे कमजोर दलित-आदिवासी वर्ग की महिलाओं और बच्चों के खिलाफ दर्ज होते हैं। अनगिनत ऐसे अपराध है, जो दर्ज ही नहीं होते - डर से, भय से, सामाजिक कारणों के चलते। प्रधानमंत्री मोदी लाल किले के भाषणों में कई बार महिला सुरक्षा पर बात कर चुके हैं, लेकिन उनकी सरकार ने पिछले 10 वर्षों में ऐसा कुछ ठोस नहीं किया, जिससे महिलाओं के खिलाफ अपराधों में कुछ रोकथाम हो। उल्टा, उनकी पार्टी ने कई बार पीड़िता का चरित्र हनन भी किया है, जो निंदनीय है।

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि हर दीवार पर बेटी बचाओ पेंट करवा देने से क्या सामाजिक बदलाव आएगा या सरकारें व कानून व्यवस्था सक्षम बनेगी। क्या हम सुरक्षात्मक कदम उठा पा रहे हैं। क्या हमारी न्याय व्यवस्था में सुधार हुआ है। क्या समाज के शोषित व वंचित अब एक सुरक्षित वातावरण में रह पा रहे हैं। क्या सरकार और प्रशासन ने वारदात को छिपाने का काम नहीं किया है। खड़गे ने कहा कि हमें ये सोचना है कि जब 2012 में दिल्ली में निर्भया के साथ वारदात हुई तो जस्टिस वर्मा कमेटी की सिफारिशें लागू हुई थी, अब क्या उन सिफारिशों को हम पूर्णत: लागू कर पा रहे हैं। क्या 2013 में कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ यौन अपराध रोकने संबंधी कानून के प्रावधानों का ठीक ढंग से पालन हो रहा है, जिससे कार्यस्थल पर हमारी महिलाओं के लिए भययुक्त वातावरण तैयार हो सके। संविधान ने महिलाओं को बराबरी का स्थान दिया है।

महिलाओं के खिलाफ अपराध एक गंभीर मुद्दा है। इन अपराधों को रोकना देश के लिए एक बड़ी चुनौती है। हम सबको एकजुट होकर, समाज के हर तबके को साथ लेकर इसके उपाय तलाशने होंगे। उन्होंने कहा कि अब वक्त आ गया है कि महिलाओं के साथ हर जगह न्याय हो। शहरों में स्ट्रीट लाइट, महिला शौचालय या अन्य सभी मूलभूत सुविधा हो या फिर पुलिस तथा न्याय व्यवस्था में सुधार की बात हो, हम हर वह कदम उठाएं जिससे महिलाओं के लिए भययुक्त वातावरण सुनिश्चित हो सके।

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